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Health News: जन्म से मुड़े दोनों पैर की सफल सर्जरी का कमाल, अपाहिज होने से बच गया बच्चा

बच्चे के जन्म से मुड़े दोनों पैर को ठीक किया जा सकता है. समय रहते अगर ठीक ढंग से इलाज किया जाए तो अपंगता को बच्चा आजीवन झेलने को मजबूर नहीं रहता. वो अपने पैरों पर खड़ा होकर चल सकता है. पटना के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जसविंदर ने इसे कर दिखाया है. पढ़ें पूरी खबर-

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Published : Apr 30, 2023, 10:12 PM IST

पटना : बिहार की राजधानी पटना के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ जसविंदर सिंह एक बच्चे को पैरों की अपंगता से पूरी तरह बाहर निकाल दिया है. अब वह बच्चा सामान्य बच्चे की तरह चलता और दौड़ता है. परिजन बच्चे के जन्म के सात दिन बाद ही डॉ. जसविंदर के पास लेकर पहुंचे थे. उसके दोनों पांव बहुत ज्यादा टेढे थे. इस समस्या को क्लब फुट कहा जाता है. डॉ. जसविंदर ने उसी समय उसका इलाज शुरू कर दिया. कुछ दिनों के लिए प्लास्टर और फिर मामूली ऑपरेशन से बच्चे के पांव को सीधा कर दिया गया है. बच्चा पटना जिला का ही रहने वाला है.

ये भी पढ़ें- Frozen Shoulder : कंधे को जाम कर सकती है फ्रोजन शोल्डर की समस्या


जन्म से मिला इलाज तो बच्चा अपंग होने से बचा: डॉ. जसविंदर ने बताया कि ऑपरेशन से पहले पांच हफ्ते तक पांच बार बच्चे के दोनों पैरों का प्लास्टर किया गया. पांचवां प्लास्टर खुलने के बाद एक मामूली सा ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद पैर पूरी तरह सीधा हो गया. ऑपरेशन के बाद तीन हफ्ते तक फिर उसके पैरों में प्लास्टर लगाया गया. प्लास्टर खुलने के बाद बच्चे को एक विशेष तरह का जूता पहनने के लिए दिया गया. हर दिन 23 घंटे इस जूते को बच्चे को पहनाया गया.

डॉक्टरों का करिश्मा: उम्र के हिसाब से जूते का साइज बदलता रहा. इसके बाद बच्चे के दोनों पैर सीधे हो गए. अब उसे रात में पहनकर सोने के लिए एक अलग तरह का जूता दिया गया है. अब वह बच्चा डेढ़ साल का हो गया है. पिछले दिनों फॉलो अप में मां-पिता बच्चा को लेकर दिखाने आए थे, बच्चे का पैर पूरी तरह सीधा है और बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होकर चलने लगा है.


सावधानी और इलाज से बच्चा हुआ सामान्य: डॉ. जसविंदर ने बताया कि इन दिनों क्लब फुट की समस्या काफी ज्यादा देखी जा रही है. कई मामलों में ये बीमारी अन्य बीमारियों से प्रभावित होती है. कई बार इसका किसी अन्य बीमारी से कोई संबंध नहीं होता है. हमारे पास लगभग हर हफ्ते तीन से पांच मरीज इस समस्या को लेकर पहुंचते हैं. इनमें बिहार, झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों के भी मरीज होते हैं.

''इस प्रकार के कई दर्जनों मामले में पीड़ित बच्चे को ठीक कर चुका हूं. इस इलाज में खर्च भी बहुत अधिक नहीं होता है और न भर्ती करने की आवश्यकता होती है. बशर्ते कि मरीज को सही समय पर डॉक्टर के पास लाया जाए, जितना जल्द इलाज शुरू होगा उसके ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होगी. उम्र बढ़ने पर प्लास्टर से इलाज करने में मुश्किल आ सकती है.''- डॉ. जसविंदर, हड्डी रोग विशेषज्ञ

पटना : बिहार की राजधानी पटना के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ जसविंदर सिंह एक बच्चे को पैरों की अपंगता से पूरी तरह बाहर निकाल दिया है. अब वह बच्चा सामान्य बच्चे की तरह चलता और दौड़ता है. परिजन बच्चे के जन्म के सात दिन बाद ही डॉ. जसविंदर के पास लेकर पहुंचे थे. उसके दोनों पांव बहुत ज्यादा टेढे थे. इस समस्या को क्लब फुट कहा जाता है. डॉ. जसविंदर ने उसी समय उसका इलाज शुरू कर दिया. कुछ दिनों के लिए प्लास्टर और फिर मामूली ऑपरेशन से बच्चे के पांव को सीधा कर दिया गया है. बच्चा पटना जिला का ही रहने वाला है.

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जन्म से मिला इलाज तो बच्चा अपंग होने से बचा: डॉ. जसविंदर ने बताया कि ऑपरेशन से पहले पांच हफ्ते तक पांच बार बच्चे के दोनों पैरों का प्लास्टर किया गया. पांचवां प्लास्टर खुलने के बाद एक मामूली सा ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद पैर पूरी तरह सीधा हो गया. ऑपरेशन के बाद तीन हफ्ते तक फिर उसके पैरों में प्लास्टर लगाया गया. प्लास्टर खुलने के बाद बच्चे को एक विशेष तरह का जूता पहनने के लिए दिया गया. हर दिन 23 घंटे इस जूते को बच्चे को पहनाया गया.

डॉक्टरों का करिश्मा: उम्र के हिसाब से जूते का साइज बदलता रहा. इसके बाद बच्चे के दोनों पैर सीधे हो गए. अब उसे रात में पहनकर सोने के लिए एक अलग तरह का जूता दिया गया है. अब वह बच्चा डेढ़ साल का हो गया है. पिछले दिनों फॉलो अप में मां-पिता बच्चा को लेकर दिखाने आए थे, बच्चे का पैर पूरी तरह सीधा है और बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होकर चलने लगा है.


सावधानी और इलाज से बच्चा हुआ सामान्य: डॉ. जसविंदर ने बताया कि इन दिनों क्लब फुट की समस्या काफी ज्यादा देखी जा रही है. कई मामलों में ये बीमारी अन्य बीमारियों से प्रभावित होती है. कई बार इसका किसी अन्य बीमारी से कोई संबंध नहीं होता है. हमारे पास लगभग हर हफ्ते तीन से पांच मरीज इस समस्या को लेकर पहुंचते हैं. इनमें बिहार, झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों के भी मरीज होते हैं.

''इस प्रकार के कई दर्जनों मामले में पीड़ित बच्चे को ठीक कर चुका हूं. इस इलाज में खर्च भी बहुत अधिक नहीं होता है और न भर्ती करने की आवश्यकता होती है. बशर्ते कि मरीज को सही समय पर डॉक्टर के पास लाया जाए, जितना जल्द इलाज शुरू होगा उसके ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होगी. उम्र बढ़ने पर प्लास्टर से इलाज करने में मुश्किल आ सकती है.''- डॉ. जसविंदर, हड्डी रोग विशेषज्ञ

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