पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के बजट सत्र (Budget Session) में 23 मार्च को हुई मारपीट की घटना को लेकर मानसून सत्र (Monsoon Session) में भी चर्चा चल रही है. मारपीट की घटना में अब तक 2 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. वहीं, माननीयों की जांच आचार समिति (Ethics Committee) कर रही है.
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विधानसभा अध्यक्ष से लेकर सत्ता पक्ष की तरफ से बार-बार आचार समिति का डर भी विपक्ष को दिखाया जा रहा है. वहीं, विपक्ष का कहना है कि डर किस बात का हमें जनता ने चुनकर भेजा है. आचार समिति के सदस्य अरुण सिन्हा का कहना है कि अभी तक तीन बैठकें हुई हैं और अगली बैठक 2 अगस्त को होगी. हर पहलू को देखा जा रहा है, हम लोग अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को देंगे. विधानसभा अध्यक्ष ही बता पाएंगे कि किस तरह की कार्रवाई होगी.
बिहार विधानसभा के बजट सत्र ना भुलाने वाला दर्द दे गया है. विधानसभा के 100 साल के इतिहास में 23 मार्च को जिस प्रकार से घटना हुई, पहले कभी नहीं हुई थी और इसलिए उसका असर अभी भी साफ दिख रहा है. मामले की जांच भी चल रही है दो पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई है, लेकिन विपक्ष अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग कर रहा है. सत्ता पक्ष की तरफ से विपक्षी सदस्यों पर कार्रवाई की मांग भी हो रही है. मामला आचार समिति के पास है.
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आचार समिति वीडियो को खंगाल रही है. सरकार की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष को पूरा अधिकारी है, जो कार्रवाई करना है करें, सरकार फैसले को स्वीकार करेगी. विधानसभा अध्यक्ष से लेकर सत्ता पक्ष की तरफ से बार-बार आचार समिति का डर दिखाया जा रहा है और यह कहा जा रहा है कि आचार समिति पूरे मामले को देख रहा है.
हालांकि, पूर्व मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर का कहना है कि ''हमारा जो काम है वो जनहित में करेंगे. जो आचार समिति और विधानसभा अध्यक्ष को करना होगा वो करेंगे. डर किस बात का है, हमें जनता ने चुनकर भेजा है. हम ये समझते हैं कि कोई भी लोकतांत्रिक हित के खिलाफ कोई अमर्यादित कार्रवाई नहीं करेंग.''
वहीं, आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र का कहना है कि ''कोई आदमी गुंडागर्दी थोड़े ही किया है. अगर आचार समिति कुछ करती है तो अदालत में जाएंगे हम लोग. हमको जनता ने ही यहां भेजा है, कोई नीतीश कुमार चुनकर थोड़े ही भेजे हैं.''
वहीं, जदयू विधायक संजीव सिंह का कहना है कि ''विधानसभा में हर जगह सीसीटीवी लगा हुआ है और सारा फुटेज है. इसलिए कोई बच नहीं सकता है चाहे वह विधायक हो या पुलिस पदाधिकारी.''
''अभी तक तीन बैठकें हुई है और अगली बैठक 2अगस्त को होगी. हर पहलू को देखा जा रहा है. हम लोग अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को देंगे. क्या कार्रवाई होगी इसके बारे में विधानसभा अध्यक्ष ही फैसला लेंगे.''- अरुण कुमार सिन्हा, सदस्य, आचार समिति
बता दें कि आचार समिति उस समय भी चर्चा में आई थी जब नीतीश कुमार को बिहार विधान परिषद में इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. उसमें नीतीश कुमार ने कहा था कि आचार समिति के माध्यम से सभी सदस्यों को सदन में किस प्रकार से व्यवहार किया जाए इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा. हालांकि, वह जमीन पर तो नहीं उतर सका.
जानकार कहते हैं कि आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष कई तरह की कार्रवाई कर सकते हैं. सदस्यों को पूरे सत्र के लिए कार्यवाही से बाहर रखा जा सकता है. कुछ दिनों के लिए भी सत्र की कार्यवाही से बाहर रख सकते हैं और माफी भी मंगवाई जा सकती है. इसके अलावा भी कई तरह की कार्रवाई की जा सकती है.
अरुण सिन्हा के अनुसार आचार समिति में कुल 5 लोग हैं, जिसमें आरजेडी के भी सदस्य हैं, पूर्व मंत्री रामनारायण मंडल इसके अध्यक्ष हैं. आचार समिति के सदस्य की मानें तो अभी रिपोर्ट तैयार करने में समय लग सकता है. पहले भी रामनारायण मंडल ने बयान दिया था कि दूध का दूध और पानी का पानी हम लोग करेंगे. ऐसे में देखना है कि समिति अपनी रिपोर्ट में क्या कुछ देती है और उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष क्या कार्रवाई करते हैं. फिलहाल, सत्ता पक्ष विपक्ष को बार-बार आचार समिति का डर जरूर दिखा रहा है.
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