पटना: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विश्व भर में महिला उत्थान के लिए कई क्रार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. ऐसे में उन सभी महिला प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है जो शिक्षा, संस्कृति, कला व उद्यम सहित अलग-अलग क्षेत्रों में योगदान दे रही हैं. ऐसे में बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. कहते हैं कि जिनके अंदर प्रतिभा हो और कुछ कर गुजरने की चाहत हो वह हर मुकाम को हासिल लेता है. बिहार की ऐसी महिला की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने कर्तव्यनिष्ठा की एक मिसाल कायम की है.
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बता दें कि डॉ. दीपाली सिंह पीएमसीएच में बतौर सीनियर रेजिडेंट कार्यरत हैं. देश में कोरोना वायरस जैसे वैश्वीक महामारी पूरी तरह से पांव पसार चुका था. जिसे देखते हुए भारत सरकार ने देश भर में कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन लागू कर दिया. ऐसे समय में इनकी साल 2020 में 19 मार्च को डिलीवरी हुई थी और इस दौरान एक छोटी सर्जरी भी हुई थी. तब अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की जरुरत कई गुना बढ़ गई. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान लोग अस्पतालों में जाने से कतरा रहे थे. ऐसे समय में डॉ. दीपाली ने देश में आपदा की घड़ी में चिकित्सकों की जरूरत को महसूस करते हुए, अस्वस्थ स्थिति में ही 26 मार्च को ही पीएमसीएच में ड्यूटी जॉइन कर ली.
पिता और पति से मिली प्रेरणा
ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. दीपाली ने बताया कि उनके पिता पुलिस सेवा से जुड़े हुए हैं और पुलिस मुख्यालय में तैनात हैं. वहीं, जबकि उनके पति एक चिकित्सक हैं. डॉ. दीपाली ने बताया कि उनके पति और उनके पिता ने उन्हें प्रेरणा दी कि अगर वह ड्यूटी कर पाने में सक्षम हो तो अवश्य वह ड्यूटी जॉइन करें. जिसके बाद उन्होंने 26 मार्च को ड्यूटी ज्वाइन कर ली. उन्होंने बताया कि अस्पताल में उनकी ड्यूटी ज्वाइन करने के तीन-चार दिन के अंदर ही उनके साथ एक ऐसी घटना हुई जिसने उन्हें काफी प्रभावित किया.
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अपनी जरूरत हुई महसूस
'एक 75 वर्षीय प्रिजनर अस्पताल में पहुंचा तो वह सीधे उनके पैर पर गिर गया और गिर-गिर जाने लगा कि प्लीज मुझे एडमिट कीजिए. मेरा इलाज कीजिए, मैं मरना नहीं चाहता. इस दौरान मैं पीपीई किट में लैश थी और उन्होंने उस घड़ी यह महसूस किया कि मेरी अस्पताल में कितनी जरूरत है.'- डॉ. दीपाली
मन में था संक्रमित होने का डर
'कोरोना काल के दौरान काफी डर था कि कहीं मेरे कारण मेरा नवजात बच्चा बीमार न पड़ जाए. संक्रमण के शुरुआती दौर में किसी को बीमारी की सही समझ ही नहीं थी और एक घबराहट की स्थिति बनी हुई थी, किसी को नहीं पता था कि इसका इलाज क्या है और इससे कैसे बचाव होगा. जब कोरोना मरीज मेरे काफी नजदीक आ जाते थे, तो मुझे एक डर हो जाता था कि कहीं एसिंप्टोमेटिक रूप से संक्रमित ना हो जाऊं और इस कारण घर का कोई सदस्य संक्रमित न हो.'- डॉ. दीपाली
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पिता और पति का रहा सहयोग
महिला दिवस के मौके पर समाज मोदी के बारे में बताते हुए डॉ. दीपाली सिंह ने कहा कि अभी के समय में समाज में महिलाओं की स्थिति काफी मजबूत हुई है. उन्होंने कहा कि वह खुद समाज में एक सशक्त महिला बनी है और इसके पीछे उनके पिता और पति का सहयोग रहा है. उन्होंने कहा कि समाज बदल रहा है और महिलाओं को आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिल रहा है. आज समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाएं काफी बेहतरीन कर रही हैं और बेहतर मुकाम पर हैं.
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समाज में महिलाएं और मजबूत हो, जिसके लिए समाज के सभी सशक्त महिलाओं को यह प्रयास करना चाहिए कि वह कुछ ऐसा करें कि समाज में पिछले तबके की महिलाएं उन से प्रेरित होकर आगे आए. महिलाएं पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं है और यह बात महिलाओं को समझना होगा.