पटना: बिहार की राजधानी पटना में फर्जी प्रमाण पत्र (Fake Documents) पर शिक्षक बनने का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले को लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (District Program Officer) ने मसौढ़ी के प्रखंड विकास पदाधिकारी को उक्त फर्जी शिक्षक (Fake Teacher) पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है.
इसे भी पढ़ें: शिक्षा विभाग और संघ आमने-सामने, महज 11000 शिक्षकों ने अब तक अपलोड किया सर्टिफिकेट
मामला मसौढ़ी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय का है. जहां शिक्षक मोहन रविदास अपने फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षक की नौकरी कर रहे थे. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अरुण कुमार मिश्रा ने इसकी जांच की. जिसे लेकर जांचकर्ता निगरानी अन्वेषण ब्यूरो कैंप (National Investigation Agency) के द्वारा जांच के आलोक में सत्यता पाई गई.
ये भी पढ़ें: Bihar News: शिक्षकों से सवाल पर सवाल... नियोजन इकाइयों पर क्यों मेहरबान है सरकार?
जांच के क्रम में पाया गया कि शिक्षक मोहन रविदास का सभी प्रमाण पत्र फर्जी है. जिसे लेकर कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा मसौढ़ी के प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई को निर्देश दिया गया है कि फर्जी प्रमाण पत्र के आलोक में उन पर एफआईआर की जाए. इसके साथ ही वेतन मद में ली गई सभी राशि की वसूली करते हुए नीलामवाद पत्र दायर की जाए.
बता दें कि वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के दौरान सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ की तर्ज पर विभिन्न पंचायत इकाइयों में नौकरी कर रहे बिहार के करीब 90,000 शिक्षकों को निगरानी विभाग ने उनके सर्टिफिकेट वेरीफाई नहीं होने की स्थिति में संदिग्ध की श्रेणी में रखा था.ऐसे शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने 21 जून से 20 जुलाई के बीच अपने सर्टिफिकेट एनआईसी पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया था.
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि जो शिक्षक 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे उन्हें फर्जी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने साफ कर दिया था कि 20 जुलाई तक संदिग्ध की श्रेणी में शामिल जो टीचर अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे उन्हें न सिर्फ नौकरी से निकाला जाएगा, बल्कि उनसे वेतन की वसूली होगी और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी.