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बिहार में पढ़े लिखे युवा स्टार्टअप के नाम पर क्यों बेच रहे चाय.. जानें टी स्टॉल की इकोनामी

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Published : Dec 6, 2022, 10:12 PM IST

बिहार में पढ़े लिखे युवाओं के लिए चाय बेचने का काम करना स्टार्टअप (Tea selling startup in Patna) के नाम पर पहली पसंद बन गई है. कुल्हड़ चाय का फैशन चला हुआ है और ₹15 से ₹30 के रेट में कुल्हड़ चाय बिक रही है. चाय की एक कप में कुल्हड़, मटेरियल, ईंधन समेत तमाम खर्च को जोड़ें तो ₹8 से ₹10 प्रति कप पड़ता है और ऐसे में कोई युवा किसी प्रमुख चौक चौराहे पर शाम के समय 4 घंटे में 200 कप चाय बेच देता है तो ₹1500 से ₹2000 उसे आमदनी हो जाती है और महीने में ₹45000 से ₹60000 तक आराम से कमा लेता है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना में चाय बेचने का ट्रेंड
पटना में चाय बेचने का ट्रेंड

पटना : बिहार में पढ़े लिखे युवाओं के लिए चाय बेचने का काम करना स्टार्टअप के नाम पर पहली पसंद बन गई है. राजधानी पटना में यह ट्रेंड (trend of selling tea in patna) कुछ ज्यादा ही बढ़ा हुआ है. युवा काफी प्रोफेशनल तरीके से सड़क किनारे ठेला लगाकर उस पर चाय बेचते हैं. 4 घंटे में 1500 से 2000 रुपये आराम से कमा रहें हैं. शहर में ग्रेजुएट चाय वाली, एमबीए चायवाला, बेवफा चायवाला, दिल टूटा चाय वाला, इंजीनियर चाय वाला, नर्सिंग चाय वाली, एमसीए चाय वाला, खिलाड़ी चाय वाला जैसे कई अनेक नामों से पढ़े-लिखे युवा शहर में प्रमुख स्थानों पर चाय बेचते हुए नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें : ग्रेजुएट चायवाली के बाद नर्सिंग चायवालीः छुट्टी नहीं मिलने से नाराज प्रीति ने छोड़ दी थी नर्सिंग की नौकरी


डिग्री का इस्तेमाल काफी अट्रैक्ट करता है : युवाओं में चाय के इस बढ़ते ट्रेंड पर मैनेजमेंट गुरु और आईएसएम इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर अमृतेश कुमार बताते हैं कि पढ़े-लिखे युवा अपने डिग्री का इस्तेमाल करते हुए उसके नाम पर चाय का स्टाल खोलते हैं और इसका फायदा उन्हें होता है कि लोगों को यह काफी अट्रैक्ट करता है. अमृतेश कुमार बताते हैं कि इन दिनों कुल्हड़ चाय का फैशन चला हुआ है और ₹15 से ₹30 के रेट में कुल्हड़ चाय बिक रहे हैं और चाय की एक कप में कुल्हड़, मटेरियल, इंधन समेत तमाम खर्च को जोड़ें तो ₹8 से ₹10 प्रति कब पड़ता है और ऐसे में कोई युवा किसी प्रमुख चौक चौराहे पर शाम के समय 4 घंटे में 200 कप चाय बेच देता है तो ₹1500 से ₹2000 उसे आमदनी हो जाती है और महीने में ₹45000 से ₹60000 तक आराम से कमा लेता है.


चार से 6 घंटे लगाते हैं स्टॉल : पटना के मरीन ड्राइव पर दीघा गोलंबर से लेकर गांधी मैदान के रास्ते तक सैकड़ों चाय के ठेले हैं और कई चाय वाले अपनी डिग्री के नाम को लेकर चाय बेच रहे हैं. कई चाय वाले अन्य रोचक नामों को लेकर चाय बेच रहे हैं. लगभग सभी के पास अच्छी शिक्षा है और पढ़ाई में भी ठीक-ठाक डिग्री है. मरीन ड्राइव पर दिखा गोलंबर के पास एमसीए चाय वाले नाम से स्टॉल खोले हुए आशुतोष बताते हैं कि एमसीए की पढ़ाई उनकी चल रही है और इससे पहले उन्होंने दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम किया. पैसा कम और तनाव अधिक मिला. इस वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ दी.अब एमसीए भी चल रहा है और रोजगार भी अच्छी चल रही है. शाम के समय चार से 6 घंटे स्टॉल लगाते हैं और ठीक-ठाक कमा लेते हैं.

