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'बिहार में 1000 करोड़ की पेपर लीक इंडस्ट्री', सवाल- केंद्र के नए कानून से कसेगा शिकंजा? एक क्लिक में जानें पूरा डिटेल - बीपीएससी

बिहार समेत देशभर में सरकारी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक पर नकेल कसने के लिए केन्द्र सरकार ने लोकसभा में लोक परीक्षा (अनुचित साधन रोकथाम) विधेयक, 2024 बिल पेश किया है. ऐसा नहीं है कि बिहार में पेपर लीक को लेकर कानून नहीं है. इसके बावजूद 1000 करोड़ वाली इस इंडस्ट्री पर अब तक नकेल क्यों नहीं कसा गया?. आखिर इस खेल के पीछे कौन लोग हैं?. ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 7, 2024, 7:44 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 10:15 PM IST

देखें रिपोर्ट.

पटना: 'मैं बीपीएससी की परीक्षा देने के बाद काफी खुश था. लेकिन पेपर देने के बाद जैसे ही परीक्षा हॉल से बाहर निकला पेपर लीक की खबर ने मुझे अंदर से तोड़ दिया.' पटना के बाजार समिति इलाके में 24 साल के दीपक आज किराए के एक छोटे से कमरे में एक बाार फिर से सपने बुन रहे हैं. एक साल पहले पेपर लीक की खबर से उसके सपने चूर-चूर हो गए थे, सामने अंधेरा था कि अब घर जाकर क्या कहेंगे?. दीपक के पिता किसान हैं. सूदखोरों से कर्ज लेकर पिता ने बेटे को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए पटना भेजा था. घर में चार बहन और भाई में दीपक अकेले हैं.

अभ्यर्थी
अभ्यर्थी

पेपर लीक होने का दर्द इनसे समझिए : ''मां दाई का काम करती हैं. पिता धोबी हैं. काफी गरीबी देखी है. घर से हर महीने 8 हजार रुपये आते हैं. तीन हजार कमरे का किराया, एक टाईम का खाना और बाकी का पैसा नौकरी के लिए फॉर्म भरने, दूसरे शहर परीक्षा देने के लिए जाना पड़ता है, उसमें खर्च हो जाता है.'' साल 2022, बीपीएससी 67वीं प्रीलिम्‍स परीक्षा का पेपर लीक हुआ, परीक्षा रद्द कर दी गई. पटना के गोला रोड में 4 साल से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे विकास के परिवार को उम्मीद थी, कि इस बार बेटा अफसर बनेगा. लेकिन पेपर लीक की खबर से पूरा परिवार टूट गया.

अभ्यर्थी
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पेपर लीक हो गया.. और टूटा सपना : नालंदा के विरेश कुमार पटना के कुम्हरार में जनरल कंपटीशन और सिविल सर्विसेज परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. पिछले साल झारखंड एसएससी की परीक्षा दी थी. परीक्षा देकर घर आए तो पता चला कि पेपर लीक होने से परीक्षा रद्द हो गयी है. यह कहानी सिर्फ दीपक और विरेश की नहीं, बल्कि बिहार के लाखों युवाओं का दर्द है. युवाओं के लिए सरकारी नौकरी किसी सपने से कम नहीं है. कई दिन, महीने और सालों की मेहनत के बाद एक मौका मिलता है, लेकिन पेपर लीक के बाद छात्रों का सपना चकना-चूर हो जाता है.

एंटी पेपर लीक बिल क्या है? : अब केन्द्र सरकार की मंशा यह है कि एंटी पेपर लीक के जरिए करोड़ों के काले कारोबार पर रोक लगे और देश के युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सके. पेपर लीक बिल के मुताबिक, अगर कोई दोषी पाया जाता है कि तो उसे 10 साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना लगेगा. अगर कोई किसी और के नाम पर परीक्षा में बैठेगा तो उसे 3 से 5 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना लगेगा. अगर कोई संस्थान पेपर लीक या नकल में शामिल पाया जाता है कि तो उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी और परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा.

