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मसौढ़ी में खाद की किल्लत को लेकर मारामारी, घंटों लाइन में खड़े रहने पर भी नहीं मिल रही खाद

पटना के मसौढ़ी में खाद नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि लंबी-लंबी लाइन लगाने के बावजूद खाद नहीं मिल रही है. सुबह 5 बजे से लाइन लगने के बावजूद खाद लेने के लिए जंग लड़ना पड़ रहा है.

मसौढ़ी में खाद के लिए जंग
मसौढ़ी में खाद के लिए जंग
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Published : Sep 24, 2021, 8:32 PM IST

पटना: यूरिया का आवंटन कम होने से बिहार के किसानों की परेशानी (Problem of Farmers) बढ़ती जा रही है. जुलाई में आंवटन से एक लाख टन कम खाद बिहार को मिला. उसके बाद स्थिति सुधरी लेकिन कमी की भरपाई नहीं जा सकी. लिहाजा इसका लाभ व्यापारी उठा रहे हैं और किसान परेशान हैं. बाढ़ वाले कुछ जिलों को छोड़ दें तो खाद के लिए रोज मारामारी की नौबत हो रही है. राजधानी पटना के मसौढ़ी ((Masaurhi) अनुमंडल में भी इन दिनों किसान खाद के जंग लड़ रहे हैं. घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाद समाप्त हो जा रही है.

ये भी पढ़ें : घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद खाद नहीं मिलने पर किसानों ने किया हंगामा

कुछ ऐसी ही स्थिति मसौढ़ी के कॉपरेटिव में वितरण केंद्र की है. जहां पर हजारों की संख्या में किसानों का हुजूम जद्दोजहद करते नजर आ रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने इस खाद केंद्र पर किसानों की समस्याओं पर उनसे बातचीत की. मसौढ़ी के खरांट गांव के रामाश्रय सिंह ने बताया कि अपने जिंदगी में पहली बार ऐसी हालात देख रहे हैं. ऐसी भीड़ कभी नहीं हुई है. खाद का संकट हमेशा हुआ है लेकिन इतना मारामारी और जद्दोजहद कभी नहीं देखी. आखिर कब तक हमलोग खाद के लिए जद्दोजहद करते रहेंगे.

देखें वीडियो

'आखिरकार सरकार की क्या तैयारी है. बरसात से पहले खूब लंबी चौड़ी बातें होती हैं कि खाद की किल्लत नहीं होगी. लेकिन ये देखिए खाद लेने के लिए हमें जंग लड़ना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के किसान के खाद के लिए रोजाना मारामारी और जद्दोजहद झेलना पड़ रहा है. प्रशासन हमारी समस्या पर गंभीरपूर्वक ध्यान नहीं दे रहा है.' :- रामाश्रय सिंह, किसान, मसौढ़ी

वहीं चपौर गांव के किसान सतीश सिंह ने बताया की सरकार खाद के मामले में पूरी तरह फेल है. कोई तैयारी नहीं है. ना ही कोई व्यवस्था है. किसानों को हर सरकारी शासन में मरना ही है. रोज सुबह 5 बजे तो कभी 3 बजे लाइन लगाकर खाद के लिए दुकान खुलने का इंतजार करते हैं. दुकान खुलते ही खाद के लिए जंग शुरू हो जाता है. घंटों बाद जद्दोजहद के बाद एक या दो बोरा खाद मिलता है, लेकिन मात्र दो बोरा से काम नहीं चलने वाला है.

वहीं पूरे मसले पर ईटीवी भारत ने फोन पर कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक अरविंद सिंह से बात की. उन्होंने कुछ दिनों बाद खाद का संकट खत्म होने का आश्वासन दिया है. खाद की अनुपलब्धता हो गई है. लगातार डिमांड के अनुसार सभी जगहों पर खाद का रैक उपलब्ध करवाया जा रहा है. खाद वितरण के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय थाना पुलिस को भी पत्र भेजा जाता है. कुछ दिनों के बाद खाद का संकट खत्म हो जायेगा.

इसे भी पढ़ें : खाद की कालाबाजारी रोकने पर अन्नदाता पर बरसी पुलिस की लाठी.. किसानों का हंगामा

बता दें कि राज्य में यूरिया किल्लत पर कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Amarendra Pratap Singh) ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि शुरुआती दौर में स्थिति कुछ ऐसी बनी थी. लेकिन केंद्र सरकार की मदद से हमने यूरिया की पूरी व्यवस्था कर ली है और अब किसी जिले में खाद की किल्लत नहीं होगी. हमने सभी जिलों का डाटा मंगवाया है. अधिकारियों से भी लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. कहीं से भी कोई शिकायत आती है तो अधिकारी उसपर कार्रवाई कर रहे हैं. हमारी कोशिश है कि धान की फसल में यूरिया डालने का समय है और ऐसे समय में किसानों को यूरिया की दिक्कत नहीं हो इसकी कोशिश हम कर रहे हैं.

