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धनरूआ में हर साल टूटता है तटबंध, मरम्मती के नाम पर लापरवाही, ग्रामीणों मे आक्रोश

बारिश के कारण बिहार (Bihar) की ज्यादातर नदियां उफान पर हैं. गंगा और पुनपुन में पानी बढ़ने के चलते धनरुआ प्रखंड के कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है. पढ़ें पूरी खबर...

धनरुआ में बाढ़
धनरुआ में बाढ़
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Published : Aug 3, 2021, 12:49 PM IST

पटना: राजधानी पटना के धनरुआ प्रखंड (Dhanrua Block) में बाढ़ (Flood) से हर साल तबाही होती है. बाढ़ से पहले जिलाधिकारी घूम-घूम कर सिंचाई विभाग (Irrigation Department) को तटबंध की सुरक्षा को लेकर हिदायत देते रहते हैं. दूसरी ओर जब बाढ़ आती है तो सभी तटबंध टूट जाते हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि हर साल तटबंध की मरम्मती होती है लेकिन बाढ़ आते ही टूट जाती है.

ये भी पढ़ें:धनरूआ में जलप्रलय: 6 तटबंध टूटने से सैकड़ों गांव प्रभावित, 1500 एकड़ में लगी फसल बर्बाद

गंगा पुनपुन, कररूआ, भुतही, महमाईन, समेत बिहर की कई नदियां उफान पर हैं. इसके चलते निचले इलाके में बाढ़ जैसे हालात उत्पतन्न हो गए हैं. धनरूआ प्रखंड के 16 पंचायत बाढ़ प्रभावित हैं. यहां रहने वाले लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. तटबंध मरम्मती के बावजूद बाढ़ आने से ग्रामीणों में आक्रोश है. लोग सिंचाई विभाग के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

देखें ये वीडियो

ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग पर आरोप लगाया है कि तटबंध मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये की उगाही की जा रही है. गौरतलब है कि धनरूआ प्रखंड में 19 पंचायत हैं. जिसमें से 16 पंचायत बाढ़ प्रभावित हैं. सैकड़ों घरों में पानी घुस आया है. हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई है. कई जगहों पर मुख्य मार्ग से संपर्क टूट गया है. सड़कों पर पानी आ जाने से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है.

वहीं, मसौढ़ी अनुमंडल प्रशासन की ओर से लगातार विभिन्न तटबंधों का मुआयना कर मरम्मत कार्य किया जा रहा है. अनुमंडल प्रशासन के बीडीओ, सीओ, नोडल पदाधिकारी और सिंचाई विभाग के तमाम पदाधिकारी गांव-गांव में घूम रहे हैं. इन सबके बीच ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सिंचाई विभाग तटबंध के नाम पर हर साल लाखों रुपए की उगाही करता है पर तटबंध हर साल टूट जाता है. जिससे सैकड़ों गांव डूब जाते हैं. हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो जाती है. आखिर इसकी भरपाई कौन करेगा. ग्रामीणों को बाढ़ से कब निजात मिलेगी.

ये भी पढ़ें:बेतिया: ग्रामीणों को सता रहा डर, अधूरे कटाव रोधी कार्य को लेकर किया प्रदर्शन

पटना: राजधानी पटना के धनरुआ प्रखंड (Dhanrua Block) में बाढ़ (Flood) से हर साल तबाही होती है. बाढ़ से पहले जिलाधिकारी घूम-घूम कर सिंचाई विभाग (Irrigation Department) को तटबंध की सुरक्षा को लेकर हिदायत देते रहते हैं. दूसरी ओर जब बाढ़ आती है तो सभी तटबंध टूट जाते हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि हर साल तटबंध की मरम्मती होती है लेकिन बाढ़ आते ही टूट जाती है.

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गंगा पुनपुन, कररूआ, भुतही, महमाईन, समेत बिहर की कई नदियां उफान पर हैं. इसके चलते निचले इलाके में बाढ़ जैसे हालात उत्पतन्न हो गए हैं. धनरूआ प्रखंड के 16 पंचायत बाढ़ प्रभावित हैं. यहां रहने वाले लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. तटबंध मरम्मती के बावजूद बाढ़ आने से ग्रामीणों में आक्रोश है. लोग सिंचाई विभाग के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग पर आरोप लगाया है कि तटबंध मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये की उगाही की जा रही है. गौरतलब है कि धनरूआ प्रखंड में 19 पंचायत हैं. जिसमें से 16 पंचायत बाढ़ प्रभावित हैं. सैकड़ों घरों में पानी घुस आया है. हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई है. कई जगहों पर मुख्य मार्ग से संपर्क टूट गया है. सड़कों पर पानी आ जाने से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है.

वहीं, मसौढ़ी अनुमंडल प्रशासन की ओर से लगातार विभिन्न तटबंधों का मुआयना कर मरम्मत कार्य किया जा रहा है. अनुमंडल प्रशासन के बीडीओ, सीओ, नोडल पदाधिकारी और सिंचाई विभाग के तमाम पदाधिकारी गांव-गांव में घूम रहे हैं. इन सबके बीच ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सिंचाई विभाग तटबंध के नाम पर हर साल लाखों रुपए की उगाही करता है पर तटबंध हर साल टूट जाता है. जिससे सैकड़ों गांव डूब जाते हैं. हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो जाती है. आखिर इसकी भरपाई कौन करेगा. ग्रामीणों को बाढ़ से कब निजात मिलेगी.

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