पटना: राजभवन की ओर से बिहार के विश्वविद्यालयों में जल्द ही पर्यावरण पंचामृत योजना लागू किए जाएंगे. इसके तहत गोद लिए गांव को मॉडल विलेज के रूप में विकसित करना है. पहले साल में इस योजना को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय को 20-20 लाख रुपए दिए जाएंगे. जीरो बजट खेती और क्लाइमेट-स्मार्ट खेती से किसानों को लाभ देने की दिशा में हर एक विश्वविद्यालय को कार्य करना होगा. योजना का हर गांव को जल संकट से उबारने के लिए जल संचयन और पौधारोपण पर खास फोकस करने का उद्देश्य है. यह गांव में गंदा पानी साफ कराने का प्लान्ट भी लगाएगा.
विश्वविद्यालयों को देना है पूरा ब्यौरा
सभी विश्वविद्यालयों से गोद लिए गांव की सूची 15 अगस्त तक मांगी गई है, साथ ही कार्ययोजना भी देने को कहा गया है. ग्रामीणों में आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल ट्रेनिंग को बढ़ावा देने के लिए कैसे कार्य करेंगे इस बारे में ब्यौरा देना जरूरी है. कुलाधिपति का स्पष्ट आदेश है कि उन गांवों को एक मॉडल गांव के रूप में विकसित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.
गांव को मॉडल का रूप देना है प्राथमिकता
गौरतलब है कि बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से गोद लिए गांवों को विकसित करना, उन्हें मॉडल का रूप देना और शिक्षा स्वास्थ्य से जुड़े तमाम चीजों की जागरूकता फैलाना इस योजना की पहली प्राथमिकता होगी.