पटनाः बिहार में शिक्षा (Education In Bihar) के क्षेत्र में कई कमियां हैं. जिन्हें दूर करने के लिए एनजीओ और निजी एजेंसियों को भी आगे आना होगा. स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह की परेशानियां हैं उससे भी कहीं ज्यादा परेशानी शिक्षा के क्षेत्र में है. यह कहना है बिहार में शिक्षा के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे गए डॉ. शंकर नाथ झा (Dr. Shankar Nath Jha) का. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बिहार में गंभीर प्रयास करने की जरूरत है.
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ईटीवी भारत ने जब डॉ. शंकर नाथ झा (Dr. Shankar Nath Jha) से पूछा कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में क्या चुनौतियां हैं तो उन्होंने कहा कि कई चुनौतियां हैं. स्वास्थ्य की तरह शिक्षा में भी बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि महादलित बच्चों के लिए अलग विद्यालय होना चाहिए ताकि उन्हें आसानी से एडमिशन मिल सके और उन्हें पढ़ाई करने में कोई परेशानी ना हो.
'अब भी दलित टोले के बच्चों को स्कूल में एडमिशन में परेशानी होती है. जिसकी वजह से वे पढ़ाई नहीं कर पाते. शिक्षा के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे गए डॉक्टर शंकर नाथ झा ने कहा कि महादलित बच्चों के लिए अलग नवोदय विद्यालय होना चाहिए या फिर नवोदय विद्यालय में ही महादलित बच्चों के लिए सीटें रिजर्व होनी चाहिए. ताकि उन्हें एडमिशन में परेशानी ना हो'- डॉ शंकर नाथ झा, चिकित्सक
डॉक्टर झा ने कहा कि वे जल्द ही एक ऐसा हॉस्टल बनाने जा रहे हैं जहां इन बच्चों के रहने की व्यवस्था होगी और जहां शिक्षक इन्हें पढ़ाएंगे. वह खुद भी समय निकाल कर इन्हें पढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को महादलित बच्चों का बजट बढ़ाना चाहिए. इनके लिए ज्यादा से ज्यादा रेजिडेंशियल स्कूल बनाने चाहिए तभी यह समाज के मुख्य धारा से जुड़ेंगे और इनकी पढ़ाई बेरोकटोक हो सकेगी.
बता दें कि शिक्षा दिवस के मौके पर गुरुवार को सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने एमबीबीएस डॉक्टर शंकर नाथ झा को राज्य के शिक्षा के सर्वोच्च सम्मान मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) शिक्षा पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया. उन्हें ढाई लाख रुपये का चेक और प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया. डॉक्टर रहते हुए शंकरनाथ झा महादलित समुदाय के बच्चों को शिक्षा दिलाने में सालों से लगे हुए हैं.
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जमुई में रहने वाले चिकित्सक शंकर नाथ झा ने दलित बस्तियों में मुसहर जाति के बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में कई साल पहले प्रयास शुरू किया. उनका यह अभियान अब जमुई के 55 महादलित टोलों तक पहुंच गया है. इन 55 केंद्रों में अभी करीब 55 सौ बच्चे पढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इनके प्रयास से पहली बार वहां महादलित समुदाय के 15 बच्चों ने स्नातक 75 बच्चों ने इंटरमीडिएट और 350 बच्चों ने मैट्रिक की परीक्षा पास की है.