प्रेक्टिस करने के बाद शाम होते खोलते हैं तंदूर चाय की स्टॉल : खिलाड़ी चायवाला स्टॉल के संचालक रंजन कुमार ने बताया कि वह वेटलिफ्टर हैं. दांत से डेढ़ सौ केजी का वजन उठा लेते हैं और दांत से ही ट्रक भी खींच लेते हैं. दांत से वजन उठाने और ट्रक खींचने को लेकर उनका इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर में नाम भी है. उन्होंने बताया कि बिहार में खेल के लिए कोई नीति नहीं है और खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता. ऐसे में बेरोजगारी से परेशान होकर उन्होंने चाय का स्टाल खोला. दिन में अपनी प्रेक्टिस करते हैं और फिर शाम होते ही मरीन ड्राइव किनारे अपना चाय का स्टाल चलाने आ जाते हैं. उन्होंने बताया कि वह कुल्हड़ चाय बनाते हैं और ₹15 से ₹30 के रेट में बेचते हैं. अच्छी खासी आमदनी हो जाती है वह सिर्फ तंदूर चाय बेचते हैं.

4 महीने में ठीक-ठाक आमदनी हुई: बाबा चाय स्टॉल के नाम से मरीन ड्राइव किनारे ही चाय बेच रहे अमन पांडे ने बताया कि उन्होंने आईटीआई किया हुआ है. अभी वह ग्रेजुएशन सेकंड ईयर में है. उन्होंने बताया कि उन्होंने मुंबई में प्राइवेट नौकरी भी की लेकिन पैसा नहीं मिला तनाव अधिक मिला. घर पर भेजने के लिए पैसे नहीं बचते थे. ऐसे में उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया. फिर मरीन ड्राइव किनारे तंदूर चाय बेचना शुरू किया. मरीन ड्राइव पर लगभग 4 महीने से चाय बेच रहे हैं और ठीक-ठाक आमदनी हुई है. लोग मरीन ड्राइव किनारे आते हैं तो चाय की चुस्कियों के साथ गंगा की ठंडी हवाओं का आनंद लेना चाहते हैं. ऐसे में जितने भी चाय के स्टॉल हैं सभी की बिक्री खूब होती है.

"दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम किया. पैसा कम और तनाव अधिक मिला. इस वजह से नौकरी छोड़ दी.अब एमसीए भी चल रहा है और रोजगार भी अच्छी चल रही है. शाम के समय चार से 6 घंटे स्टॉल लगाते हैं और ठीक-ठाक कमा लेते हैं. "-आशुतोष कुमार

ये भी पढ़ें : बीच सड़क पर फूट फूटकर रोईं पटना की ग्रेजुएट चायवाली.. देखें वीडियो

"कुल्हड़ चाय बनाते हैं और ₹15 से ₹30 के रेट में बेचते हैं. अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. वेटलिफ्टर हूं. दांत से डेढ़ सौ केजी का वजन उठा लेते हैं और दांत से ही ट्रक भी खींच लेते हैं. बिहार में खेल के लिए कोई नीति नहीं है और खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता. ऐसे में बेरोजगारी से परेशान होकर उन्होंने चाय का स्टाल खोला." -रंजन कुमार

"आईटीआई किया हुआ है. अभी वह ग्रेजुएशन सेकंड ईयर में है. मुंबई में प्राइवेट नौकरी भी की लेकिन पैसा नहीं मिला तनाव अधिक मिला. घर पर भेजने के लिए पैसे नहीं बचते थे. तंदूर चाय बेचना शुरू किया. मरीन ड्राइव पर लगभग 4 महीने से वह चाय बेच रहे हैं और ठीक-ठाक आमदनी हुई है."-अमन पांडे

पटना : बिहार में पढ़े लिखे युवाओं के लिए चाय बेचने का काम करना स्टार्टअप के नाम पर पहली पसंद बन गई है. राजधानी पटना में यह ट्रेंड (trend of selling tea in patna) कुछ ज्यादा ही बढ़ा हुआ है. युवा काफी प्रोफेशनल तरीके से सड़क किनारे ठेला लगाकर उस पर चाय बेचते हैं. 4 घंटे में 1500 से 2000 रुपये आराम से कमा रहें हैं. शहर में ग्रेजुएट चाय वाली, एमबीए चायवाला, बेवफा चायवाला, दिल टूटा चाय वाला, इंजीनियर चाय वाला, नर्सिंग चाय वाली, एमसीए चाय वाला, खिलाड़ी चाय वाला जैसे कई अनेक नामों से पढ़े-लिखे युवा शहर में प्रमुख स्थानों पर चाय बेचते हुए नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें : ग्रेजुएट चायवाली के बाद नर्सिंग चायवालीः छुट्टी नहीं मिलने से नाराज प्रीति ने छोड़ दी थी नर्सिंग की नौकरी


डिग्री का इस्तेमाल काफी अट्रैक्ट करता है : युवाओं में चाय के इस बढ़ते ट्रेंड पर मैनेजमेंट गुरु और आईएसएम इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर अमृतेश कुमार बताते हैं कि पढ़े-लिखे युवा अपने डिग्री का इस्तेमाल करते हुए उसके नाम पर चाय का स्टाल खोलते हैं और इसका फायदा उन्हें होता है कि लोगों को यह काफी अट्रैक्ट करता है. अमृतेश कुमार बताते हैं कि इन दिनों कुल्हड़ चाय का फैशन चला हुआ है और ₹15 से ₹30 के रेट में कुल्हड़ चाय बिक रहे हैं और चाय की एक कप में कुल्हड़, मटेरियल, इंधन समेत तमाम खर्च को जोड़ें तो ₹8 से ₹10 प्रति कब पड़ता है और ऐसे में कोई युवा किसी प्रमुख चौक चौराहे पर शाम के समय 4 घंटे में 200 कप चाय बेच देता है तो ₹1500 से ₹2000 उसे आमदनी हो जाती है और महीने में ₹45000 से ₹60000 तक आराम से कमा लेता है.