ईटीवी भारत GFX.
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कौन करेगा पेपर लीक की जांच? : अब साल ये है कि पेपर लीक की जांच कौन करेगा?. बिल के मुताबिक, पेपर लीक की जांच डीएसपी या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे. साथ ही प्रतियोगिता परीक्षा में गड़बड़ी मिलने पर सरकार के पास अधिकार होगा कि वो पेपर लीक की जांच सीबीआई से करा सकें.

कौन सी परीक्षाएं बिल में शामिल? : एंटी पेपर लीक बिल के मुताबिक, प्रतियोगिता परीक्षा जैसे, रेलवे भर्ती, बीपीएससी, यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग परीक्षा, इंजीनियरिंग, मेडिकल और केन्द्र की परीक्षा शामिल है. लेकिन 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में यह लागू नहीं होगा. इन परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकार के अपने कानून हैं.

कितना बड़ा है पेपर लीक का कारोबार: बिहार में पेपर लीक कोई छोटा कारोबार नहीं है. बिहार में हर साल नौकरी के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं पर लाखों करोड़ों रुपये खर्च किए जाते है. एक्सपर्ट की माने तो यह करीब 1000 करोड़ की इंजस्ट्री है. अकेले बिहार में पिछले 5 सालों में एक दर्जन से अधिक परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं. इससे लाखों छात्रों का करियर प्रभावित हुआ.

क्या कहते हैं शिक्षाविद? : शिक्षाविद गुरु रहमान बताते हैं कि बिहार में पेपर लीक माफिया को कानून से डर नहीं लगता है. राज्य में जितने पेपर लीक हुए हैं, उनमें सिर्फ छोटी मछली पकड़ में आई, लेकिन मगरमच्छ बाहर घूम रहा है. ऐसे में नया कानून स्वागत योग्य है और इससे निश्चित तौर पर पेपर लीक की घटनाओं में कमी आएगी.

गुरु रहमान, शिक्षाविद
गुरु रहमान, शिक्षाविद

''इस कानून के सही क्रियान्वयन से गरीब बच्चों में भी उम्मीद जगेगी की उनके पास पैसा नहीं है. फिर भी वह सरकारी नौकरी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए वह केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं.'' - गुरु रहमान, शिक्षाविद

ऐसे होता है पेपर लीक खेल? : पिछले कुछ सालों से बिहार में पेपर लीक के बाद जो तस्वीर सामने आई है, ऐसा लगता है कि पेपर लीक करने वाले हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर पूरी प्लानिंग के साथ तैयारी करते है. एक्सपर्ट बताते हैं कि बिहार में शिक्षा माफिया का कनेक्शन ऊपर तक है. ऐसे में परीक्षा की तारीख आते ही सेटिंग का काम शुरू हो जाता है. सेंटर मैनेज करना, शिकार ढूंढना, सॉल्व की मदद लेना, हाईटेक तकनीक, फर्जी छात्रों का इस्तेमाल और प्रिंटिंग प्रेस पर नजर. यानी शुरूआत से लेकर परीक्षा के दिन तक सरगना सब कुछ मैनेज कर लेते हैं.

'यहां सब कुछ मैनेज हो जाता है' : गुरु रहमान ने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों को भी सेंटर संचालक को मिला करके शिक्षा माफिया मैनेज कर लेते हैं. एक सेंटर 50 लाख से एक करोड़ रुपए में मैनेज होता है. इसके अलावा कई शिक्षा माफिया कोड तय करते हैं और आंसर बुकलेट में छेड़छाड़ की जाती है. अभी तक बिहार में ऑनलाइन पेपर वायरल करने में परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 के साथ-साथ साइबर अपराध के भी दो-तीन धाराओं को जोड़ा जाता है. लेकिन यह इतनी गंभीर धारा नहीं है कि ऐसे शिक्षा माफियाओं के मन में डर बने.

