पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. जहां वे अपने सियासी भविष्य को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. कांग्रेस से बात टूटने के बाद से ही ये अटकलें लगाई जा रही थी की प्रशांत किशोर का अगला कदम क्या होगा? वहीं, पिछले दिनों उन्होंमने तमाम अटकलों पर पूर्णविराम लगाते हुए कहा था कि अब वो सीधे जनता के बीच जनता से जुड़ेंगे. पीके ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि वो अपने जन्मस्थान बिहार से 'जन सुराज' अभियान की शुरुआत करेंगे. जिसमें सबसे पहले वो बिहार के दो बड़े रीजन को चुन रहे हैं. उनके करीबी सूत्र का कहना है कि वह तिरहुत और सारण रीजन से अपनी यात्रा को शुरू करेंगे, जिसमें वो जनता के साथ-साथ राजनीतिक बड़े चेहरों से भी मिलेंगे.
ये भी पढ़ें: नीतीश के मंत्री जमा खान ने प्रशांत किशोर को दिया खुला ऑफर, कहा- 'JDU में आपका स्वागत है'
राजनीति में एंट्री लेंगे प्रशांत किशोर?: प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट कर कहा था, 'लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने 10 साल के रोलरकोस्टर की सवारी का नेतृत्व किया. जैसे ही मैं पन्नों को पलटता हूं, पता चलता है कि अब मुद्दों और ''जन सुराज'' के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए रियल मास्टर्स यानी जनता तक जाने का समय आ गया है. शुरुआत बिहार से होगी.' इस बीच वह युवाओं से लगातार संपर्क कर रहे हैं. बिहार में सबसे ज्यादा आबादी युवाओं की है. 60% युवा आबादी वाले राज्य बिहार से प्रशांत किशोर ने पार्टी लांच करने का फैसला लिया है. युवाओं के साथ लगातार वह संपर्क भी कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक पटना विश्वविद्यालय के छात्रों से उन्होंने मुलाकात की है.
मंत्री जमा खान का प्रशांत किशोर को ऑफर: अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री जमा खान ने चुनावी रणीतिकार प्रशांत किशोर को जदयू में शामिल होने का ऑफर देते हुए कहा कि वो पहले भी हमारी पार्टी से जुड़े रहे हैं. अगर पीके फिर से जदयू में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. उनके पार्टी में शामिल होने से निश्चित तौर पर पार्टी को मजबूती मिलेगी. वो पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं.
2018 में JDU में शामिल हुए थे पीके: चार साल पहले बिहार में उनका संक्षिप्त राजनीतिक कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल के साथ शुरू हुआ था. तब उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 16 महीने बाद ही उन्होंने मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने साल 2018 में जेडीयू की सदस्यता ली थी. लेकिन नीतीश कुमार संग उनकी ये राजनीतिक पारी ज्यादा लंबी नहीं चली और उन्होंने 2020 में पार्टी छोड़ दी.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP