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5 की बजाय बजट की 15% राशि स्वास्थ्य पर हो खर्च, तभी 'स्वस्थ' होगा बिहार

स्वास्थ्य विभाग के बिहार बजट पर अनुग्रह नारायण शिक्षण संस्थान के सदस्य प्रो. डीएम दिवाकर का मानना है कि कोरोना काल के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. आम आदमी को जिस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. उसके बाद राज्य की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत सबके सामने आ गई. बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए स्वास्थ्य विभाग का बजट 5% से बढ़ाकर 15% तक करना चाहिए.

Bihar budget 2021
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Published : Jan 29, 2021, 8:03 PM IST

पटना: कोरोना महामारी के बाद पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था का स्वरूप बदल गया. 19 फरवरी से बिहार का बजट सत्र शुरू होने वाला है. इस बार के सत्र में स्वास्थ्य महकमा के हिस्से आने वाले बजट पर सभी की निगाहें टिकी है.

स्वास्थ्य सेवा के लोग और अर्थशास्त्री का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य बजट में डेढ़ से 3 गुना तक की बढ़ोतरी होनी चाहिए. वर्तमान में कुल बजट का 5 प्रतिशत स्वास्थ्य महकमा पर खर्च किया जाता है. लेकिन कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था के बदले स्वरूप के बाद बजट बढ़ाना समय की मांग मानी जा रही है.

एक्सपर्ट की राय

पिछले 2 वर्षों में स्वास्थ्य विभाग को मिला बजट

  • 2019-2020 में कुल बजट 1 लाख 98 करोड़
  • स्वास्थ्य विभाग को मिला 5149.45 करोड़ रुपये(5.15%)
  • 2020-2021 में कुल बजट 1 लाख 52 हजार 62 करोड़
  • स्वास्थ्य विभाग को मिले 5610 करोड़ रुपये (5.33%)

'राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के संसाधन को बढ़ाने की जरूरत है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के वेतन में भी दोगुनी वृद्धि होनी चाहिए. साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अन्य अस्पतालों के भवन और बुनियादी जरूरत को दुरुस्त किया जाना चाहिए. आम आदमी को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा मिले. इसके लिए तमाम सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त इलाज के उपक्रम और दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए. इन तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए स्वास्थ विभाग के बजट में 2 गुना बढ़ोतरी होनी चाहिए': डॉ. सुनील कुमार, सचिव इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, बिहार

प्रेम कुमार मणि, पूर्व एमएलसी और राजनीतिक चिंतक
प्रेम कुमार मणि, पूर्व एमएलसी और राजनीतिक चिंतक

पूर्व एमएलसी और राजनीतिक चिंतक प्रेम कुमार मणि का मानना है कि नीतीश कुमार समाजवादी पृष्ठभूमि के नेता हैं लिहाजा उनसे गरीबों और वंचितों के बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में जिस तरह से स्वास्थ्य महकमा सबसे महत्वपूर्ण बन गया. इसके बाद स्वास्थ विभाग में बजट का आकार बढ़ाना बेहद जरूरी है. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि लंदन की तर्ज पर बिहार में भी एक स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली लागू होनी चाहिए. ताकि सामान्य और गरीब वर्ग के लोगों को निजी संस्थानों से निजात मिल सके.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ डीएम दिवाकर
स्वास्थ्य विभाग के बिहार बजट पर अनुग्रह नारायण शिक्षण संस्थान के सदस्य प्रो. डीएम दिवाकर का मानना है कि कोरोना काल के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. आम आदमी को जिस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. उसके बाद राज्य की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत सबके सामने आ गई. बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए स्वास्थ्य विभाग का बजट 5% से बढ़ाकर 15% तक करना चाहिए. ताकि बिहार की आम जनता को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी नहीं, बल्कि सरकारी संस्थानों पर भरोसा बढ़े. डीएम दिवाकर ने कहा कि आम आदमी को निजी संस्थानों में ना जाना पड़े. इसका ख्याल रखते हुए सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है.

पटना: कोरोना महामारी के बाद पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था का स्वरूप बदल गया. 19 फरवरी से बिहार का बजट सत्र शुरू होने वाला है. इस बार के सत्र में स्वास्थ्य महकमा के हिस्से आने वाले बजट पर सभी की निगाहें टिकी है.

स्वास्थ्य सेवा के लोग और अर्थशास्त्री का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य बजट में डेढ़ से 3 गुना तक की बढ़ोतरी होनी चाहिए. वर्तमान में कुल बजट का 5 प्रतिशत स्वास्थ्य महकमा पर खर्च किया जाता है. लेकिन कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था के बदले स्वरूप के बाद बजट बढ़ाना समय की मांग मानी जा रही है.

एक्सपर्ट की राय

पिछले 2 वर्षों में स्वास्थ्य विभाग को मिला बजट

  • 2019-2020 में कुल बजट 1 लाख 98 करोड़
  • स्वास्थ्य विभाग को मिला 5149.45 करोड़ रुपये(5.15%)
  • 2020-2021 में कुल बजट 1 लाख 52 हजार 62 करोड़
  • स्वास्थ्य विभाग को मिले 5610 करोड़ रुपये (5.33%)

'राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के संसाधन को बढ़ाने की जरूरत है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के वेतन में भी दोगुनी वृद्धि होनी चाहिए. साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अन्य अस्पतालों के भवन और बुनियादी जरूरत को दुरुस्त किया जाना चाहिए. आम आदमी को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा मिले. इसके लिए तमाम सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त इलाज के उपक्रम और दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए. इन तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए स्वास्थ विभाग के बजट में 2 गुना बढ़ोतरी होनी चाहिए': डॉ. सुनील कुमार, सचिव इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, बिहार

प्रेम कुमार मणि, पूर्व एमएलसी और राजनीतिक चिंतक
प्रेम कुमार मणि, पूर्व एमएलसी और राजनीतिक चिंतक

पूर्व एमएलसी और राजनीतिक चिंतक प्रेम कुमार मणि का मानना है कि नीतीश कुमार समाजवादी पृष्ठभूमि के नेता हैं लिहाजा उनसे गरीबों और वंचितों के बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में जिस तरह से स्वास्थ्य महकमा सबसे महत्वपूर्ण बन गया. इसके बाद स्वास्थ विभाग में बजट का आकार बढ़ाना बेहद जरूरी है. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि लंदन की तर्ज पर बिहार में भी एक स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली लागू होनी चाहिए. ताकि सामान्य और गरीब वर्ग के लोगों को निजी संस्थानों से निजात मिल सके.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ डीएम दिवाकर
स्वास्थ्य विभाग के बिहार बजट पर अनुग्रह नारायण शिक्षण संस्थान के सदस्य प्रो. डीएम दिवाकर का मानना है कि कोरोना काल के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. आम आदमी को जिस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. उसके बाद राज्य की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत सबके सामने आ गई. बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए स्वास्थ्य विभाग का बजट 5% से बढ़ाकर 15% तक करना चाहिए. ताकि बिहार की आम जनता को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी नहीं, बल्कि सरकारी संस्थानों पर भरोसा बढ़े. डीएम दिवाकर ने कहा कि आम आदमी को निजी संस्थानों में ना जाना पड़े. इसका ख्याल रखते हुए सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है.

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