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ठंड में कम से कम इतना पानी जरूर पिएं.. नहीं तो हो सकती है ऐसी गंभीर बीमारी

सर्दी के मौसम में सेहत (Special Attention To Health In Winter) को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. ऐसे में खाने से ज्यादा पानी पीने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ठंड में कम पानी पीने से हो सकती है गंभीर बीमारी. पढ़िए पूरी खबर..

ठंड में सेहत का रखें ख्याल
ठंड में सेहत का रखें ख्याल
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Published : Dec 25, 2021, 7:49 AM IST

पटना: बिहार समेत पूरे उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप जारी है और ऐसे में ठंड के मौसम में खान-पान और दिनचर्या का (Importance Of Diet And Routine in Winter) विशेष महत्व हो जाता है. खानपान में लोग गर्म भोजन का प्रयोग करते हैं. वहीं पानी पीने (Drinking Water in Winter) पर भी विशेष ध्यान रखना होता है. ऐसे में पानी कम पीने से कौन सी बीमारियां होती है और कितना पानी पीना चाहिए, इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं आईजीआईएमएस के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर निखिल कुमार..

ये भी पढ़ें- बिहार में ठंड का मौसम आते ही बढ़ने लगे सर्दी-बुखार के मामले, बरतें ये सावधानी

डॉक्टर निखिल कुमार ने बताया कि, कम पानी पीने की वजह से जो सबसे बड़ी समस्या हो जाती है वह है, किडनी, ब्लैडर और यूरेटर के स्टोन जो पथरी बन जाते हैं. जिन्हें पहले से पथरी की समस्या है वो अगर कम पानी पीते हैं तो पथरी का साइज बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है और इसके बाद पेट दर्द होने लगता है. डॉ निखिल कुमार ने बताया कि, कम पानी पीने से पेशाब में जलन की समस्या बढ़ जाती है और इससे कई बीमारियां बढ़ने लगती है.

ठंड के मौसम में सेहत का रखें ख्याल
दरअसल, डॉक्टर की मानें तो व्यक्ति को शरीर के हिसाब से उतना पानी पीना चाहिए कि पेशाब का रास्ता क्लियर रहे. डॉक्टर निखिल ने बताया कि, ऐसे में जरूरी हो जाता है कि गर्मी के मौसम में लोग 3 से 4 लीटर पानी पिएं तो ठंड के मौसम में कम से कम 2 से 3 लीटर अवश्य पिएं. पथरी से बचाव का भी एक सरल उपाय होता है कि, पानी का प्रयोग पीने में खूब करें. इससे पेट में पथरी के चांसेस काफी कम हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें- राज्यपाल और सीएम ने लोगों को दी क्रिसमस की बधाई

आईजीआईएमएस के डॉक्टर ने बताया कि, अभी के समय में प्रदेश में पथरी के मामले बढ़ने लगे हैं. अस्पतालों में उनके यहां काफी मामले आ रहे हैं और देखने को मिल रहा है. लोग बीमारी के एडवांस स्टेज में पहुंच रहे हैं. इसका मतलब होता है कि पत्थर का ऐसा ही बढ़ गया रहता है और सर्जरी की आवश्यकता पड़ जाती है. कई ऐसे पत्थर होते हैं जो समय रहते पता चलने पर दवाइयों के माध्यम से निकाला जा सकता है.

वहीं, पत्थर के बढ़ने से किडनी डैमेज होने की संभावना बढ़ जाती है और किडनी फेलियर के चांसेस बढ़ जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि अगर किसी को पेट में दर्द होता है तो वह चिकित्सीय परामर्श ले और अल्ट्रासाउंड कराएं. आईजीआईएमएस में ऐसे मामलों के चिकित्सीय परामर्श और इलाज की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है और मरीज यहां प्रतिदिन लाभान्वित हो रहे हैं.

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पटना: बिहार समेत पूरे उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप जारी है और ऐसे में ठंड के मौसम में खान-पान और दिनचर्या का (Importance Of Diet And Routine in Winter) विशेष महत्व हो जाता है. खानपान में लोग गर्म भोजन का प्रयोग करते हैं. वहीं पानी पीने (Drinking Water in Winter) पर भी विशेष ध्यान रखना होता है. ऐसे में पानी कम पीने से कौन सी बीमारियां होती है और कितना पानी पीना चाहिए, इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं आईजीआईएमएस के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर निखिल कुमार..

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डॉक्टर निखिल कुमार ने बताया कि, कम पानी पीने की वजह से जो सबसे बड़ी समस्या हो जाती है वह है, किडनी, ब्लैडर और यूरेटर के स्टोन जो पथरी बन जाते हैं. जिन्हें पहले से पथरी की समस्या है वो अगर कम पानी पीते हैं तो पथरी का साइज बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है और इसके बाद पेट दर्द होने लगता है. डॉ निखिल कुमार ने बताया कि, कम पानी पीने से पेशाब में जलन की समस्या बढ़ जाती है और इससे कई बीमारियां बढ़ने लगती है.

ठंड के मौसम में सेहत का रखें ख्याल
दरअसल, डॉक्टर की मानें तो व्यक्ति को शरीर के हिसाब से उतना पानी पीना चाहिए कि पेशाब का रास्ता क्लियर रहे. डॉक्टर निखिल ने बताया कि, ऐसे में जरूरी हो जाता है कि गर्मी के मौसम में लोग 3 से 4 लीटर पानी पिएं तो ठंड के मौसम में कम से कम 2 से 3 लीटर अवश्य पिएं. पथरी से बचाव का भी एक सरल उपाय होता है कि, पानी का प्रयोग पीने में खूब करें. इससे पेट में पथरी के चांसेस काफी कम हो जाते हैं.

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आईजीआईएमएस के डॉक्टर ने बताया कि, अभी के समय में प्रदेश में पथरी के मामले बढ़ने लगे हैं. अस्पतालों में उनके यहां काफी मामले आ रहे हैं और देखने को मिल रहा है. लोग बीमारी के एडवांस स्टेज में पहुंच रहे हैं. इसका मतलब होता है कि पत्थर का ऐसा ही बढ़ गया रहता है और सर्जरी की आवश्यकता पड़ जाती है. कई ऐसे पत्थर होते हैं जो समय रहते पता चलने पर दवाइयों के माध्यम से निकाला जा सकता है.

वहीं, पत्थर के बढ़ने से किडनी डैमेज होने की संभावना बढ़ जाती है और किडनी फेलियर के चांसेस बढ़ जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि अगर किसी को पेट में दर्द होता है तो वह चिकित्सीय परामर्श ले और अल्ट्रासाउंड कराएं. आईजीआईएमएस में ऐसे मामलों के चिकित्सीय परामर्श और इलाज की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है और मरीज यहां प्रतिदिन लाभान्वित हो रहे हैं.

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