पटना: भारत सरकार ने पीजी कोर्स कर चुके आयुष डॉक्टरों को 39 प्रकार की सर्जरी की इजाजत दे दी है, जिसका एलोपैथी चिकित्सकों का संघ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए विरोध कर रहा है. आईएमए से जुड़े देश भर के डॉक्टरों ने आज सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक भारत सरकार के इस फैसले के विरोध में कार्य बहिष्कार करने ऐलान किया है.
पीएमसीएच आईएमएब्रांच के सेक्रेटरी और आईएमए बिहार के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. सच्चिदानंद सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि आंख-कान-नाक समेत 40 प्रकार की सर्जरी की इजाजत भारत सरकार ने आयुष चिकित्सकों को दी है. इसका वह लोग विरोध करते हैं. क्योंकि देशभर में आयुर्वेदिक अस्पतालों में इंफ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर है और जो योगी आयुष चिकित्सक बने हैं. उन्होंने पर्याप्त प्रैक्टिकल नहीं किया है. उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंस अन्य विषयों की तरह नहीं है. इसमें प्रैक्टिकल की काफी महत्ता होती है.
'राज्य के आयुर्वेदिक कॉलेजों में और देश भर में आयुर्वेदिक कॉलेजों में पीजी कोर्सेज की पढ़ाई काफी पहले से होती नहीं है और यह चिकित्सक अब तक शल्यक्रिया से मरहूम थे. डॉक्टर भी सर्जरी शुरू कर देंगे. इससे मेडिकल फील्ड में अराजकता पैदा हो जाएगी और काफी केस बिगड़ेंगे और वह बिगड़े हुए केस भी एलोपैथिक डॉक्टरों के पास पहुंचेंगे. शल्य चिकित्सा महान आयुर्वेदाचार्य महर्षि सुश्रुत की ही देन है. लेकिन समय के साथ-साथ आयुर्वेद में डेव्हलपमेंट नहीं हुआ और धीरे-धीरे और कमजोर पड़ता गया. आयुर्वेद भारत की चिकित्सा पद्धति है और एक समय में यह सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति हुआ करती थी और उस समय अंग प्रत्यारोपण भी हुआ करते थे': डॉ. सच्चिदानंद सिंह, पूर्व प्रेसिडेंट, आईएमए बिहार
कार्य बहिष्कार करने का ऐलान
डॉ. सच्चिदानंद सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने यह जो आयुष चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति दी है. आईएमए का मानना है कि इस फैसले के पहले देशभर के आयुर्वेद कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ करना चाहिए था और आयुर्वेद चिकित्सा की पढ़ाई बेहतर तरीके से हो यह सुनिश्चित कराने के अलावे प्रैक्टिकल पर विशेष जोर देना चाहिए था.