पटना: बिहार में डॉक्टर, नर्स, एंबुलेंस कर्मी सहित अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे. इसका कारण यह है कि बहुत जल्द बिहार सरकार राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं के कर्मचारियों पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून(एस्मा) लागू करने जा रही है. इस कानून के लागू होने के बाद किसी भी स्वास्थ्य सेवक के हड़ताल पर जाने के बाद उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी.
डॉक्टरों पर हो पाएगी कानूनी कार्रवाई
ईटीवी भारत के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक आगामी कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग जायेगी. दरअसल, आए दिन राज्य के कई जिलों से डॉक्टर, नर्स या एंबुलेंस कर्मी के हड़ताल पर जाने की खबरें मिलती रहती हैं. जिसके कारण राज्य के लोग खासतौर पर मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर बात करें राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच की तो साल में सबसे अधिक यहीं पर जूनियर डॉक्टरों द्वारा हड़ताल की जाती है. लेकिन, जब एस्मा कानून लागू हो जाएगा तब कोई भी स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे. हड़ताल पर जाने के बाद उस पर कानूनी कार्रवाई भी स्वास्थ्य विभाग करेगा.
क्या होता है एस्मा?
एस्मा यानी 'आवश्यक सेवा आरक्षण कानून'. हड़ताल को रोकने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया जाता है. एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचना दी जाती है.
जानें सरकार क्यों लगाती है एस्मा?
सरकार एस्मा लगाने का फैसला इसलिए करती है क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है. जबकि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून वह कानून है जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है. इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते अन्यथा हड़ताल पर जाने के बाद 6 मिनट तक की कैद तक का प्रावधान है. बता दें कि एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था. लेकिन, राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं. राज्य सरकारों की ओर से इस कानून में परिवर्तन भी किए जा सकते हैं.