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बिहार में भी एयरपोर्ट से लेकर सड़कों को निजी हाथों में दिया जाएगा, विशेषज्ञ ने कहा- इससे होगा नुकसान

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Published : Aug 25, 2021, 7:33 PM IST

बिहार में एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन से लेकर सड़कों को निजी हाथों में देने की तैयारी है. इसमें पटना एयरपोर्ट, पटना रेलवे स्टेशन और सात प्रमुख सड़कें शामिल हैं. विशेषज्ञ केंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Patna Airport
पटना एयरपोर्ट

पटना: केंद्र सरकार (Central Government) ने सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में देकर 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना लॉन्च की है. 13 तरह की सरकारी संपत्तियों को बेचा या लीज पर दिया जाएगा. इसमें बिहार का पटना एयरपोर्ट, पटना रेलवे स्टेशन और सात प्रमुख सड़कें भी हैं. पटना एयरपोर्ट से 1 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. 2023 तक पटना एयरपोर्ट को लीज पर दे दिया जाएगा. यह चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. केंद्र सरकार के फैसले पर बिहार के विशेषज्ञ सवाल खड़ा कर रहे हैं. वहीं, इसपर सियासत भी शुरू हो गई है.

यह भी पढ़ें- हाईटेक हैं पटना-दिल्ली तेजस एक्सप्रेस के कोच, प्लेन की तरह है टॉयलेट सिस्टम... जानें क्या-क्या है खास

केंद्र सरकार ने सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में देकर बड़ी धन उगाही का फैसला लिया है. इसमें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, सड़कें, गैस पाइपलाइन सहित कई क्षेत्र शामिल हैं. बिहार के विशेषज्ञ इसपर सवाल खड़ा कर रहे हैं. एएन सिन्हा शोध संस्थान के प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास ने कहा, 'केंद्र सरकार का फैसला देश हित में नहीं है. इससे लोगों को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ेगा. सरकारी नौकरियां एक झटके में खत्म हो जाएंगी. यदि निजी कंपनियों के भरोसे ही विकास करना है और आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो निजी कंपनियों को एफडीआई लाना चाहिए. बिहार जैसे प्रदेश पर तो इसका खासा असर पड़ेगा, बेरोजगारी और बढ़ेगी.'

देखें रिपोर्ट
केंद्र सरकार के फैसले पर बिहार में सियासत भी शुरू है. प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी के वरिष्ठ नेता आलोक मेहता ने कहा, 'हमलोग तो शुरू से कहते रहे हैं कि ये लोग देश बेचने आए हैं. पहले स्टॉलमेंट में निजी हाथों में दे रहे थे अब एकमुस्त देने का फैसला लिया है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. लोग ठगे महसूस कर रहे हैं.'


एनडीए के सहयोगी जदयू का प्रदेश नेतृत्व इसे राष्ट्रीय मुद्दा बता रहा है और कुछ भी बोलने से बच रहा है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा, 'राष्ट्रीय नेता ही इस पर पार्टी का मत रखेंगे.' वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा, 'विपक्ष के पास कोई सकारात्मक सोच नहीं है. नरेंद्र मोदी सरकार देश के विकास के लिए काम कर रही है और किसी भी सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में बेचा नहीं जा रहा है.'

बता दें कि मुद्रीकरण द्वारा निजी क्षेत्रों को सरकार की अचल संपत्तियों को सिर्फ संचालित करने और रखरखाव की जिम्मेवारी दी जाती है. एक समय अवधि के बाद निजी क्षेत्र को इसे सरकार को सौंपना होता है. सरकार मुद्रीकरण के जरिए धन जुटाती है. इसका इस्तेमाल विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने 13 तरह की सरकारी संपत्तियों की हिस्सेदारी बेचने या लीज पर देने का फैसला लिया है.

केंद्र सरकार ने रेलवे से 1.5 लाख करोड़, हाईवे से 1.6 लाख करोड़, पावर ट्रांसमिशन से 45200 करोड़, पावर जेनरेशन से 40832 करोड़, टेलीकॉम से 35100 करोड़, वेयरहाउसिंग से 28900 करोड़, नेचुरल गैस पाइपलाइन से 24462 करोड़, प्रोडक्ट पाइपलाइन और अन्य से 22504 करोड़, खनन से 9747 करोड़, एविएशन से 20783 करोड़, बंदरगाह से 12828 करोड़, स्टेडियम से 11450 करोड़ और रियल एस्टेट से 15000 करोड़ रुपए प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 से 2025 तक के लिए यह योजना है. इस अवधि में 6 लाख करोड़ रुपये की संपदा का मुद्रीकरण करने की तैयारी है. नीति आयोग ने संबंधित मंत्रालयों के साथ गहन मंत्रणा के बाद इसे तैयार किया है.

2023 तक पटना एयरपोर्ट को लीज पर देने की तैयारी है. इससे 1000 करोड़ जुटाने की योजना है. बिहार की सात प्रमुख सड़कों को भी निजी हाथों में दिया जाएगा. ये सड़कें हाजीपुर-मुजफ्फरपुर (39 किलोमीटर), पूर्णिया-दालकोला (36 किलोमीटर), कोटवा-मेहसी-मुजफ्फरपुर (80 किलोमीटर), खगड़िया-पूर्णिया (70 किलोमीटर), मुजफ्फरपुर-सोनवर्षा (142 किलोमीटर), बाराचट्टी-गोरहर (80 किलोमीटर) और मोकामा-मुंगेर (69 किलोमीटर) हैं. पटना जंक्शन को भी निजी हाथों में दिया जाएगा. यहां से प्राइवेट ट्रेनें भी चलेंगी.

केंद्र सरकार ने इसे चरणबद्ध तरीके से 2025 तक अमल में लाने की घोषणा की है. पहली बार केंद्र सरकार की ओर से सरकारी संपत्तियों को इतने बड़े पैमाने पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हो रही है. रेलवे, सड़क, स्टेडियम, एयरपोर्ट से लेकर सभी महत्वपूर्ण सरकारी संपत्तियां हैं. सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है और इससे देश के विकास को नई दिशा देने की बात की जा रही है. हालांकि सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में कितने सालों तक दिया जाएगा और कितनी हिस्सेदारी होगी इसकी घोषणा बाद में की जाएगी.

यह भी पढ़ें- नीतीश-तेजस्वी के इस फोटो पर 'रीढ़ की हड्डी' वाली राजनीति, RJD-NDA में वार-पलटवार

पटना: केंद्र सरकार (Central Government) ने सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में देकर 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना लॉन्च की है. 13 तरह की सरकारी संपत्तियों को बेचा या लीज पर दिया जाएगा. इसमें बिहार का पटना एयरपोर्ट, पटना रेलवे स्टेशन और सात प्रमुख सड़कें भी हैं. पटना एयरपोर्ट से 1 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. 2023 तक पटना एयरपोर्ट को लीज पर दे दिया जाएगा. यह चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. केंद्र सरकार के फैसले पर बिहार के विशेषज्ञ सवाल खड़ा कर रहे हैं. वहीं, इसपर सियासत भी शुरू हो गई है.

यह भी पढ़ें- हाईटेक हैं पटना-दिल्ली तेजस एक्सप्रेस के कोच, प्लेन की तरह है टॉयलेट सिस्टम... जानें क्या-क्या है खास

केंद्र सरकार ने सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में देकर बड़ी धन उगाही का फैसला लिया है. इसमें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, सड़कें, गैस पाइपलाइन सहित कई क्षेत्र शामिल हैं. बिहार के विशेषज्ञ इसपर सवाल खड़ा कर रहे हैं. एएन सिन्हा शोध संस्थान के प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास ने कहा, 'केंद्र सरकार का फैसला देश हित में नहीं है. इससे लोगों को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ेगा. सरकारी नौकरियां एक झटके में खत्म हो जाएंगी. यदि निजी कंपनियों के भरोसे ही विकास करना है और आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो निजी कंपनियों को एफडीआई लाना चाहिए. बिहार जैसे प्रदेश पर तो इसका खासा असर पड़ेगा, बेरोजगारी और बढ़ेगी.'

