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इको टूरिज्म से पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा, स्थानीय जैव विविधता का भी होगा संरक्षण - Eco Tourism Plan

इको टूरिज्म (Eco Tourism) से बिहार में पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, लोगों में जीव-जंतुओं और पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूकता भी बढ़ेगी. इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.

Eco Tourism Plan
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Published : Sep 2, 2021, 10:12 PM IST

पटना: पर्यटन की असीम संभावना वाले बिहार में अब इको टूरिज्म (Eco Tourism) की चर्चा जोरों पर है. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सामने इको टूरिज्म प्लान (Eco Tourism Plan) का प्रेजेंटेशन भी दिया है. वन विभाग ने इको टूरिज्म के लिए एक अलग विंग भी बनाने की तैयारी की है. इसका केंद्र प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित वाल्मीकि नगर को बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: इको टूरिज्म पॉलिसी पर CM के समक्ष दिया गया प्रस्तुतीकरण, बोले नीतीश- बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

दरअसल ईको टूरिज्म का मतलब प्रकृति से सामान्जस्य रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देना है, जिससे प्रकृति को कोई नुकसान ना हो. इको टूरिज्म को बढ़ावा देने का एक बड़ा मकसद राज्य के लोगों में पर्यावरण और जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है, ताकि प्रकृति का संरक्षण बेहतर तरीके से हो. पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही क्षेत्र की जैव विविधता परंपरागत ज्ञान और हेरिटेज को भी सुरक्षित रखना इको टूरिज्म का एक बड़ा मकसद होगा.

नारायण प्रसाद का बयान

इको टूरिज्म को डिवेलप करने का मुख्य मकसद पर्यटन को बढ़ावा देना, प्राकृतिक विविधता को बिना प्रभावित किए पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान करना है.

ये भी पढ़ें: खुशखबरी! बिहार का पहला जू सफारी तैयार, खूंखार जंगली जानवरों का आप कर सकेंगे दीदार

वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने बताया कि बिहार में इको टूरिज्म के प्रबंधन और मेंटेनेंस की पूरी जिम्मेदारी वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दी गई है. इको टूरिज्म के जरिए ना सिर्फ बिहार में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों में जीव-जंतुओं और पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूकता भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि विभाग में इको टूरिज्म के लिए अलग विंग बनाया जा रहा है, जिसके जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.

वहीं, इस बारे में बिहार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा कि वाल्मीकि नगर को इको टूरिज्म का केंद्र बनाया जा रहा है. जहां एक तरफ गंडक नदी है तो दूसरी तरफ वन और पहाड़ है. यह इको टूरिज्म का बेहतरीन उदाहरण बनेगा.

ये भी पढ़ें: 'पर्यटन मानचित्र से बिहार के तमाम जिलों को जोड़ेंगे, चंपारण-सीतामढ़ी के बीच कनेक्शन की भी है तैयारी'

मंत्री ने कहा कि वाल्मीकि नगर पहुंचने के लिए आवागमन आसान बनाया जा रहा है. वहां एक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण भी कराया जाएगा, जिससे कई प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन करने में सहूलियत होगी. इको टूरिज्म के विकास से राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या तो बढ़ेगी ही, साथ ही स्थानीय लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी.

पर्यटन मंत्री ने कहा कि वाल्मीकि नगर में होटल और कन्वेंशन सेंटर के अलावा बच्चों के लिए पार्क और अन्य सुविधाएं विकसित करने के लिए एक विशेष टीम जल्द ही वहां का दौरा करेगी और तमाम संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

बिहार इको टूरिज्म के लिए वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व, मुंगेर का भीमबांध, बेगूसराय का कावर झील, दरभंगा का कुशेश्वरस्थान, चंपारण का सरैयामन, कटिहार का गोगाबिल, राजगीर में जू सफारी और नेचर सफारी और घोड़ा कटोरा, वैशाली का बरेला, अररिया का रानीगंज वाटिका, गया का बुद्ध स्मृति पार्क, जमुई के माधोपुर में महावीर उद्यान, कैमूर और रोहतासगढ़ के कई वनक्षेत्र को चिह्नित किया गया है.

पटना: पर्यटन की असीम संभावना वाले बिहार में अब इको टूरिज्म (Eco Tourism) की चर्चा जोरों पर है. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सामने इको टूरिज्म प्लान (Eco Tourism Plan) का प्रेजेंटेशन भी दिया है. वन विभाग ने इको टूरिज्म के लिए एक अलग विंग भी बनाने की तैयारी की है. इसका केंद्र प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित वाल्मीकि नगर को बनाया जा रहा है.

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दरअसल ईको टूरिज्म का मतलब प्रकृति से सामान्जस्य रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देना है, जिससे प्रकृति को कोई नुकसान ना हो. इको टूरिज्म को बढ़ावा देने का एक बड़ा मकसद राज्य के लोगों में पर्यावरण और जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है, ताकि प्रकृति का संरक्षण बेहतर तरीके से हो. पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही क्षेत्र की जैव विविधता परंपरागत ज्ञान और हेरिटेज को भी सुरक्षित रखना इको टूरिज्म का एक बड़ा मकसद होगा.

नारायण प्रसाद का बयान

इको टूरिज्म को डिवेलप करने का मुख्य मकसद पर्यटन को बढ़ावा देना, प्राकृतिक विविधता को बिना प्रभावित किए पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान करना है.

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वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने बताया कि बिहार में इको टूरिज्म के प्रबंधन और मेंटेनेंस की पूरी जिम्मेदारी वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दी गई है. इको टूरिज्म के जरिए ना सिर्फ बिहार में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों में जीव-जंतुओं और पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूकता भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि विभाग में इको टूरिज्म के लिए अलग विंग बनाया जा रहा है, जिसके जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.

वहीं, इस बारे में बिहार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा कि वाल्मीकि नगर को इको टूरिज्म का केंद्र बनाया जा रहा है. जहां एक तरफ गंडक नदी है तो दूसरी तरफ वन और पहाड़ है. यह इको टूरिज्म का बेहतरीन उदाहरण बनेगा.

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मंत्री ने कहा कि वाल्मीकि नगर पहुंचने के लिए आवागमन आसान बनाया जा रहा है. वहां एक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण भी कराया जाएगा, जिससे कई प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन करने में सहूलियत होगी. इको टूरिज्म के विकास से राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या तो बढ़ेगी ही, साथ ही स्थानीय लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी.

पर्यटन मंत्री ने कहा कि वाल्मीकि नगर में होटल और कन्वेंशन सेंटर के अलावा बच्चों के लिए पार्क और अन्य सुविधाएं विकसित करने के लिए एक विशेष टीम जल्द ही वहां का दौरा करेगी और तमाम संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

बिहार इको टूरिज्म के लिए वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व, मुंगेर का भीमबांध, बेगूसराय का कावर झील, दरभंगा का कुशेश्वरस्थान, चंपारण का सरैयामन, कटिहार का गोगाबिल, राजगीर में जू सफारी और नेचर सफारी और घोड़ा कटोरा, वैशाली का बरेला, अररिया का रानीगंज वाटिका, गया का बुद्ध स्मृति पार्क, जमुई के माधोपुर में महावीर उद्यान, कैमूर और रोहतासगढ़ के कई वनक्षेत्र को चिह्नित किया गया है.

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