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स्कूल छोड़ रहे बच्चे, शिक्षा विभाग ने DEO से मांगी विद्यालय में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की सूची

बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है. अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा डीईओ को भेजे एक पत्र के मुताबिक बुनियादी सुविधा की कमी की वजह से बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. शिक्षा विभाग ने डीईओ से विद्यालय में न्यूनतम मानदंड के तहत उपलब्ध सुविधाओं की सूची मांगी है.

शिक्षा विभाग
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Published : Oct 23, 2021, 7:01 PM IST

पटनाः बिहार के सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संरचना (Infrastructure In Government Schools) की कमी की वजह से बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. यह हम अपनी तरफ से नहीं कह रहे बल्कि शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर मुख्य सचिव के पत्र से स्पष्ट होता है. इस बात का जिक्र करते हुए अपर मुख्य सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्कूलों में न्यूनतम मानदंड के तहत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की जानकारी मांगी है.

ये भी पढ़ेंः प्रबंधन इकाइयों के जरिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करेगा बिहार

शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत हर स्कूल के लिए भौतिक संसाधनों के न्यूनतम मानदंड तय किए गए हैं और इसकी लिए शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.

ये हैं न्यूनतम मानदंड-

  • बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय
  • पेयजल की व्यवस्था
  • प्ले ग्राउंड
  • पुस्तकालय
  • चाहरदिवारी
  • रैंप

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने यू डाइस 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा संचालित कई सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार 2009 के मानदंड के अनुरूप भौतिक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. पिछले वर्षों में ऐसे स्कूलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जो चिंता का विषय है. उन्होंने यह भी कहा है कि इन सुविधाओं के अभाव में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. बच्चे अपेक्षित दक्षता प्राप्त करने से भी वंचित हो जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः 'टपकती छत' के नीचे पढ़ रहे बच्चे.. ईटीवी भारत ने 'जगाया' तो आया होश, आंगनवाड़ी में शिफ्ट होगा स्कूल

इधर प्राथमिक शिक्षा निदेशक अमरेंद्र कुमार सिंह ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से ऐसे सरकारी प्रारंभिक स्कूलों की सूची मांगी है. जिनमें बेंच डेस्क उपलब्ध नहीं है. जिला शिक्षा पदाधिकारियों से प्रखंड वार ऐसे स्कूलों की लिस्ट मांगी है. प्राथमिक विद्यालय में पर्याप्त कमरे के साथ-साथ पर्याप्त संख्या में बेंच डेस्क की उपलब्धता की जानकारी भी मांगी गई है.

प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों में स्कूलों की चाहरदीवारी निर्माण को लेकर भी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है. अमरेंद्र कुमार सिंह ने ऐसे सभी स्कूलों की लिस्ट मांगी है जहां नई चाहरदीवारी बनानी है. इसमें ऐसे स्कूलों की लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर मांगी गई है जहां अतिक्रमण है या जहां स्टेट हाईवे या नेशनल हाईवे या प्रमुख मार्ग होने की वजह से वाहनों का आना जाना लगा रहता है.

यू डायस के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में गरीब 71000 प्रारंभिक स्कूल न्यूनतम मानदंड को पूरा नहीं करते

  • 50,000 से ज्यादा स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है.
  • 45,000 से ज्यादा स्कूलों में खेल के मैदान भी नहीं है.
  • 33,600 स्कूलों में चहारदीवारी नहीं है.
  • 12,000 स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं है.
  • 100 से ज्यादा स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं है.
  • 3,300 स्कूल ऐसे हैं जहां शौचालय नहीं है.
  • 14,000 से ज्यादा स्कूलों में दिव्यांग बच्चों और शिक्षकों के लिए रैंप की सुविधा नहीं है.

पटनाः बिहार के सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संरचना (Infrastructure In Government Schools) की कमी की वजह से बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. यह हम अपनी तरफ से नहीं कह रहे बल्कि शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर मुख्य सचिव के पत्र से स्पष्ट होता है. इस बात का जिक्र करते हुए अपर मुख्य सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्कूलों में न्यूनतम मानदंड के तहत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की जानकारी मांगी है.

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शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत हर स्कूल के लिए भौतिक संसाधनों के न्यूनतम मानदंड तय किए गए हैं और इसकी लिए शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि इनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.

ये हैं न्यूनतम मानदंड-

  • बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय
  • पेयजल की व्यवस्था
  • प्ले ग्राउंड
  • पुस्तकालय
  • चाहरदिवारी
  • रैंप

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने यू डाइस 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि राज्य सरकार के द्वारा संचालित कई सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार 2009 के मानदंड के अनुरूप भौतिक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. पिछले वर्षों में ऐसे स्कूलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जो चिंता का विषय है. उन्होंने यह भी कहा है कि इन सुविधाओं के अभाव में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. बच्चे अपेक्षित दक्षता प्राप्त करने से भी वंचित हो जाते हैं.

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इधर प्राथमिक शिक्षा निदेशक अमरेंद्र कुमार सिंह ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से ऐसे सरकारी प्रारंभिक स्कूलों की सूची मांगी है. जिनमें बेंच डेस्क उपलब्ध नहीं है. जिला शिक्षा पदाधिकारियों से प्रखंड वार ऐसे स्कूलों की लिस्ट मांगी है. प्राथमिक विद्यालय में पर्याप्त कमरे के साथ-साथ पर्याप्त संख्या में बेंच डेस्क की उपलब्धता की जानकारी भी मांगी गई है.

प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों में स्कूलों की चाहरदीवारी निर्माण को लेकर भी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है. अमरेंद्र कुमार सिंह ने ऐसे सभी स्कूलों की लिस्ट मांगी है जहां नई चाहरदीवारी बनानी है. इसमें ऐसे स्कूलों की लिस्ट प्राथमिकता के आधार पर मांगी गई है जहां अतिक्रमण है या जहां स्टेट हाईवे या नेशनल हाईवे या प्रमुख मार्ग होने की वजह से वाहनों का आना जाना लगा रहता है.

यू डायस के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में गरीब 71000 प्रारंभिक स्कूल न्यूनतम मानदंड को पूरा नहीं करते

  • 50,000 से ज्यादा स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है.
  • 45,000 से ज्यादा स्कूलों में खेल के मैदान भी नहीं है.
  • 33,600 स्कूलों में चहारदीवारी नहीं है.
  • 12,000 स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं है.
  • 100 से ज्यादा स्कूलों में पेयजल की सुविधा नहीं है.
  • 3,300 स्कूल ऐसे हैं जहां शौचालय नहीं है.
  • 14,000 से ज्यादा स्कूलों में दिव्यांग बच्चों और शिक्षकों के लिए रैंप की सुविधा नहीं है.
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