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चुनाव आयोग की अयोग्य व्यक्तियों की सूची में 1000 से अधिक लोग, बिहार से अधिकतम - ETV Bharat

चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित किए गए व्यक्तियों की सूची जारी की है. इस सूची में सबसे ज्यादा बिहार से है. सूची में करीब 1000 लोग हैं, जिन्होंने चुनाव आयोग को चुनाव व्यय रिपोर्ट जमा नहीं की हैं. पढ़ें पूरी खबर

Election Commission
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Published : Oct 14, 2022, 9:56 PM IST

पटना: चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित किए गए व्यक्तियों की सूची (Election Commission list of ineligible persons) को अपडेट कर दिया है, जिनमें 1000 से अधिक लोग हैं, जो चुनाव आयोग को चुनाव व्यय रिपोर्ट जमा करने में विफल रहे हैं. कुल 1091 अयोग्य व्यक्तियों वाले सभी राज्यों में, बिहार 174 के साथ शीर्ष पर है जबकि 107 अयोग्य व्यक्ति तेलंगाना से हैं.

ये भी पढ़ें - सुशील मोदी का ललन सिंह पर पलटवार- 'आपको नीतीश मुंगेर का जिलाध्यक्ष बनाने जा रहे हैं'

अयोग्य घोषित किए गए व्यक्तियों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई चुनाव खर्च का लेखा-जोखा चुनाव आयोग को देने में विफल रहता है, तो उम्मीदवार को आदेश की तिथि से तीन साल के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है. अयोग्य घोषित उम्मीदवारों की सूची सभी रिटर्निंग अधिकारियों और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों को उनके संदर्भ के लिए भेज दी गई है.

आयोग ने कहा है कि आने वाले महीनों में जिनके चुनाव होने हैं, उन्हें सूची उपलब्ध कराई जाए. नियम के अनुसार, प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव की घोषणा की तारीख और परिणाम की तारीख के बीच चुनाव से संबंधित सभी खचरें का लेखा-जोखा रखना चाहिए. हर प्रत्याशी को 30 दिन के अंदर अपने चुनावी खर्च का ब्योरा देना होगा.

चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनाव समाप्त होने के बाद जिला कलेक्टरों के समक्ष अपना खर्च प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है. उन्हें व्यय निगरानी समिति के समक्ष अपने चुनाव खर्च को प्रस्तुत करना होगा. आयोग ने उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की निगरानी के लिए कई कदम उठाए हैं और अतीत में व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं और उन्हें चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों का संग्रह में अद्यतन (अपडेट) किया है. इसमें दिन-प्रतिदिन के लेखा रजिस्टर को निर्धारित तरीके से संधारित करने और चुनाव अवधि के दौरान चुनाव अधिकारियों द्वारा इसका निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं.

उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले दिन-प्रतिदिन के चुनावी खर्च पर नजर रखने और नकदी, शराब, ड्रग्स आदि के वितरण द्वारा मतदाताओं के प्रभाव को रोकने के लिए चुनाव के दौरान विभिन्न निगरानी तंत्र स्थापित किए जाते हैं. पूरी चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए चुनाव अवधि के दौरान सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाती है.

पटना: चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित किए गए व्यक्तियों की सूची (Election Commission list of ineligible persons) को अपडेट कर दिया है, जिनमें 1000 से अधिक लोग हैं, जो चुनाव आयोग को चुनाव व्यय रिपोर्ट जमा करने में विफल रहे हैं. कुल 1091 अयोग्य व्यक्तियों वाले सभी राज्यों में, बिहार 174 के साथ शीर्ष पर है जबकि 107 अयोग्य व्यक्ति तेलंगाना से हैं.

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अयोग्य घोषित किए गए व्यक्तियों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई चुनाव खर्च का लेखा-जोखा चुनाव आयोग को देने में विफल रहता है, तो उम्मीदवार को आदेश की तिथि से तीन साल के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है. अयोग्य घोषित उम्मीदवारों की सूची सभी रिटर्निंग अधिकारियों और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों को उनके संदर्भ के लिए भेज दी गई है.

आयोग ने कहा है कि आने वाले महीनों में जिनके चुनाव होने हैं, उन्हें सूची उपलब्ध कराई जाए. नियम के अनुसार, प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव की घोषणा की तारीख और परिणाम की तारीख के बीच चुनाव से संबंधित सभी खचरें का लेखा-जोखा रखना चाहिए. हर प्रत्याशी को 30 दिन के अंदर अपने चुनावी खर्च का ब्योरा देना होगा.

चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनाव समाप्त होने के बाद जिला कलेक्टरों के समक्ष अपना खर्च प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है. उन्हें व्यय निगरानी समिति के समक्ष अपने चुनाव खर्च को प्रस्तुत करना होगा. आयोग ने उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की निगरानी के लिए कई कदम उठाए हैं और अतीत में व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं और उन्हें चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों का संग्रह में अद्यतन (अपडेट) किया है. इसमें दिन-प्रतिदिन के लेखा रजिस्टर को निर्धारित तरीके से संधारित करने और चुनाव अवधि के दौरान चुनाव अधिकारियों द्वारा इसका निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं.

उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले दिन-प्रतिदिन के चुनावी खर्च पर नजर रखने और नकदी, शराब, ड्रग्स आदि के वितरण द्वारा मतदाताओं के प्रभाव को रोकने के लिए चुनाव के दौरान विभिन्न निगरानी तंत्र स्थापित किए जाते हैं. पूरी चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए चुनाव अवधि के दौरान सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाती है.

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