देखें रिपोर्ट
केंद्र सरकार के फैसले पर बिहार में सियासत भी शुरू है. प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी के वरिष्ठ नेता आलोक मेहता ने कहा, 'हमलोग तो शुरू से कहते रहे हैं कि ये लोग देश बेचने आए हैं. पहले स्टॉलमेंट में निजी हाथों में दे रहे थे अब एकमुस्त देने का फैसला लिया है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. लोग ठगे महसूस कर रहे हैं.'


एनडीए के सहयोगी जदयू का प्रदेश नेतृत्व इसे राष्ट्रीय मुद्दा बता रहा है और कुछ भी बोलने से बच रहा है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा, 'राष्ट्रीय नेता ही इस पर पार्टी का मत रखेंगे.' वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा, 'विपक्ष के पास कोई सकारात्मक सोच नहीं है. नरेंद्र मोदी सरकार देश के विकास के लिए काम कर रही है और किसी भी सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में बेचा नहीं जा रहा है.'

बता दें कि मुद्रीकरण द्वारा निजी क्षेत्रों को सरकार की अचल संपत्तियों को सिर्फ संचालित करने और रखरखाव की जिम्मेवारी दी जाती है. एक समय अवधि के बाद निजी क्षेत्र को इसे सरकार को सौंपना होता है. सरकार मुद्रीकरण के जरिए धन जुटाती है. इसका इस्तेमाल विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने 13 तरह की सरकारी संपत्तियों की हिस्सेदारी बेचने या लीज पर देने का फैसला लिया है.

केंद्र सरकार ने रेलवे से 1.5 लाख करोड़, हाईवे से 1.6 लाख करोड़, पावर ट्रांसमिशन से 45200 करोड़, पावर जेनरेशन से 40832 करोड़, टेलीकॉम से 35100 करोड़, वेयरहाउसिंग से 28900 करोड़, नेचुरल गैस पाइपलाइन से 24462 करोड़, प्रोडक्ट पाइपलाइन और अन्य से 22504 करोड़, खनन से 9747 करोड़, एविएशन से 20783 करोड़, बंदरगाह से 12828 करोड़, स्टेडियम से 11450 करोड़ और रियल एस्टेट से 15000 करोड़ रुपए प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 से 2025 तक के लिए यह योजना है. इस अवधि में 6 लाख करोड़ रुपये की संपदा का मुद्रीकरण करने की तैयारी है. नीति आयोग ने संबंधित मंत्रालयों के साथ गहन मंत्रणा के बाद इसे तैयार किया है.

2023 तक पटना एयरपोर्ट को लीज पर देने की तैयारी है. इससे 1000 करोड़ जुटाने की योजना है. बिहार की सात प्रमुख सड़कों को भी निजी हाथों में दिया जाएगा. ये सड़कें हाजीपुर-मुजफ्फरपुर (39 किलोमीटर), पूर्णिया-दालकोला (36 किलोमीटर), कोटवा-मेहसी-मुजफ्फरपुर (80 किलोमीटर), खगड़िया-पूर्णिया (70 किलोमीटर), मुजफ्फरपुर-सोनवर्षा (142 किलोमीटर), बाराचट्टी-गोरहर (80 किलोमीटर) और मोकामा-मुंगेर (69 किलोमीटर) हैं. पटना जंक्शन को भी निजी हाथों में दिया जाएगा. यहां से प्राइवेट ट्रेनें भी चलेंगी.

केंद्र सरकार ने इसे चरणबद्ध तरीके से 2025 तक अमल में लाने की घोषणा की है. पहली बार केंद्र सरकार की ओर से सरकारी संपत्तियों को इतने बड़े पैमाने पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हो रही है. रेलवे, सड़क, स्टेडियम, एयरपोर्ट से लेकर सभी महत्वपूर्ण सरकारी संपत्तियां हैं. सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है और इससे देश के विकास को नई दिशा देने की बात की जा रही है. हालांकि सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में कितने सालों तक दिया जाएगा और कितनी हिस्सेदारी होगी इसकी घोषणा बाद में की जाएगी.

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