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Bihar Teacher Niyamawali 2023: योजना को मूर्त रूप देने में BPSC को लग जाएंगे 40 साल, शिक्षकों को सरकार ने थमाया लॉलीपॉप!

बिहार में नई शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी दे दी गई है. नई नियमावली के जरिए नियोजित शिक्षकों को लॉलीपॉप देने की कोशिश की गई है, सरकार ने कहा है कि जो शिक्षक बीपीएससी की परीक्षा पास कर जाएंगे उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा. सवाल यह उठता है कि वर्तमान संसाधनों में बीपीएससी को परीक्षा कंडक्ट कराने में बरसों लग जाएंगे और तब तक नियोजित शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे.

नियोजित शिक्षक
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Published : Apr 17, 2023, 7:19 AM IST

बिहार में नई शिक्षक भर्ती नियमावली पर एक्सपर्ट की राय

पटनाः बिहार में डेढ़ दशक से शिक्षकों की भर्ती की जा रही है, भर्ती के लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई गई. हाल के कुछ वर्षों में स्थानीय निकाय के जरिए शिक्षकों की भर्ती की गई. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार ने एक बार फिर नीतियों में बदलाव किया है और अब बीपीएससी के जरिए शिक्षक भर्ती की योजना बनाई गई है, नई शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी भी मिल गई है. नई नियमावली के तहत फिलहाल 228000 शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है बीपीएससी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, बीपीएससी परीक्षा के जरिए शिक्षकों की भर्ती होगी, जो शिक्षक पहले से नौकरी करते आ रहे हैं उन्हें भी बीपीएससी की परीक्षा में सम्मिलित होने की छूट दी गई है और वह भी परीक्षा पास कर आकर्षक वेतन और राज्यकर्मी का दर्जा हासिल कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः फोल्डर मेंटेंन नहीं होने से बिहार के लाखों शिक्षकों की नौकरी पर मंडरा रहा खतरा, विभाग ने नहीं लिया सबक

प्रक्रिया पूरी करने में 40 साल लग जाएंगे: सरकार के लिए नई नियमावली अपने-अप में बड़ी चुनौती है. फिलहाल 228000 पद शिक्षकों के खाली हैं पहले इतने शिक्षकों की भर्ती विज्ञप्ति के जरिए की जाएगी उसके बाद 400000 शिक्षक भी इंतजार में बैठे हैं, वह भी बीपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए उतावले होंगे. बिहार लोक सेवा आयोग हर साल 10 से 12000 युवाओं को नौकरी देने के लिए प्रक्रिया पूरी कर पाती है. नई नियमावली के तहत बिहार लोक सेवा आयोग को कुल मिलाकर 628000 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती करनी होगी, वर्तमान क्षमता के हिसाब से अगर आकलन करें तो बिहार लोक सेवा आयोग को कितने छात्रों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराने और प्रक्रिया पूरी करने में 40 साल लग जाएंगे.

'सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं': शिक्षकों के पक्ष में लगातार आवाज बुलंद करने वाले शिक्षक नेता संतोष श्रीवास्तव का मानना है कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है बार-बार नियोजित शिक्षकों से परीक्षा ली जा रही है और हर बार नई नियमावली सामने आ जाती है बिहार में बीपीएससी को कुल मिलाकर छ: लाख से ज्यादा शिक्षकों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराना है और इसमें बीपीएससी को 40 साल से ज्यादा समय लग जाएंगे. इस दौरान ज्यादातर शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे सरकार से शिक्षकों के मामले को उलझा कर रखना चाहती है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि सरकार की जो योजना है उसको मूर्त रूप देना बीपीएससी के लिए आसान नहीं होगा वर्तमान संसाधन के लिहाज से बिहार लोक सेवा आयोग को बरसो लग जाएंगे.
"बिहार में बीपीएससी को कुल मिलाकर छे लाख से ज्यादा शिक्षकों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराना है और इसमें बीपीएससी को 40 साल से ज्यादा समय लग जाएंगे. इस दौरान ज्यादातर शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे सरकार से शिक्षकों के मामले को उलझा कर रखना चाहती है"- संतोष श्रीवास्तव, शिक्षक नेता

'सरकार की योजना बेहतर है': वहीं, अर्थशास्त्री और प्राध्यापक डॉक्टर विद्यार्थी विकास का मानना है कि सरकार की योजना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बेहतर है. संभव है कि पहले 228000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उसके बाद वैकेंसी के हिसाब से पहले से कार्य कर रहे शिक्षकों को मौका मिलेगा जाहिर है कि काम में समय लग सकता है. जबकि शिक्षा जगत से जुड़े डॉ संजय कुमार मानते हैं कि सरकार की नीति उलझाने वाली है आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही सरकार प्रक्रिया को लंबा खींचना चाहती है, सरकार के नीति में ही द्वंद है सरकार कितने समय में प्रक्रिया पूरी करेगी यह स्पष्ट नहीं है.