पटना: यूरिया का आवंटन कम होने से बिहार के किसानों की परेशानी (Problem of Farmers) बढ़ती जा रही है. जुलाई में आंवटन से एक लाख टन कम खाद बिहार को मिला. उसके बाद स्थिति सुधरी लेकिन कमी की भरपाई नहीं जा सकी. लिहाजा इसका लाभ व्यापारी उठा रहे हैं और किसान परेशान हैं. बाढ़ वाले कुछ जिलों को छोड़ दें तो खाद के लिए रोज मारामारी की नौबत हो रही है. राजधानी पटना के मसौढ़ी ((Masaurhi) अनुमंडल में भी इन दिनों किसान खाद के जंग लड़ रहे हैं. घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाद समाप्त हो जा रही है.

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कुछ ऐसी ही स्थिति मसौढ़ी के कॉपरेटिव में वितरण केंद्र की है. जहां पर हजारों की संख्या में किसानों का हुजूम जद्दोजहद करते नजर आ रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने इस खाद केंद्र पर किसानों की समस्याओं पर उनसे बातचीत की. मसौढ़ी के खरांट गांव के रामाश्रय सिंह ने बताया कि अपने जिंदगी में पहली बार ऐसी हालात देख रहे हैं. ऐसी भीड़ कभी नहीं हुई है. खाद का संकट हमेशा हुआ है लेकिन इतना मारामारी और जद्दोजहद कभी नहीं देखी. आखिर कब तक हमलोग खाद के लिए जद्दोजहद करते रहेंगे.

देखें वीडियो

'आखिरकार सरकार की क्या तैयारी है. बरसात से पहले खूब लंबी चौड़ी बातें होती हैं कि खाद की किल्लत नहीं होगी. लेकिन ये देखिए खाद लेने के लिए हमें जंग लड़ना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के किसान के खाद के लिए रोजाना मारामारी और जद्दोजहद झेलना पड़ रहा है. प्रशासन हमारी समस्या पर गंभीरपूर्वक ध्यान नहीं दे रहा है.' :- रामाश्रय सिंह, किसान, मसौढ़ी

वहीं चपौर गांव के किसान सतीश सिंह ने बताया की सरकार खाद के मामले में पूरी तरह फेल है. कोई तैयारी नहीं है. ना ही कोई व्यवस्था है. किसानों को हर सरकारी शासन में मरना ही है. रोज सुबह 5 बजे तो कभी 3 बजे लाइन लगाकर खाद के लिए दुकान खुलने का इंतजार करते हैं. दुकान खुलते ही खाद के लिए जंग शुरू हो जाता है. घंटों बाद जद्दोजहद के बाद एक या दो बोरा खाद मिलता है, लेकिन मात्र दो बोरा से काम नहीं चलने वाला है.

वहीं पूरे मसले पर ईटीवी भारत ने फोन पर कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक अरविंद सिंह से बात की. उन्होंने कुछ दिनों बाद खाद का संकट खत्म होने का आश्वासन दिया है. खाद की अनुपलब्धता हो गई है. लगातार डिमांड के अनुसार सभी जगहों पर खाद का रैक उपलब्ध करवाया जा रहा है. खाद वितरण के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय थाना पुलिस को भी पत्र भेजा जाता है. कुछ दिनों के बाद खाद का संकट खत्म हो जायेगा.

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बता दें कि राज्य में यूरिया किल्लत पर कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Amarendra Pratap Singh) ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि शुरुआती दौर में स्थिति कुछ ऐसी बनी थी. लेकिन केंद्र सरकार की मदद से हमने यूरिया की पूरी व्यवस्था कर ली है और अब किसी जिले में खाद की किल्लत नहीं होगी. हमने सभी जिलों का डाटा मंगवाया है. अधिकारियों से भी लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. कहीं से भी कोई शिकायत आती है तो अधिकारी उसपर कार्रवाई कर रहे हैं. हमारी कोशिश है कि धान की फसल में यूरिया डालने का समय है और ऐसे समय में किसानों को यूरिया की दिक्कत नहीं हो इसकी कोशिश हम कर रहे हैं.

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