क्यों नहीं लग पा रही है रोक ? : पटना में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे माधव झा कहते हैं कि, ''जब पेपर लीक होता है, और परीक्षा कैंसिल होती है, उस समय जो पार्टी सत्ता में होती है, उनका दावा होता है कि 'किसी को बख्शा नहीं जाएगा, सख्त कार्रवाई की जाएगी' लेकिन आप इतिहास उठा कर देख लीजिए, शुरुआती जांच के बाद मास्टरमाइंड पकड़ा जाता है, लेकिन सबूतों के अभाव में कुछ दिनों में उसे बेल मिल जाती हैं और एक बार फिर वे अपने काम में जुट जाते हैं.

ईटीवी भारत GFX.
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बिहार में पेपर लीक पर कितनी सजा? : आइए जानते हैं कि बिहार में पेपर लीक को लेकर नीतीश सरकार ने कितने सख्त कानून बनाए हैं. बिहार में पेपर लीक करने वालों पर आईटी एक्ट के तहत सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है. बता दें कि पिछले दिनों बीपीएससी की 67वीं प्री परीक्षा में आईपीसी की धारा 420/467/468/120(b) और आईटी एक्ट की धारा 66 व बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3/10 के तहत केस दर्ज किया गया था.

'बिहार में 1000 करोड़ की पेपर लीक इंडस्ट्री' : वहीं, छात्रों के मुद्दों को लेकर मुखर रहने वाले और बीपीएससी और बीएसएससी के कई परीक्षाओं में पेपर लीक को उजागर करने वाले छात्र नेता दिलीप ने कहा कि नया कानून स्वागत योग्य है और पूरे देश में इसे लागू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में कई ऐसे शिक्षा माफिया है, जिन्हें पुलिस गिरफ्तार तो करती है, लेकिन कुछ ही दिनों में बाहर आ जाते है और फिर से अपने काम पर लग जाते है. बिहार में माफियाओं ने पेपर लीक का करीब-करीब 1000 करोड़ से अधिक का बाजार बना लिया है.

दिलीप, छात्र नेता
दिलीप, छात्र नेता

''दारोगा बहाली की परीक्षा में 5 लाख रुपए में क्वेश्चन पेपर बिके हैं. कोई भी पेपर लीक हो क्वेश्चन पेपर कम से कम 2 लाख रुपए में बिकते हैं. ऐसे में बिहार में अघोषित रूप से 1000 करोड़ रुपए से अधिक का पेपर लीक का बाजार है. बिहार सरकार को इस कानून को जल्द से जल्द इंप्लीमेंट करना चाहिए.'' - दिलीप, छात्र नेता

इसे भी पढ़ें : क्या है एंटी पेपर लीक बिल, आसान भाषा में समझें

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देखें रिपोर्ट.

पटना: 'मैं बीपीएससी की परीक्षा देने के बाद काफी खुश था. लेकिन पेपर देने के बाद जैसे ही परीक्षा हॉल से बाहर निकला पेपर लीक की खबर ने मुझे अंदर से तोड़ दिया.' पटना के बाजार समिति इलाके में 24 साल के दीपक आज किराए के एक छोटे से कमरे में एक बाार फिर से सपने बुन रहे हैं. एक साल पहले पेपर लीक की खबर से उसके सपने चूर-चूर हो गए थे, सामने अंधेरा था कि अब घर जाकर क्या कहेंगे?. दीपक के पिता किसान हैं. सूदखोरों से कर्ज लेकर पिता ने बेटे को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए पटना भेजा था. घर में चार बहन और भाई में दीपक अकेले हैं.

अभ्यर्थी
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पेपर लीक होने का दर्द इनसे समझिए : ''मां दाई का काम करती हैं. पिता धोबी हैं. काफी गरीबी देखी है. घर से हर महीने 8 हजार रुपये आते हैं. तीन हजार कमरे का किराया, एक टाईम का खाना और बाकी का पैसा नौकरी के लिए फॉर्म भरने, दूसरे शहर परीक्षा देने के लिए जाना पड़ता है, उसमें खर्च हो जाता है.'' साल 2022, बीपीएससी 67वीं प्रीलिम्‍स परीक्षा का पेपर लीक हुआ, परीक्षा रद्द कर दी गई. पटना के गोला रोड में 4 साल से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे विकास के परिवार को उम्मीद थी, कि इस बार बेटा अफसर बनेगा. लेकिन पेपर लीक की खबर से पूरा परिवार टूट गया.