चार से 6 घंटे लगाते हैं स्टॉल : पटना के मरीन ड्राइव पर दीघा गोलंबर से लेकर गांधी मैदान के रास्ते तक सैकड़ों चाय के ठेले हैं और कई चाय वाले अपनी डिग्री के नाम को लेकर चाय बेच रहे हैं. कई चाय वाले अन्य रोचक नामों को लेकर चाय बेच रहे हैं. लगभग सभी के पास अच्छी शिक्षा है और पढ़ाई में भी ठीक-ठाक डिग्री है. मरीन ड्राइव पर दिखा गोलंबर के पास एमसीए चाय वाले नाम से स्टॉल खोले हुए आशुतोष बताते हैं कि एमसीए की पढ़ाई उनकी चल रही है और इससे पहले उन्होंने दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम किया. पैसा कम और तनाव अधिक मिला. इस वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ दी.अब एमसीए भी चल रहा है और रोजगार भी अच्छी चल रही है. शाम के समय चार से 6 घंटे स्टॉल लगाते हैं और ठीक-ठाक कमा लेते हैं.

प्रेक्टिस करने के बाद शाम होते खोलते हैं तंदूर चाय की स्टॉल : खिलाड़ी चायवाला स्टॉल के संचालक रंजन कुमार ने बताया कि वह वेटलिफ्टर हैं. दांत से डेढ़ सौ केजी का वजन उठा लेते हैं और दांत से ही ट्रक भी खींच लेते हैं. दांत से वजन उठाने और ट्रक खींचने को लेकर उनका इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर में नाम भी है. उन्होंने बताया कि बिहार में खेल के लिए कोई नीति नहीं है और खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता. ऐसे में बेरोजगारी से परेशान होकर उन्होंने चाय का स्टाल खोला. दिन में अपनी प्रेक्टिस करते हैं और फिर शाम होते ही मरीन ड्राइव किनारे अपना चाय का स्टाल चलाने आ जाते हैं. उन्होंने बताया कि वह कुल्हड़ चाय बनाते हैं और ₹15 से ₹30 के रेट में बेचते हैं. अच्छी खासी आमदनी हो जाती है वह सिर्फ तंदूर चाय बेचते हैं.

4 महीने में ठीक-ठाक आमदनी हुई: बाबा चाय स्टॉल के नाम से मरीन ड्राइव किनारे ही चाय बेच रहे अमन पांडे ने बताया कि उन्होंने आईटीआई किया हुआ है. अभी वह ग्रेजुएशन सेकंड ईयर में है. उन्होंने बताया कि उन्होंने मुंबई में प्राइवेट नौकरी भी की लेकिन पैसा नहीं मिला तनाव अधिक मिला. घर पर भेजने के लिए पैसे नहीं बचते थे. ऐसे में उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया. फिर मरीन ड्राइव किनारे तंदूर चाय बेचना शुरू किया. मरीन ड्राइव पर लगभग 4 महीने से चाय बेच रहे हैं और ठीक-ठाक आमदनी हुई है. लोग मरीन ड्राइव किनारे आते हैं तो चाय की चुस्कियों के साथ गंगा की ठंडी हवाओं का आनंद लेना चाहते हैं. ऐसे में जितने भी चाय के स्टॉल हैं सभी की बिक्री खूब होती है.

"दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम किया. पैसा कम और तनाव अधिक मिला. इस वजह से नौकरी छोड़ दी.अब एमसीए भी चल रहा है और रोजगार भी अच्छी चल रही है. शाम के समय चार से 6 घंटे स्टॉल लगाते हैं और ठीक-ठाक कमा लेते हैं. "-आशुतोष कुमार

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"कुल्हड़ चाय बनाते हैं और ₹15 से ₹30 के रेट में बेचते हैं. अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. वेटलिफ्टर हूं. दांत से डेढ़ सौ केजी का वजन उठा लेते हैं और दांत से ही ट्रक भी खींच लेते हैं. बिहार में खेल के लिए कोई नीति नहीं है और खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता. ऐसे में बेरोजगारी से परेशान होकर उन्होंने चाय का स्टाल खोला." -रंजन कुमार

"आईटीआई किया हुआ है. अभी वह ग्रेजुएशन सेकंड ईयर में है. मुंबई में प्राइवेट नौकरी भी की लेकिन पैसा नहीं मिला तनाव अधिक मिला. घर पर भेजने के लिए पैसे नहीं बचते थे. तंदूर चाय बेचना शुरू किया. मरीन ड्राइव पर लगभग 4 महीने से वह चाय बेच रहे हैं और ठीक-ठाक आमदनी हुई है."-अमन पांडे

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