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बिहार में बिजली की दरें बढ़ेंगी या नहीं, 31 मार्च को फैसला

बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस की. पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के पिछले तीन वित्तीय वर्षों का लेखा जोखा रखा गया. वहीं बताया कि बिजली की दरों में किसी बदलाव को लेकर 31 मार्च को फैसला लिया जाएगा.

Electricity rates rise in Bihar
Electricity rates rise in Bihar
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Published : Mar 12, 2021, 9:05 PM IST

पटना: पेट्रोल-डीजल की मार के बाद बिहार के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर से झटका लग सकता है. बिहार में बिजली की दरें बढ़ सकती हैं. इसको लेकर बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस की. प्रेस कांफ्रेंस में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के पिछले तीन वित्तीय वर्षों का लेखा-जोखा रखा गया. साथ ही बताया गया कि बिजली की दरों में किसी बदलाव को लेकर 31 मार्च को फैसला लिया जाएगा.

यह भी पढ़ें:- Bihar STET Result 2021: 24 हजार 599 छात्र सफल

बिजली विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साउथ और नाॅर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने बिजली की दर में 9 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. हर साल सभी खर्चों और नुकसान के हिसाब से बिजली की दरें तय करनी होती है. बावजूद इसके हर साल बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं होती है. इन दरों का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा जाता है. इस पर जन सुनवाई के बाद ही नियामक आयोग की ओर से अंतिम मुहर लगती है. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा ने कहा कि 31 मार्च तक बिजली दर को लेकर जो संशय है वह साफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर उत्पादक कंपनियों के बढ़ते बकाए को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. ताकि बिजली की आपूर्ति में व्यवधान ना हो. हालांकि बिजली विनियामक आयोग उपभोक्ताओं की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लेता है.

यह भी पढ़ें:- बिहार के राजस्व में शराबबंदी के बावजूद इजाफा, जानिए कैसे हुआ यह मुमकिन

बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड के पिछले तीन वर्षों का रखा गया लेखा जोखा
बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 275.45 करोड़ के वास्तविक खर्च का दावा किया था. जिसके जांच के बाद आयोग ने 257.47 करोड़ रुपए का दावा स्वीकृत करते हुए 75.74 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व निर्धारित किया है. जिसे कैरिंग कॉस्ट के साथ वित्तीय वर्ष 2020-21 के सफल राजस्व की आवश्यकता में सम्मिलित किया गया है. इसके साथ ही बिहार ग्रिड कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2021 के लिए 429.17 करोड़ रुपए का पुनरीक्षित वार्षिक राजस्व की आवश्यकता होने का आकलन किया है. जिसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 के राजस्व अतिरेक 2017-18 के टीएएफ इंसेंटिव को सम्मिलित नहीं किया है. आयोग द्वारा वर्ष 2020-21 में टीएएफ इंसेंटिव को सम्मिलित करते हुए वार्षिक राजस्व 328.97 करोड़ रुपए स्वीकृत किया है. बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 533. 51 करोड़ रुपए के सफल वार्षिक राजस्व की आवश्यकता का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. जिसके विरुद्ध आयोग ने जांच उपरांत 2019-20 के कैरिंग कॉस्ट के साथ 89. 9 करोड़ के अतिरिक्त राशि को समायोजित करते हुए 452. 6 2 करोड़ रुपए का स्वीकृत किया है.

यह भी पढ़ें:- शराबबंदी को विफल बता तेजस्वी साध रहे CM नीतीश पर निशाना, JDU ने भी खोला मोर्चा

दरों में बढ़ोतरी का उपभोक्ताओं पर पड़ेगा सीधा असर
घरेलू और व्यवसायिक बिजली की दरों में विद्युत विनियामक आयोग की मुहर लगने के बाद उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर पड़ेगा. इससे उपभोक्ताओं को जेब ढीली करनी पड़ सकती है. फिलहाल आयोग ने कहा कि बिजली की दरों में बदलाव को लेकर कोई जानकारी 31 मार्च को ही दी जा सकती है.

पटना: पेट्रोल-डीजल की मार के बाद बिहार के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर से झटका लग सकता है. बिहार में बिजली की दरें बढ़ सकती हैं. इसको लेकर बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस की. प्रेस कांफ्रेंस में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के पिछले तीन वित्तीय वर्षों का लेखा-जोखा रखा गया. साथ ही बताया गया कि बिजली की दरों में किसी बदलाव को लेकर 31 मार्च को फैसला लिया जाएगा.

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बिजली विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साउथ और नाॅर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने बिजली की दर में 9 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. हर साल सभी खर्चों और नुकसान के हिसाब से बिजली की दरें तय करनी होती है. बावजूद इसके हर साल बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं होती है. इन दरों का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा जाता है. इस पर जन सुनवाई के बाद ही नियामक आयोग की ओर से अंतिम मुहर लगती है. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा ने कहा कि 31 मार्च तक बिजली दर को लेकर जो संशय है वह साफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर उत्पादक कंपनियों के बढ़ते बकाए को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. ताकि बिजली की आपूर्ति में व्यवधान ना हो. हालांकि बिजली विनियामक आयोग उपभोक्ताओं की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लेता है.

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बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड के पिछले तीन वर्षों का रखा गया लेखा जोखा
बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 275.45 करोड़ के वास्तविक खर्च का दावा किया था. जिसके जांच के बाद आयोग ने 257.47 करोड़ रुपए का दावा स्वीकृत करते हुए 75.74 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व निर्धारित किया है. जिसे कैरिंग कॉस्ट के साथ वित्तीय वर्ष 2020-21 के सफल राजस्व की आवश्यकता में सम्मिलित किया गया है. इसके साथ ही बिहार ग्रिड कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2021 के लिए 429.17 करोड़ रुपए का पुनरीक्षित वार्षिक राजस्व की आवश्यकता होने का आकलन किया है. जिसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 के राजस्व अतिरेक 2017-18 के टीएएफ इंसेंटिव को सम्मिलित नहीं किया है. आयोग द्वारा वर्ष 2020-21 में टीएएफ इंसेंटिव को सम्मिलित करते हुए वार्षिक राजस्व 328.97 करोड़ रुपए स्वीकृत किया है. बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 533. 51 करोड़ रुपए के सफल वार्षिक राजस्व की आवश्यकता का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. जिसके विरुद्ध आयोग ने जांच उपरांत 2019-20 के कैरिंग कॉस्ट के साथ 89. 9 करोड़ के अतिरिक्त राशि को समायोजित करते हुए 452. 6 2 करोड़ रुपए का स्वीकृत किया है.

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दरों में बढ़ोतरी का उपभोक्ताओं पर पड़ेगा सीधा असर
घरेलू और व्यवसायिक बिजली की दरों में विद्युत विनियामक आयोग की मुहर लगने के बाद उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर पड़ेगा. इससे उपभोक्ताओं को जेब ढीली करनी पड़ सकती है. फिलहाल आयोग ने कहा कि बिजली की दरों में बदलाव को लेकर कोई जानकारी 31 मार्च को ही दी जा सकती है.

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