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कोरोना से तबाह मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को 'बजट बूस्टर' की दरकार.. प्रदेश के डॉक्टर्स को बड़ी उम्मीदें - etv bihar bharat

कोरोना काल में चिकित्सा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान की डिमांड की जा रही है. चिकित्सकों का कहना है कि बिहार के बजट (Bihar budget 2022) में सरकार को खास ध्यान रखना होगा. पेंडेमिक ने हमें बहुत कुछ सिखाया है. हमें अपनी कमियों को दूर करने के लिए काफी बजट की जरूरत होगी.

बिहार के बजट से डॉक्टर्स को काफी उम्मीद
बिहार के बजट से डॉक्टर्स को काफी उम्मीद
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Published : Feb 22, 2022, 4:48 PM IST

पटना : 28 फरवरी को राज्य सरकार बिहार का बजट 2022 पेश करने जा रही है. ऐसे में इस बार के बजट से प्रदेश के चिकित्सकों को काफी उम्मीदें (Bihar budget on medical sector) हैं. कोरोना महामारी से उत्पन्न हालातों के बाद स्वास्थ्य सेवा की अहमियत सभी को समझ में आई है. प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां भी महामारी के दौरान खूब उजागर हुई. ऐसे में कोई भी महामारी के समय इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न ना हो इसको लेकर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किए जाने की बात प्रदेश के वरिष्ठ चिकित्सक कह रहे हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार अपने बजट का 6 से 9 फ़ीसदी हेल्थ सेक्टर को मुहैया कराए और प्रदेश के सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ने की दिशा में काम करे.

ये भी पढ़ें- Bihar Budget में व्यापारियों की मांग- 'बैंक से लोन लेना हो आसान.. पेंशन और सुरक्षा पर भी ध्यान दे सरकार'

'इस बार बजट में हेल्थ पर प्राथमिकता देनी होगी और हेल्थ सेक्टर का बजट बढ़ाने की काफी आवश्यकता है. डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक लेवल पर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही डॉक्टरों की ट्रेनिंग का प्रोग्राम डिस्ट्रिक्ट लेवल में भी होना चाहिए. जो मेडिकल कॉलेज से छात्र एमबीबीएस पास आउट करते हैं और पीजी के तैयारी करते हैं उन्हें 3 से 4 साल ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूटी देने की आवश्यकता है ताकि वह इंडिपेंडेंट लेवल पर प्रैक्टिस करने के लिए तैयार हो सकें.'- डॉ सत्यजीत सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक एवं संचालक, रूबन हॉस्पिटल


प्रदेश के वरिष्ठ चिकित्सक और रूबन हॉस्पिटल के संचालक डॉ सत्यजीत सिंह ने कहा कि बजट में हेल्थ पर पब्लिक स्पेंडिंग बजट का 6-9% होना चाहिए. पब्लिक और प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर जितने भी हैं उसे और अधिक इक्विपमेंट से लैस करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही पॉपुलेशन के देशों में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की संख्या भी प्रदेश में बढ़ाने की काफी आवश्यकता है. ताकि हर व्यक्ति केयर्ड हो और उसे पता हो कि उसे किस डॉक्टर और किस नर्सिंग स्टाफ के कॉन्टेक्ट में रहना है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हेल्थ सेक्टर में प्रदेश में काफी डेवलपमेंट हुआ है. लेकिन अभी भी देश के केरल तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की तुलना में बिहार में हेल्थ केयर वर्कर्स का रेशियो पॉपुलेशन की तुलना में काफी कम है.

ये भी पढ़ें: कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह का दावा- बिहार बजट में होगा किसानों की तरक्की पर जोर

'जिस प्रकार से गाड़ियों के लिए नियम है कि इंश्योरेंस होगा तभी वह रोड पर चलेगा उसी प्रकार देश के सभी लोगों का हेल्थ बीमा होना जरूरी है. प्रदेश सरकार भी अपने प्रदेश के सभी लोगों को हेल्थ बीमा से जोड़ने का काम करें. जो सक्षम है उन्हें प्राइवेट लेबल पर और कमजोर लोगों के लिए सरकार अपने स्तर से बीमा के दायरे में लाने का प्रयास करें. आयुष्मान योजना सरकार का बहुत अच्छा और दुनिया की बहुत बड़ी स्कीम है. लेकिन इसके फंडिंग को और बढ़ाने की आवश्यकता है.'- डॉ सत्यजीत सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक एवं संचालक, रूबन हॉस्पिटल

