पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. संक्रमितों का आंकड़ा लगभग एक लाख के करीब पहुंच गया है. इस सब के बीच चुनाव आयोग ने तय समय पर चुनाव कराए जाने को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है.
बता दें कि बिहार की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो जाएगा. नवंबर तक सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी की जानी है. ऐसे में आयोग के सामने संक्रमण के बीच चुनाव को सुरक्षित तरीके से संपन्न कराना किसी चुनौती से कम नहीं है. अगर चुनाव नियत समय पर नहीं हुए तो, ऐसी स्थिति में सरकार और आयोग के क्या विकल्प मौजूद होंगे. जानने के लिए पढ़े पूरी खबर.
चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों के अपने-अपने मत हैं. एक ओर विपक्षी दलों ने जहां चुनाव को आगे टालने की मांग की थी. वहीं, सत्ता पक्ष के लोगों ने तय समय पर चुनाव की पैरवी की थी. इन सब के बीच सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि एनडीए सरकार की सहयोगी लोजपा का मत विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू और भाजपा के स्टैंड से इतर रहा. पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव टालने की मांग की थी.
तय समय पर चुनाव नहीं है तो लग सकता है राष्ट्रपति शासन
बता दें कि बिहार की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो जाएगा. ऐसे में आयोग नवंबर से पहले बिहार में चुनाव संपन्न करना चाह रही है. लेकिन नवंबर आने में अभी भी दो महीने से अधिक का समय बचा हुआ है. विशेषज्ञों की माने तो आने वाले समय में बिहार में बाढ़ की विभीषीका भले ही कम हो जाए, लेकिन संक्रमण की स्थिति विकराल हो सकती है. ऐसे हालात में अगर चुनाव नियत समय से आगे के लिए टाले गए, तो संभव है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लग जाए.
मौजूदा हालातों को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि अगर बिहार विधान सभा चुनाव नियत समय पर नहीं हुए तो, आयोग और बिहार सरकार के समाने कितने विकल्प होंगे. इसको लेकर विधान और कानून के जानकार के अलग-अलद मत हैं. जहां एक ओर संविधान विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का मानना है कि अगर चुनाव नियत समय पर नहीं हुए तो, ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार के सामने तीन विकल्प मौजूद होंगे.
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहे तो समय से पहले विधानसभा भंग करने की सिफारिश पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रह सकते है.
- केंद्र बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है.
- केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर विधानसभा के कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ा दे.
'सीएम नीतीश को मिल सकता है एक्सटेंशन'
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार प्रो. डीएम दिवाकर के तर्क से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. संजय कुमार का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 172 के मुताबिक आपातकाल की स्थिति में केंद्र सरकार किसी भी राज्य की सरकार को 6 महीने या 1 साल का एक्सटेंशन दे सकती है.लेकिन सामान्य परिस्थिति में यह संभव नहीं है लिहाजा राष्ट्रपति शासन ही एक विकल्प है.
'सीएम नीतीश बने रह सकते हैं कार्यवाहक मुख्यमंत्री'
कानून के जानकार अधिवक्ता सत्यव्रत वर्मा कि माने तो अगर बिहार में नवंबर तक चुनाव नहीं हुए तो ऐसी स्थिति में संविधान की धारा 172 लागू हो जाएगी. इन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन ही एक विकल्प होगा. वहीं, सीएम नीतीश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंनें कहा कि नीतीश कुमार कार्यवाहक सीएम नहीं बने रहे सकते. संविधान के मुताबिक केंद्र सरकार बिहार सरकार को एक्सटेंशन भी नहीं दे सकती है. क्योंकि, यह केवल केंद्र सरकार के मामले में लागू होता है. यह राज्य सरकार के मामले में लागू ही नहीं होता है.