"सरकार की नीति उलझाने वाली हैं. आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही सरकार प्रक्रिया को लंबा खींचना चाहती है. सरकार के नीति में ही द्वंद है सरकार कितने समय में प्रक्रिया पूरी करेगी यह स्पष्ट नहीं है"- डॉ संजय कुमार, जानकार, शिक्षा जगत

बिहार में नई शिक्षक भर्ती नियमावली पर एक्सपर्ट की राय

पटनाः बिहार में डेढ़ दशक से शिक्षकों की भर्ती की जा रही है, भर्ती के लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई गई. हाल के कुछ वर्षों में स्थानीय निकाय के जरिए शिक्षकों की भर्ती की गई. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार ने एक बार फिर नीतियों में बदलाव किया है और अब बीपीएससी के जरिए शिक्षक भर्ती की योजना बनाई गई है, नई शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी भी मिल गई है. नई नियमावली के तहत फिलहाल 228000 शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है बीपीएससी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, बीपीएससी परीक्षा के जरिए शिक्षकों की भर्ती होगी, जो शिक्षक पहले से नौकरी करते आ रहे हैं उन्हें भी बीपीएससी की परीक्षा में सम्मिलित होने की छूट दी गई है और वह भी परीक्षा पास कर आकर्षक वेतन और राज्यकर्मी का दर्जा हासिल कर सकते हैं.

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प्रक्रिया पूरी करने में 40 साल लग जाएंगे: सरकार के लिए नई नियमावली अपने-अप में बड़ी चुनौती है. फिलहाल 228000 पद शिक्षकों के खाली हैं पहले इतने शिक्षकों की भर्ती विज्ञप्ति के जरिए की जाएगी उसके बाद 400000 शिक्षक भी इंतजार में बैठे हैं, वह भी बीपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए उतावले होंगे. बिहार लोक सेवा आयोग हर साल 10 से 12000 युवाओं को नौकरी देने के लिए प्रक्रिया पूरी कर पाती है. नई नियमावली के तहत बिहार लोक सेवा आयोग को कुल मिलाकर 628000 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती करनी होगी, वर्तमान क्षमता के हिसाब से अगर आकलन करें तो बिहार लोक सेवा आयोग को कितने छात्रों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराने और प्रक्रिया पूरी करने में 40 साल लग जाएंगे.

'सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं': शिक्षकों के पक्ष में लगातार आवाज बुलंद करने वाले शिक्षक नेता संतोष श्रीवास्तव का मानना है कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है बार-बार नियोजित शिक्षकों से परीक्षा ली जा रही है और हर बार नई नियमावली सामने आ जाती है बिहार में बीपीएससी को कुल मिलाकर छ: लाख से ज्यादा शिक्षकों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराना है और इसमें बीपीएससी को 40 साल से ज्यादा समय लग जाएंगे. इस दौरान ज्यादातर शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे सरकार से शिक्षकों के मामले को उलझा कर रखना चाहती है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि सरकार की जो योजना है उसको मूर्त रूप देना बीपीएससी के लिए आसान नहीं होगा वर्तमान संसाधन के लिहाज से बिहार लोक सेवा आयोग को बरसो लग जाएंगे.
"बिहार में बीपीएससी को कुल मिलाकर छे लाख से ज्यादा शिक्षकों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराना है और इसमें बीपीएससी को 40 साल से ज्यादा समय लग जाएंगे. इस दौरान ज्यादातर शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे सरकार से शिक्षकों के मामले को उलझा कर रखना चाहती है"- संतोष श्रीवास्तव, शिक्षक नेता

'सरकार की योजना बेहतर है': वहीं, अर्थशास्त्री और प्राध्यापक डॉक्टर विद्यार्थी विकास का मानना है कि सरकार की योजना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बेहतर है. संभव है कि पहले 228000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उसके बाद वैकेंसी के हिसाब से पहले से कार्य कर रहे शिक्षकों को मौका मिलेगा जाहिर है कि काम में समय लग सकता है. जबकि शिक्षा जगत से जुड़े डॉ संजय कुमार मानते हैं कि सरकार की नीति उलझाने वाली है आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही सरकार प्रक्रिया को लंबा खींचना चाहती है, सरकार के नीति में ही द्वंद है सरकार कितने समय में प्रक्रिया पूरी करेगी यह स्पष्ट नहीं है.

"सरकार की नीति उलझाने वाली हैं. आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही सरकार प्रक्रिया को लंबा खींचना चाहती है. सरकार के नीति में ही द्वंद है सरकार कितने समय में प्रक्रिया पूरी करेगी यह स्पष्ट नहीं है"- डॉ संजय कुमार, जानकार, शिक्षा जगत

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