पीएमसीएच के रिटायर्ड चिकित्सक और आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ एके अग्रवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद जो हमने सबक सीखा उसमें सिर्फ यही नहीं सीखा कि हाईब्रिड मीटिंग और हाईब्रिड कॉन्फ्रेंस वर्चुअल मोड में कैसे होते हैं? बल्कि यह भी सीखा कि बजट कितना महत्वपूर्ण है इस प्रकार के डिजास्टर के लिए.

कोरोना पैंडमिक आज के समय में इंडेमिक होकर भी परेशान किए हुए है और अपना असर दिखा रहा है. कोरोना महामारी ने यह दिखा दिया कि बजट में हेल्थ सेक्टर को महत्व देना कितना जरूरी है. ऐसे में वह चाहते हैं कि इस बार का जो बजट है उसमें प्रदेश में हेल्थ सेक्टर का बजट काफी बढ़े और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त किया जाए.- डॉ एके अग्रवाल, रिटायर्ड चिकित्सक

ये भी पढ़ें: Bihar Budget 2022: पटना के किसानों को बजट से है काफी उम्मीदें, कहा- 'हमें राहत दे सरकार'


पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के रिटायर्ड चिकित्सक डॉक्टर दिनेश प्रसाद गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में हेल्थ सेक्टर बजट में नेगलेक्टेड चल रहा है. कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश में हेल्थ सेक्टर की खामियां खुलकर उजागर हुईं. यह सामने आ गया कि कहां कितना और क्या कुछ कमी है? हालांकि तीसरे लहर में तैयारियां काफी दुरुस्त की गई लेकिन वह समझते हैं कि बजट में कम से कम बजट का पांच फीसदी हेल्थ सेक्टर को मिलना चाहिए.

'प्रदेश में अभी भी अस्पतालों में चिकित्सकों की भारी कमी है. चिकित्सकों के साथ साथ नर्सिंग स्टाफ और अन्य सर्पोटिंग स्टाफ की भी भारी कमी है. इस कमी को दूर करने की दिशा में बजट में कुछ प्रावधान होना चाहिए और सरकार को सकारात्मकता से इस कमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. प्रदेश के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भी हेल्थ केयर वर्कर्स की काफी कमी है और ऐसे में जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरने की दिशा में सरकार को कदम उठाना चाहिए.'- डॉक्टर दिनेश कुमार गुप्ता, रिटायर्ड चिकित्सक, PMCH, मेडिसिन विभाग

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पटना : 28 फरवरी को राज्य सरकार बिहार का बजट 2022 पेश करने जा रही है. ऐसे में इस बार के बजट से प्रदेश के चिकित्सकों को काफी उम्मीदें (Bihar budget on medical sector) हैं. कोरोना महामारी से उत्पन्न हालातों के बाद स्वास्थ्य सेवा की अहमियत सभी को समझ में आई है. प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां भी महामारी के दौरान खूब उजागर हुई. ऐसे में कोई भी महामारी के समय इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न ना हो इसको लेकर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किए जाने की बात प्रदेश के वरिष्ठ चिकित्सक कह रहे हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार अपने बजट का 6 से 9 फ़ीसदी हेल्थ सेक्टर को मुहैया कराए और प्रदेश के सभी लोगों को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ने की दिशा में काम करे.

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'इस बार बजट में हेल्थ पर प्राथमिकता देनी होगी और हेल्थ सेक्टर का बजट बढ़ाने की काफी आवश्यकता है. डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक लेवल पर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही डॉक्टरों की ट्रेनिंग का प्रोग्राम डिस्ट्रिक्ट लेवल में भी होना चाहिए. जो मेडिकल कॉलेज से छात्र एमबीबीएस पास आउट करते हैं और पीजी के तैयारी करते हैं उन्हें 3 से 4 साल ग्रामीण क्षेत्रों में ड्यूटी देने की आवश्यकता है ताकि वह इंडिपेंडेंट लेवल पर प्रैक्टिस करने के लिए तैयार हो सकें.'- डॉ सत्यजीत सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक एवं संचालक, रूबन हॉस्पिटल


