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लॉकडाउन के दौरान रिक्शा-ठेला चालकों का नहीं हो पा रहा गुजारा, परिवार चलाना भी मुश्किल - बिहार

बिहार में फिर से लगे लॉकडाउन की वजह से रिक्शा-ठेला चालकों को धंधा बंद पड़ गया है. वहीं पटना के सड़कों के किनारे बैठे आम लोगों का कहना है कि राज्य सरकार की तरफ से ना ही सूखा और ना ही बना हुआ खाना हमें मिल रहा है.

लॉकडाउन
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Published : Jul 26, 2020, 10:32 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 11:24 PM IST

पटना: कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने निर्णय लिया है कि 16 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक पूरे बिहार में लॉकडाउन लागू रहेगा. फिर से लगे लॉकडाउन में राज्य सरकार की तरफ से ना ही कोई कम्युनिटी किचन चलाई जा रही है और ना ही गरीब असहाय लोगों को भोजन मुहैया करवाई जा रही है. राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास सैकड़ों की संख्या में भूखे असहाय गरीब इस आशा में बैठे हैं कि कोई राहगीर उन्हें खाना खिला देगा.

देखें पूरी रिपोर्ट

आफत आन पड़ी
पिछली बार जब सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया था, तो उस दौरान राज्य सरकार राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में कम्युनिटी किचन के माध्यम से गरीब असहाय लोगों को भोजन मुहैया करवा रही थी. वही कई सामाजिक संस्थान के साथ आम लोग भी लॉकडाउन के दौरान आगे आकर भूखे असहाय गरीब लोगों को 2 जून की रोटी मुहैया करवा रही थे. लेकिन इस बार लॉकडाउन के दौरान ना ही राज्य सरकार और ना ही कोई सामाजिक संस्थान आगे बढ़कर गरीब असहाय लोगों को देख रही है. जिस वजह से राजधानी पटना में फंसे काफी लोग जो कि दूसरे जिले से कमाने पटना आए थे, उन्हें अपना पेट पालने पर भी आफत आन पड़ी है.

patna
लॉकडाउन का असर

कोई नहीं कर रहा मदद
दरअसल, बिहार में फिर से लगे लॉकडाउन की वजह से रिक्शा-ठेला चालकों को धंधा बंद पड़ गया है. जिस वजह से उन्हें खाने के भी लाले पड़े हुए हैं. सैकड़ों की संख्या में राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास बैठे भूखे असहाय लोग इस आस में बैठे रहते हैं कि कोई राहगीर या कोई सामाजिक संस्था नहीं या राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि उन्हें भोजन मुहैया करवाएगा. लेकिन पिछली बार की तरह इस बार कोई भी गरीब असहाय लोगों को भोजन मुहैया नहीं करवा रहा है. पटना के सड़कों के किनारे बैठे आम लोगों का कहना है कि राज्य सरकार की तरफ से ना ही सूखा और ना ही बना हुआ खाना हमें मिल रहा है.

पटना: कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने निर्णय लिया है कि 16 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक पूरे बिहार में लॉकडाउन लागू रहेगा. फिर से लगे लॉकडाउन में राज्य सरकार की तरफ से ना ही कोई कम्युनिटी किचन चलाई जा रही है और ना ही गरीब असहाय लोगों को भोजन मुहैया करवाई जा रही है. राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास सैकड़ों की संख्या में भूखे असहाय गरीब इस आशा में बैठे हैं कि कोई राहगीर उन्हें खाना खिला देगा.

देखें पूरी रिपोर्ट

आफत आन पड़ी
पिछली बार जब सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया था, तो उस दौरान राज्य सरकार राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में कम्युनिटी किचन के माध्यम से गरीब असहाय लोगों को भोजन मुहैया करवा रही थी. वही कई सामाजिक संस्थान के साथ आम लोग भी लॉकडाउन के दौरान आगे आकर भूखे असहाय गरीब लोगों को 2 जून की रोटी मुहैया करवा रही थे. लेकिन इस बार लॉकडाउन के दौरान ना ही राज्य सरकार और ना ही कोई सामाजिक संस्थान आगे बढ़कर गरीब असहाय लोगों को देख रही है. जिस वजह से राजधानी पटना में फंसे काफी लोग जो कि दूसरे जिले से कमाने पटना आए थे, उन्हें अपना पेट पालने पर भी आफत आन पड़ी है.

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लॉकडाउन का असर

कोई नहीं कर रहा मदद
दरअसल, बिहार में फिर से लगे लॉकडाउन की वजह से रिक्शा-ठेला चालकों को धंधा बंद पड़ गया है. जिस वजह से उन्हें खाने के भी लाले पड़े हुए हैं. सैकड़ों की संख्या में राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास बैठे भूखे असहाय लोग इस आस में बैठे रहते हैं कि कोई राहगीर या कोई सामाजिक संस्था नहीं या राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि उन्हें भोजन मुहैया करवाएगा. लेकिन पिछली बार की तरह इस बार कोई भी गरीब असहाय लोगों को भोजन मुहैया नहीं करवा रहा है. पटना के सड़कों के किनारे बैठे आम लोगों का कहना है कि राज्य सरकार की तरफ से ना ही सूखा और ना ही बना हुआ खाना हमें मिल रहा है.

Last Updated : Jul 26, 2020, 11:24 PM IST
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