अभ्यर्थी
अभ्यर्थी

पेपर लीक हो गया.. और टूटा सपना : नालंदा के विरेश कुमार पटना के कुम्हरार में जनरल कंपटीशन और सिविल सर्विसेज परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. पिछले साल झारखंड एसएससी की परीक्षा दी थी. परीक्षा देकर घर आए तो पता चला कि पेपर लीक होने से परीक्षा रद्द हो गयी है. यह कहानी सिर्फ दीपक और विरेश की नहीं, बल्कि बिहार के लाखों युवाओं का दर्द है. युवाओं के लिए सरकारी नौकरी किसी सपने से कम नहीं है. कई दिन, महीने और सालों की मेहनत के बाद एक मौका मिलता है, लेकिन पेपर लीक के बाद छात्रों का सपना चकना-चूर हो जाता है.

एंटी पेपर लीक बिल क्या है? : अब केन्द्र सरकार की मंशा यह है कि एंटी पेपर लीक के जरिए करोड़ों के काले कारोबार पर रोक लगे और देश के युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सके. पेपर लीक बिल के मुताबिक, अगर कोई दोषी पाया जाता है कि तो उसे 10 साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना लगेगा. अगर कोई किसी और के नाम पर परीक्षा में बैठेगा तो उसे 3 से 5 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना लगेगा. अगर कोई संस्थान पेपर लीक या नकल में शामिल पाया जाता है कि तो उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी और परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

कौन करेगा पेपर लीक की जांच? : अब साल ये है कि पेपर लीक की जांच कौन करेगा?. बिल के मुताबिक, पेपर लीक की जांच डीएसपी या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे. साथ ही प्रतियोगिता परीक्षा में गड़बड़ी मिलने पर सरकार के पास अधिकार होगा कि वो पेपर लीक की जांच सीबीआई से करा सकें.

कौन सी परीक्षाएं बिल में शामिल? : एंटी पेपर लीक बिल के मुताबिक, प्रतियोगिता परीक्षा जैसे, रेलवे भर्ती, बीपीएससी, यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग परीक्षा, इंजीनियरिंग, मेडिकल और केन्द्र की परीक्षा शामिल है. लेकिन 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में यह लागू नहीं होगा. इन परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकार के अपने कानून हैं.

कितना बड़ा है पेपर लीक का कारोबार: बिहार में पेपर लीक कोई छोटा कारोबार नहीं है. बिहार में हर साल नौकरी के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं पर लाखों करोड़ों रुपये खर्च किए जाते है. एक्सपर्ट की माने तो यह करीब 1000 करोड़ की इंजस्ट्री है. अकेले बिहार में पिछले 5 सालों में एक दर्जन से अधिक परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं. इससे लाखों छात्रों का करियर प्रभावित हुआ.

क्या कहते हैं शिक्षाविद? : शिक्षाविद गुरु रहमान बताते हैं कि बिहार में पेपर लीक माफिया को कानून से डर नहीं लगता है. राज्य में जितने पेपर लीक हुए हैं, उनमें सिर्फ छोटी मछली पकड़ में आई, लेकिन मगरमच्छ बाहर घूम रहा है. ऐसे में नया कानून स्वागत योग्य है और इससे निश्चित तौर पर पेपर लीक की घटनाओं में कमी आएगी.