प्रदेश के वरिष्ठ चिकित्सक और रूबन हॉस्पिटल के संचालक डॉ सत्यजीत सिंह ने कहा कि बजट में हेल्थ पर पब्लिक स्पेंडिंग बजट का 6-9% होना चाहिए. पब्लिक और प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर जितने भी हैं उसे और अधिक इक्विपमेंट से लैस करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही पॉपुलेशन के देशों में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की संख्या भी प्रदेश में बढ़ाने की काफी आवश्यकता है. ताकि हर व्यक्ति केयर्ड हो और उसे पता हो कि उसे किस डॉक्टर और किस नर्सिंग स्टाफ के कॉन्टेक्ट में रहना है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हेल्थ सेक्टर में प्रदेश में काफी डेवलपमेंट हुआ है. लेकिन अभी भी देश के केरल तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की तुलना में बिहार में हेल्थ केयर वर्कर्स का रेशियो पॉपुलेशन की तुलना में काफी कम है.

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'जिस प्रकार से गाड़ियों के लिए नियम है कि इंश्योरेंस होगा तभी वह रोड पर चलेगा उसी प्रकार देश के सभी लोगों का हेल्थ बीमा होना जरूरी है. प्रदेश सरकार भी अपने प्रदेश के सभी लोगों को हेल्थ बीमा से जोड़ने का काम करें. जो सक्षम है उन्हें प्राइवेट लेबल पर और कमजोर लोगों के लिए सरकार अपने स्तर से बीमा के दायरे में लाने का प्रयास करें. आयुष्मान योजना सरकार का बहुत अच्छा और दुनिया की बहुत बड़ी स्कीम है. लेकिन इसके फंडिंग को और बढ़ाने की आवश्यकता है.'- डॉ सत्यजीत सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक एवं संचालक, रूबन हॉस्पिटल

पीएमसीएच के रिटायर्ड चिकित्सक और आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ एके अग्रवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद जो हमने सबक सीखा उसमें सिर्फ यही नहीं सीखा कि हाईब्रिड मीटिंग और हाईब्रिड कॉन्फ्रेंस वर्चुअल मोड में कैसे होते हैं? बल्कि यह भी सीखा कि बजट कितना महत्वपूर्ण है इस प्रकार के डिजास्टर के लिए.

कोरोना पैंडमिक आज के समय में इंडेमिक होकर भी परेशान किए हुए है और अपना असर दिखा रहा है. कोरोना महामारी ने यह दिखा दिया कि बजट में हेल्थ सेक्टर को महत्व देना कितना जरूरी है. ऐसे में वह चाहते हैं कि इस बार का जो बजट है उसमें प्रदेश में हेल्थ सेक्टर का बजट काफी बढ़े और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त किया जाए.- डॉ एके अग्रवाल, रिटायर्ड चिकित्सक

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पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के रिटायर्ड चिकित्सक डॉक्टर दिनेश प्रसाद गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में हेल्थ सेक्टर बजट में नेगलेक्टेड चल रहा है. कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश में हेल्थ सेक्टर की खामियां खुलकर उजागर हुईं. यह सामने आ गया कि कहां कितना और क्या कुछ कमी है? हालांकि तीसरे लहर में तैयारियां काफी दुरुस्त की गई लेकिन वह समझते हैं कि बजट में कम से कम बजट का पांच फीसदी हेल्थ सेक्टर को मिलना चाहिए.

'प्रदेश में अभी भी अस्पतालों में चिकित्सकों की भारी कमी है. चिकित्सकों के साथ साथ नर्सिंग स्टाफ और अन्य सर्पोटिंग स्टाफ की भी भारी कमी है. इस कमी को दूर करने की दिशा में बजट में कुछ प्रावधान होना चाहिए और सरकार को सकारात्मकता से इस कमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. प्रदेश के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भी हेल्थ केयर वर्कर्स की काफी कमी है और ऐसे में जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरने की दिशा में सरकार को कदम उठाना चाहिए.'- डॉक्टर दिनेश कुमार गुप्ता, रिटायर्ड चिकित्सक, PMCH, मेडिसिन विभाग

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