पटना: बिहार में करीब 6 साल से जारी फर्जी शिक्षक नियुक्ति मामले में अब ऐसे शिक्षकों पर नकेल कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है. शिक्षा विभाग का बहुप्रतीक्षित वेब पोर्टल तैयार है. इसे लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से ऐसे एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की पूरी लिस्ट एनआईसी के पोर्टल पर अपडेट करने को कहा है. जिसके बाद संबंधित शिक्षकों को अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का आदेश जारी किया जाएगा.
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क्या है पूरा मामला
दरअसल बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक पकड़े जा चुके हैं जो फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बिना पर्याप्त योग्यता के नियोजित शिक्षक के पद पर काम कर रहे थे और वेतन भी उठा रहे थे. इस मामले में वर्ष 2015 में पटना हाई कोर्ट की निगरानी में जांच शुरू हुई थी. बिहार में विजिलेंस डिपार्टमेंट ने वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के बीच नियुक्त ऐसे करीब तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच कर रही है. निगरानी विभाग को कई नियोजन इकाइयों से एक लाख से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले. जिसकी वजह से यह जांच अब तक पूरी नहीं हुई है.
आखिरकार दिसंबर महीने में शिक्षा विभाग ने फैसला किया कि एक वेब पोर्टल बनाकर ऐसे शिक्षकों को अपने डॉक्यूमेंट अपलोड करने को कहा जाएगा जिनके फोल्डर निगरानी को अब तक नहीं मिले हैं. शिक्षा विभाग के मुताबिक अब यह वेब पोर्टल तैयार हो गया है. इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को एक पत्र जारी किया है. जिसमें सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अपने जिले में ऐसे शिक्षकों के बारे में पूरी जानकारी एनआईसी की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया है. जिनके फोल्डर निगरानी को नहीं मिले हैं. 17 मई तक सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अपने-अपने जिले से ऐसे शिक्षकों की सूची अपलोड करनी है. इसकी एक कॉपी प्राथमिक शिक्षा निदेशक के ई मेल पर भी भेजनी है.
शिक्षा विभाग ने डीईओ से क्या जानकारी मांगी है
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से जिन शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को नहीं सौंपे गए हैं उनके(शिक्षक) नाम, नियोजन इकाई का नाम, प्रखंड या पंचायत का नाम, पिता या पति का नाम, विद्यालय का नाम, जॉइनिंग डेट, ईपीएफ अकाउंट की जानकारी की मांग की है. यह पूरी जानकारी सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 17 मई तक सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को शिक्षा विभाग को उपलब्ध करानी है.
इसके बाद शिक्षा विभाग सभी 1,03917 ऐसे शिक्षकों के विवरण वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा और इन्हें एक तय समय सीमा के भीतर अपने सभी प्रमाण पत्र वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा जाएगा. जो शिक्षक ऐसा नहीं करेंगे उनके खिलाफ नोटिस जारी कर एफ आई आर दर्ज कराई जाएगी. गौरतलब है कि वर्ष 2006 से 2015 के बीच कुल 3,53,017 शिक्षकों की नियुक्ति हुई. वहीं 1,03,917 ऐसे शिक्षक है जिनके फोल्डर नहीं मिले हैं. वहीं इस मामले में कुल 1572 एफआईआर भी दर्ज की गई है.
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इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि निगरानी जांच में जिन एक लाख से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर उपलब्ध नहीं हुए हैं. उन्हें सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अपने-अपने जिले में एनआईसी की वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए और उसकी एक प्रति ई-मेल से प्राथमिक शिक्षा निदेशक को भेजने के लिए 17 मई तक की अवधि तय की गई है. उसके बाद सभी 38 जिलों के 1,03,917 शिक्षकों की पूरी जानकारी शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी और उन्हें एक तय सीमा समय सीमा के भीतर अपने डॉक्यूमेंट अपलोड करने को कहा जाएगा.
इस पूरी जांच प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण विषय नियोजन इकाई और मुखिया के साथ तत्कालीन पंचायत सचिव की भूमिका की जांच को लेकर भी है. शिक्षा विभाग के मुताबिक पहले शिक्षकों के डॉक्यूमेंट शिक्षा विभाग को मिल जाएंगे उसके बाद तत्कालीन नियोजन इकाई मेधा सूची और तत्कालीन मुखिया और पंचायत सचिव की भूमिका की जांच की जाएगी.