गुरु रहमान, शिक्षाविद
गुरु रहमान, शिक्षाविद

''इस कानून के सही क्रियान्वयन से गरीब बच्चों में भी उम्मीद जगेगी की उनके पास पैसा नहीं है. फिर भी वह सरकारी नौकरी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए वह केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं.'' - गुरु रहमान, शिक्षाविद

ऐसे होता है पेपर लीक खेल? : पिछले कुछ सालों से बिहार में पेपर लीक के बाद जो तस्वीर सामने आई है, ऐसा लगता है कि पेपर लीक करने वाले हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर पूरी प्लानिंग के साथ तैयारी करते है. एक्सपर्ट बताते हैं कि बिहार में शिक्षा माफिया का कनेक्शन ऊपर तक है. ऐसे में परीक्षा की तारीख आते ही सेटिंग का काम शुरू हो जाता है. सेंटर मैनेज करना, शिकार ढूंढना, सॉल्व की मदद लेना, हाईटेक तकनीक, फर्जी छात्रों का इस्तेमाल और प्रिंटिंग प्रेस पर नजर. यानी शुरूआत से लेकर परीक्षा के दिन तक सरगना सब कुछ मैनेज कर लेते हैं.

'यहां सब कुछ मैनेज हो जाता है' : गुरु रहमान ने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों को भी सेंटर संचालक को मिला करके शिक्षा माफिया मैनेज कर लेते हैं. एक सेंटर 50 लाख से एक करोड़ रुपए में मैनेज होता है. इसके अलावा कई शिक्षा माफिया कोड तय करते हैं और आंसर बुकलेट में छेड़छाड़ की जाती है. अभी तक बिहार में ऑनलाइन पेपर वायरल करने में परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 के साथ-साथ साइबर अपराध के भी दो-तीन धाराओं को जोड़ा जाता है. लेकिन यह इतनी गंभीर धारा नहीं है कि ऐसे शिक्षा माफियाओं के मन में डर बने.

क्यों नहीं लग पा रही है रोक ? : पटना में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे माधव झा कहते हैं कि, ''जब पेपर लीक होता है, और परीक्षा कैंसिल होती है, उस समय जो पार्टी सत्ता में होती है, उनका दावा होता है कि 'किसी को बख्शा नहीं जाएगा, सख्त कार्रवाई की जाएगी' लेकिन आप इतिहास उठा कर देख लीजिए, शुरुआती जांच के बाद मास्टरमाइंड पकड़ा जाता है, लेकिन सबूतों के अभाव में कुछ दिनों में उसे बेल मिल जाती हैं और एक बार फिर वे अपने काम में जुट जाते हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

बिहार में पेपर लीक पर कितनी सजा? : आइए जानते हैं कि बिहार में पेपर लीक को लेकर नीतीश सरकार ने कितने सख्त कानून बनाए हैं. बिहार में पेपर लीक करने वालों पर आईटी एक्ट के तहत सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है. बता दें कि पिछले दिनों बीपीएससी की 67वीं प्री परीक्षा में आईपीसी की धारा 420/467/468/120(b) और आईटी एक्ट की धारा 66 व बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3/10 के तहत केस दर्ज किया गया था.

'बिहार में 1000 करोड़ की पेपर लीक इंडस्ट्री' : वहीं, छात्रों के मुद्दों को लेकर मुखर रहने वाले और बीपीएससी और बीएसएससी के कई परीक्षाओं में पेपर लीक को उजागर करने वाले छात्र नेता दिलीप ने कहा कि नया कानून स्वागत योग्य है और पूरे देश में इसे लागू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में कई ऐसे शिक्षा माफिया है, जिन्हें पुलिस गिरफ्तार तो करती है, लेकिन कुछ ही दिनों में बाहर आ जाते है और फिर से अपने काम पर लग जाते है. बिहार में माफियाओं ने पेपर लीक का करीब-करीब 1000 करोड़ से अधिक का बाजार बना लिया है.

दिलीप, छात्र नेता
दिलीप, छात्र नेता

''दारोगा बहाली की परीक्षा में 5 लाख रुपए में क्वेश्चन पेपर बिके हैं. कोई भी पेपर लीक हो क्वेश्चन पेपर कम से कम 2 लाख रुपए में बिकते हैं. ऐसे में बिहार में अघोषित रूप से 1000 करोड़ रुपए से अधिक का पेपर लीक का बाजार है. बिहार सरकार को इस कानून को जल्द से जल्द इंप्लीमेंट करना चाहिए.'' - दिलीप, छात्र नेता

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Last Updated : Feb 7, 2024, 10:15 PM IST
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