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लॉकडाउन में न्यायिक प्रक्रिया पर भी लगा LOCK! पारिवारिक मामलों का सबसे बुरा हाल

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Published : Jun 4, 2020, 5:42 PM IST

पटना हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील सुशील रंजन सिन्हा कहते हैं कि परिवार न्यायालय में 2 जनवरी 2020 से 25 फरवरी 2020 तक पटना सिविल कोर्ट में 232 मामले दर्ज किए गए. लेकिन कोरोना वायरस के लिए जारी लॉकडाउन के बाद से अभी तक एक भी मामले न्यायालय के सामने नहीं आए है.

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पटना: लॉकडाउन के दौरान अदालती काम भी काफी धीमी रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहे हैं. अति आवश्यक मामलों को छोड़कर साधारण मामलों की सुनवाई नहीं हो रही. इससे मुवक्किलों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वकीलों का भी कहना है कि लॉकडाउन से पहले अदालतों में काफी मामले आया करते थे, पर लॉकडाउन के बाद अदालत में भी अब कम ही केस फाइल हो रहे हैं. पूरी न्यायिक प्रक्रिया भी लॉकडाउन के साइड इफेक्ट झेल रही है.

बेल के लिए भी कोर्ट में ई-फाइलिंग का सहारा
पूरे मामले में पटना सिविल कोर्ट के वकील उमेश पाठक कहते हैं कि इन दिनों अति आवश्यक मामलों को छोड़कर कोर्ट किसी मामलों में सुनवाई नहीं कर रहा. जमानत याचिकाओं का भी निपटारा कम ही हो रहा है. बेल के लिए भी कोर्ट में ई-फाइलिंग के जरिए ही सुनवाई हो रही है. हालांकि इस प्रक्रिया में काफी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कहीं सर्वर प्रॉब्लम या लिंक में गड़बड़ी आने के कारण केस की सुनवाई में दिक्कतें आ रही हैं. इन हालातों में सुनवाई कर रहे जज मौके पर मौजूद कागजातों के आधार पर आरोपियों के अपराध की समीक्षा कर नेचर ऑफ केस या फिर ग्रेविटी ऑफ केस के आधार पर ही या तो बेल दे रहे हैं या फिर उन्हें रिजेक्ट कर रहे हैं.

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उमेश पाठक, वकील पटना सिविल कोर्ट

गुजारा भत्ता की याचिकाओं का मामला अधर में
पारिवारिक मामलों का भी बुरा हाल है. खासकर गुजारा भत्ता की याचिकाओं पर दिए गए आदशों के पालन में दोनों पक्षों को परेशानी हो रही है. दरअसल लॉकडाउन से पहले कोर्ट ने जो आर्डर दिए हैं, उन मामलों में भी मेंटेनेंस कोर्ट के थ्रू ही मुवक्किल को गुजारा भत्ता दिया जाता है. लॉकडाउन की वजह से ये प्रक्रिया भी बंद है क्योंकि, गुजारा भत्ता नजारत में चेक या ड्राफ्ट के जरिए फैमिली कोर्ट के मजिस्ट्रेट के पास जमा होता था. लॉकडाउन की वजह से मुवक्किलों को गुजारा भत्ता मिलने में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लॉकडाउन के बाद से नहीं दर्ज हुए मामले
इस बावत पटना हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील सुशील रंजन सिन्हा कहते हैं कि परिवार न्यायालय में 2 जनवरी 2020 से 25 फरवरी 2020 तक पटना सिविल कोर्ट में 232 मामले दर्ज किए गए. लेकिन कोरोना वायरस के लिए जारी लॉकडाउन के बाद से अभी तक एक भी मामले न्यायालय के सामने नहीं आए है.

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सुशील रंजन सिन्हा ,वकील पटना हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता की अपील
पारिवारिक मामले में फंसे आकाश कहते हैं कि पटना सिविल कोर्ट में उनका मामला चल रहा है. लॉकडाउन की वजह से उनके केस की सुनवाई नहीं हो रही. मौजूदा हालातों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. याचिका पर सुनवाई नहीं होने के कारण वो काफी दुखी दिख रहे हैं. आकाश सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि न्यायालय के कामों में भी तेजी लाई जाए, जिससे उन जैसे पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके.

