ETV Bharat / state

NMCH के दर पर सिर्फ इंतजार, न ऑक्सीजन न बेड...भटक रहे मरीज

author img

By

Published : Apr 30, 2021, 1:44 PM IST

Updated : Apr 30, 2021, 4:04 PM IST

कोविड नाम सुनते ही कितने लोगों के पैर तले जमीन खिसक जाती है. लेकिन सरकार और उनके प्रतिनिधि बड़े-बड़े दावे करना नहीं भूलते. भले ही अस्पताल में कुछ हो चाहे न हो. लेकिन कागज पर बड़े-बड़े काम दिखते नजर आ रहे हैं. एनएमसीएच में भी ऐसे ही बड़े काम हो रहे हैं. मरीज के परिजन ही डॉक्टर बन पल्स चेक करते हैं. ऑक्सीजन भी चढ़ा देते हैं.

परिजन
परिजन

पटनाः राजधानी के सारे अस्पताल कोरोना मरीजों से फुल हैं. हालत ये है कि मरीज जब अस्पताल पहुंच रहे है तो उन्हें अस्पताल में बेड के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. ये हालात इसलिए भी हैं क्योंकी निजी अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं और सरकारी में जगह नहीं है. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बात करें तो यहां मरीज के परिजनों को ही डॉक्टर बना दिया जा रहा है. जूनियर डॉक्टर परिजनों को ऑक्सीजन चढ़ाने को निर्देश देते हैं. इतना ही नहीं, परिजन ही पल्स भी चेक करते नजर आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें- चिताएं जल रही हैं, हाईकोर्ट पूछ रहा- बिहार में ये क्या हो रहा है?

NMCH के दर पर सिर्फ इंतजार
मसौढ़ी निवासी निर्मला देवी की तबीयत बिगड़ी तो परिजन उन्हें एंबुलेंस से लेकर एनएमसीएच अस्पताल पहुंचे. आईसीयू बेड खाली नहीं होने के कारण उन्हें घंटों एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा. इसके बाद भी बेड मिलेगा या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता है. मरीन के परिजन बताते है कि कोविड डेटिकेटेड अस्पताल नालन्दा मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था ऐसी है कि जो बीमार नहीं है वो भी तड़पने लग जाएं. यहां मरीज की सेवा परिजन डॉक्टर बनकर करते हैं.

पीड़ित
पीड़ित

पुलिस से डरते हैं परिजन
परिजनों को पुलिस का डर सताता है. सिस्टम के खिलाफ कुछ बोलेंगे तो पुलिस पकड़ लेगी. दारोगा जी पकड़कर जेल में डाल देंगे. इस बारे में परिजन बबिता बताती हैं कि हमें डॉक्टर कहते हैं कि हमारे पास यही व्यवस्था है. और कुछ चाहिए तो मंत्री जी से बोलिए.

यह भी पढ़ें- Bihar Corona Update:बिहार में कोरोना के एक्टिव केस एक लाख के पार, अब तक 2480 की गई जान

यह भी पढ़ें- 'मुन्ना शुक्ला पैदा ही हुआ है कानून तोड़ने के लिए, यहां गोली नहीं चलेगा तो अगरबत्ती जलेगा क्या'

यह भी पढ़ें- कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मी, पत्रकार और पुलिस का सरकार कराए 50 लाख का बीमा: मांझी

पटनाः राजधानी के सारे अस्पताल कोरोना मरीजों से फुल हैं. हालत ये है कि मरीज जब अस्पताल पहुंच रहे है तो उन्हें अस्पताल में बेड के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. ये हालात इसलिए भी हैं क्योंकी निजी अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं और सरकारी में जगह नहीं है. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बात करें तो यहां मरीज के परिजनों को ही डॉक्टर बना दिया जा रहा है. जूनियर डॉक्टर परिजनों को ऑक्सीजन चढ़ाने को निर्देश देते हैं. इतना ही नहीं, परिजन ही पल्स भी चेक करते नजर आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें- चिताएं जल रही हैं, हाईकोर्ट पूछ रहा- बिहार में ये क्या हो रहा है?

NMCH के दर पर सिर्फ इंतजार
मसौढ़ी निवासी निर्मला देवी की तबीयत बिगड़ी तो परिजन उन्हें एंबुलेंस से लेकर एनएमसीएच अस्पताल पहुंचे. आईसीयू बेड खाली नहीं होने के कारण उन्हें घंटों एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा. इसके बाद भी बेड मिलेगा या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता है. मरीन के परिजन बताते है कि कोविड डेटिकेटेड अस्पताल नालन्दा मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था ऐसी है कि जो बीमार नहीं है वो भी तड़पने लग जाएं. यहां मरीज की सेवा परिजन डॉक्टर बनकर करते हैं.

पीड़ित
पीड़ित

पुलिस से डरते हैं परिजन
परिजनों को पुलिस का डर सताता है. सिस्टम के खिलाफ कुछ बोलेंगे तो पुलिस पकड़ लेगी. दारोगा जी पकड़कर जेल में डाल देंगे. इस बारे में परिजन बबिता बताती हैं कि हमें डॉक्टर कहते हैं कि हमारे पास यही व्यवस्था है. और कुछ चाहिए तो मंत्री जी से बोलिए.

यह भी पढ़ें- Bihar Corona Update:बिहार में कोरोना के एक्टिव केस एक लाख के पार, अब तक 2480 की गई जान

यह भी पढ़ें- 'मुन्ना शुक्ला पैदा ही हुआ है कानून तोड़ने के लिए, यहां गोली नहीं चलेगा तो अगरबत्ती जलेगा क्या'

यह भी पढ़ें- कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मी, पत्रकार और पुलिस का सरकार कराए 50 लाख का बीमा: मांझी

Last Updated : Apr 30, 2021, 4:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.