पटनाः राजभवन और बिहार की नीतीश सरकार के बीच दूरियां दिखने लगी है. प्रदेश के विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की मिल रही शिकायतें इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है. राजभवन और सरकार के बीच दूरियां तब दिख गईं जब मंगलवार को राजभवन में एक सम्मान समारोह में राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ, जबकि शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी को इसमें शामिल होना था.
इसे भी पढ़ें- राजभवन में चांसलर अवार्ड समारोह आयोजित, राज्यपाल फागू चौहान ने 5 शिक्षकों और 6 विद्यार्थियों को किया पुरस्कृत
जानकारी के मुताबिक राजभवन में चांसलर अवार्ड समारोह (Chancellor Award ceremony) का आयोजन किया गया था. जिसमें 5 शिक्षकों, 6 विद्यार्थियों, 2 महाविद्यालयों के साथ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह को राज्यपाल फागू चौहान ने सम्मानित किया.
इस कार्यक्रम में बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी को भी शामिल होना था, लेकिन कार्यक्रम से उन्होंने किनारा कर लिया. और न ही शिक्षा विभाग की ओर से कोई अधिकारी नहीं पहुंचा. इसकी वजह मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद कुदुस की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा गया पत्र बताया जा रहा है. बता दें कि सीएम को लिखे पत्र में कुदुस ने विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रोफेसर सिंह की भूमिका की जांच की भी मांग की थी.
प्रोफेसर कुदुस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि कर्मचारियों और कॉपी के फर्जी भुगतान के लिए उनपर दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने उत्तर पुस्तिका खरीद मामले का खुलासा करते हुए कहा है कि पहले सात रुपये प्रति कॉपी की दर से लखनऊ के बीके ट्रेडर्स के यहां छपाई होती थी. कार्यकारी कुलपति एसपी सिंह ने इसे बढ़ा कर 16 रुपये प्रति कॉपी कर दिया और 1 लाख 60 हजार कॉपी का आर्डर दे दिया. जब कॉपी छप कर आई तो 28 रुपये प्रति कॉपी का बिल भेजा गया.
कहा तो ये भी जा रहा है कि यह केवल एक विश्वविद्यालय की बात नहीं है. बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में अनियमितताओं की बाढ़ आई है. उत्तर पुस्तिका से लेकर अवैध नियुक्ति, किताब की खरीद का बड़ा खेल चल रहा है. ताजा संस्करण की बजाए करोड़ों रुपये की पुरानी किताब की खरीद हर विश्वविद्यालय में हुई है. जिन पुस्तकों की जरूरत नहीं है, उन्हें भी खरीदा गया है. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने ये पुस्तकें रखने के लिये 50 लाख रुपये वार्षिक किराए पर जगह ली गई है.
इसे भी पढ़ें- नीतीश कैबिनेट की बैठक में 22 एजेंडों पर मुहर, बिहटा में नए बस स्टैंड निर्माण के लिए 217 करोड़ मंजूर
इसके अलावा हाल ही में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर भी बिहार सरकार के विशेष निगरानी इकाई ने छापेमारी की थी. इस दौरान करोड़ों रुपये की बरामदगी का भी दावा किया गया लेकिन राजभवन ने इसे लेकर न तो कोई कदम उठाया और ना ही कुछ कहा ही. एमयू के वीसी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग लगातार उठ रही है लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. राजभवन और राज्य सरकार के बीच बढ़ती दूरियों का यह भी एक अहम कारण है.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP