पटना: दुर्गाष्टमी और महानवमी की पूजा युगों-युगों से होती आ रही है. मां दुर्गा की पूजा देव नर और असुर सभी करते हैं. दुर्गा पूजा का शुभारंभ नवरात्र से एक दिन पहले महालया से होता है. मान्यता है कि महालया के दिन शाम को मां दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी लोक पर आती हैं और पूरे नौ दिन यहां रह कर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं.
सुहाग का सामान अर्पित करने से दुर्गा मां होती हैं प्रसन्न
बताया जाता है कि अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने के बाद भक्त अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते है. मंदिरों में नारियल फोड़ने की परंपरा मानी जाती है. वहीं अष्टमी के दिन ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा को श्रृंगार का सामान चढाया जाता है. बताया जाता है कि देवी दुर्गा सुहागन हैं, इसलिए उन्हें अगर कोई भक्त अष्टमी के दिन मां को सुहाग का सामान अर्पित करता है तो मां प्रसन्न होती हैं.
मंदिरों में नहीं दिख रही भक्तों की भीड़
मसौढ़ी में अष्टमी को लेकर सुबह से ही विभिन्न मंदिरों में पूजा पंडाल बनाये गये हैं. यहां पूजा अर्चना के लिए भक्त पहुंच रहे है और पूजा अर्चना कर रहे हैं. करोना के इस संक्रमण काल में जिलाप्रशासन के गाइडलाइन के अनुसार प्रतिमा छोटे रूप में बनाये गये हैं और पूजा पंडाल पर रोक लगाया गया है. मसौढी में कुल नौ जगहों पर छोटे स्थान पर प्रतिमा और कलश स्थापन किया गया है. हालांकी बाजारों और मंदिरों में भक्तों की भीड़ नहीं देखने को मिल रही है.