पटनाः राजधानी के सारे अस्पताल कोरोना मरीजों से फुल हैं. हालत ये है कि मरीज जब अस्पताल पहुंच रहे है तो उन्हें अस्पताल में बेड के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. ये हालात इसलिए भी हैं क्योंकी निजी अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं और सरकारी में जगह नहीं है. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बात करें तो यहां मरीज के परिजनों को ही डॉक्टर बना दिया जा रहा है. जूनियर डॉक्टर परिजनों को ऑक्सीजन चढ़ाने को निर्देश देते हैं. इतना ही नहीं, परिजन ही पल्स भी चेक करते नजर आ रहे हैं.
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NMCH के दर पर सिर्फ इंतजार
मसौढ़ी निवासी निर्मला देवी की तबीयत बिगड़ी तो परिजन उन्हें एंबुलेंस से लेकर एनएमसीएच अस्पताल पहुंचे. आईसीयू बेड खाली नहीं होने के कारण उन्हें घंटों एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा. इसके बाद भी बेड मिलेगा या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता है. मरीन के परिजन बताते है कि कोविड डेटिकेटेड अस्पताल नालन्दा मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था ऐसी है कि जो बीमार नहीं है वो भी तड़पने लग जाएं. यहां मरीज की सेवा परिजन डॉक्टर बनकर करते हैं.
पुलिस से डरते हैं परिजन
परिजनों को पुलिस का डर सताता है. सिस्टम के खिलाफ कुछ बोलेंगे तो पुलिस पकड़ लेगी. दारोगा जी पकड़कर जेल में डाल देंगे. इस बारे में परिजन बबिता बताती हैं कि हमें डॉक्टर कहते हैं कि हमारे पास यही व्यवस्था है. और कुछ चाहिए तो मंत्री जी से बोलिए.
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