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आकाश कुमार, याचिककर्ता

पटना: लॉकडाउन के दौरान अदालती काम भी काफी धीमी रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहे हैं. अति आवश्यक मामलों को छोड़कर साधारण मामलों की सुनवाई नहीं हो रही. इससे मुवक्किलों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वकीलों का भी कहना है कि लॉकडाउन से पहले अदालतों में काफी मामले आया करते थे, पर लॉकडाउन के बाद अदालत में भी अब कम ही केस फाइल हो रहे हैं. पूरी न्यायिक प्रक्रिया भी लॉकडाउन के साइड इफेक्ट झेल रही है.

बेल के लिए भी कोर्ट में ई-फाइलिंग का सहारा
पूरे मामले में पटना सिविल कोर्ट के वकील उमेश पाठक कहते हैं कि इन दिनों अति आवश्यक मामलों को छोड़कर कोर्ट किसी मामलों में सुनवाई नहीं कर रहा. जमानत याचिकाओं का भी निपटारा कम ही हो रहा है. बेल के लिए भी कोर्ट में ई-फाइलिंग के जरिए ही सुनवाई हो रही है. हालांकि इस प्रक्रिया में काफी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कहीं सर्वर प्रॉब्लम या लिंक में गड़बड़ी आने के कारण केस की सुनवाई में दिक्कतें आ रही हैं. इन हालातों में सुनवाई कर रहे जज मौके पर मौजूद कागजातों के आधार पर आरोपियों के अपराध की समीक्षा कर नेचर ऑफ केस या फिर ग्रेविटी ऑफ केस के आधार पर ही या तो बेल दे रहे हैं या फिर उन्हें रिजेक्ट कर रहे हैं.

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उमेश पाठक, वकील पटना सिविल कोर्ट

गुजारा भत्ता की याचिकाओं का मामला अधर में
पारिवारिक मामलों का भी बुरा हाल है. खासकर गुजारा भत्ता की याचिकाओं पर दिए गए आदशों के पालन में दोनों पक्षों को परेशानी हो रही है. दरअसल लॉकडाउन से पहले कोर्ट ने जो आर्डर दिए हैं, उन मामलों में भी मेंटेनेंस कोर्ट के थ्रू ही मुवक्किल को गुजारा भत्ता दिया जाता है. लॉकडाउन की वजह से ये प्रक्रिया भी बंद है क्योंकि, गुजारा भत्ता नजारत में चेक या ड्राफ्ट के जरिए फैमिली कोर्ट के मजिस्ट्रेट के पास जमा होता था. लॉकडाउन की वजह से मुवक्किलों को गुजारा भत्ता मिलने में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लॉकडाउन के बाद से नहीं दर्ज हुए मामले
इस बावत पटना हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील सुशील रंजन सिन्हा कहते हैं कि परिवार न्यायालय में 2 जनवरी 2020 से 25 फरवरी 2020 तक पटना सिविल कोर्ट में 232 मामले दर्ज किए गए. लेकिन कोरोना वायरस के लिए जारी लॉकडाउन के बाद से अभी तक एक भी मामले न्यायालय के सामने नहीं आए है.

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सुशील रंजन सिन्हा ,वकील पटना हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता की अपील
पारिवारिक मामले में फंसे आकाश कहते हैं कि पटना सिविल कोर्ट में उनका मामला चल रहा है. लॉकडाउन की वजह से उनके केस की सुनवाई नहीं हो रही. मौजूदा हालातों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. याचिका पर सुनवाई नहीं होने के कारण वो काफी दुखी दिख रहे हैं. आकाश सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि न्यायालय के कामों में भी तेजी लाई जाए, जिससे उन जैसे पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके.

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आकाश कुमार, याचिककर्ता
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