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डॉक्टर डी दास के फुटवेयर की लंबी है फैन फॉलोविंग, लालू और नीतीश को भी पसंद है इनके 'क्लीनिक' में बने जूते - ईटीवी भारत बिहार

आपने आज तक आदमी का डॉक्टर, जानवरों का डॉक्टर देखा होगा लेकिन क्या कभी सुना है कि कोई जूतों का डॉक्टर (Doctor of Footwear in patna) भी हो सकता है? नहीं ना! तो आज हम आपको ऐसे ही डॉक्टर से मिलवाएंगे जिनके बनाए जूते पॉलिटिशियन से लेकर पुलिस तक और ऑला अफसर से लेकर आम आदमी तक पहनता है. इनके डॉक्टर बनने की कहानी भी दिलचस्प है. पढ़ें पूरी खबर-

डॉक्टर डी दास के फुटवेयर
डॉक्टर डी दास के फुटवेयर
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Published : May 26, 2022, 1:57 PM IST

पटना: राजधानी पटना के करबिगहिया इलाके में जूतों की दुकान के बाहर लगे बोर्ड को देखकर हर कोई ठिठक जाता है. डॉक्टर डोमन दास (Doctor D Das) इसी शॉप में अपनी क्लीनिक चलाते हैं. पिछले 62 साल से ये इसी जगह जूतों का इलाज करते आ रहे हैं. इनके बनाए गए जूतों की डिमांड बहुत हाई है. इनके हाथों से बने जूतों को जिसने भी पहन लिया फिर वो उन्ही जूतों की डिमांड करने लगता है. यही वजह है कि इनके हाथों से बने जूते अमेरिका, लंदन, यूएई तक जाते हैं.

ये भी पढ़ें- खेत में अनुसूचित जाति के लोगों के आने पर लगायी रोक, मुनादी कर 5 हजार जुर्माना और 50 जूते मारने का किया ऐलान

'जैसे डॉक्टर जिंदा इंसानों या जानवरों का इलाज करते हैं वैसे ही मैं भी जूतों का इलाज करता हैं. दोनों में ही हाड़-मांस, चमड़ा होता है. फर्क ये है कि मेरा मरीज मरे जानवरों के चपड़े होते हैं. मेरे द्वारा बनाए गए जूतों सभी को पसंद हैं. लालू यादव ने भी मेरे जूते पहने हैं. मंत्री श्रवण कुमार, आरसीपी सिंह भी यहीं से जूते ले जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहींं के बने जूते पहनते हैं. मेरे क्लीनिक में बना जूता देश विदेश में जाता है'- डॉक्टर डोमन दास, 'जूतों के डॉक्टर'

'नेताओं को भी पसंद हैं मेरे हैंड मेड जूते' : डॉक्टर डोमन दास जेपी आंदोलन में जेल भी जा चुके हैं. जिस जेल में नीतीश कुमार बंद थे उसी जेल में डॉक्टर डोमन दास भी जेपी आंदोलन के वक्त बंद थे. इनके बनाए जूते न सिर्फ मंत्री-नेता और अफसर इस्तेमाल करते हैं, बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री को भी खूब भाता है. बिहार के डीजीपी और कई अधिकारी मंत्री को पसंद आता हैं. यहां तक कि लालू यादव भी इनके बनाए जूते चपल पहन चुके हैं. ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री श्रवण कुमार तो अभी तक ऑर्डर देकर जूते बनवाते हैं.

62 साल से कर रहे जूतों का इलाज :बूट बनवाने के लिए तो लोग काफी दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. यहां तक कि विदेश में रहने वाले भी उनके यहां से बना हुआ जूता मंगवाते हैं. उनके बनाए जूते दुबई, अमेरिका, इंग्लैंड तक जा चुका है. डोमन दास बचपन में पटना के हनुमान मंदिर में बूट पॉलिश किया करते थे. वे बताते हैं कि 1965 में किसी तरह लोगों के जूते पॉलिश कर अपना जीवन यापन करते थे. फिर उन्होंने पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर के नज़दीक फुटपाथ पर सोल रिपेयरिंग का काम करना शुरू किया. जूता बनाने में रुचि होने के कारण धीरे-धीरे वे इसमें महारथ हासिल करने लगे. सिर्फ 8वीं पास डॉ. डोमन दास ने 1989 में लैदर टेक्नोलॉजी में बकायदा ट्रेनिंग कर प्रमाणपत्र प्राप्त किया. फिर पटना के करबिगहिया में डॉ. डोमन दास के नाम से अपना क्लीनिक खोला.

चमड़े के जूतों से कोई साइड इफेक्ट नहीं: डोमन दास का कहना है कि आजकल जो मार्केट में रेक्सीन के जूते धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. जो कि सही चमड़े का इस्तेमाल नहीं करते हैं. उन्होंने कहा उनके यहां बनाए गए जूते असली चमड़े के होते हैं. जिन्हें पैरों में पहनने से किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होती. साथ ही उनके यहां के जूते का रेट भी अन्य ब्रांडेड कंपनियों के मुकाबले कम होता है.

ब्रांडडे जूतों से सस्ते हैं डॉक्टर डोमन के जूते : डॉक्टर डोमन दास बताते हैं कि जो जूते ब्राडेंड कंपनियां 5000 से 6000 हजार में बेचती हैं वे उनके यहां 1200 से 1500 तक में मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ वादा करती है. कुछ होता नही है. लेदर को लेकर या लेदर कारखानों को लेकर सरकार का रवैया ठीक नहीं है. हालांकि अब डॉ डोमन दास के कारखाने में 8 से 10 लोग काम करते हैं, जिनसे काम करने वालों को रोजगार मिला है और रोजी रोटी भी चल रही है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर थोड़ा मदद करे तो चमड़ा का काम करके कईं लोगों को रोजगार दिया जा सकता है.

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पटना: राजधानी पटना के करबिगहिया इलाके में जूतों की दुकान के बाहर लगे बोर्ड को देखकर हर कोई ठिठक जाता है. डॉक्टर डोमन दास (Doctor D Das) इसी शॉप में अपनी क्लीनिक चलाते हैं. पिछले 62 साल से ये इसी जगह जूतों का इलाज करते आ रहे हैं. इनके बनाए गए जूतों की डिमांड बहुत हाई है. इनके हाथों से बने जूतों को जिसने भी पहन लिया फिर वो उन्ही जूतों की डिमांड करने लगता है. यही वजह है कि इनके हाथों से बने जूते अमेरिका, लंदन, यूएई तक जाते हैं.

ये भी पढ़ें- खेत में अनुसूचित जाति के लोगों के आने पर लगायी रोक, मुनादी कर 5 हजार जुर्माना और 50 जूते मारने का किया ऐलान

'जैसे डॉक्टर जिंदा इंसानों या जानवरों का इलाज करते हैं वैसे ही मैं भी जूतों का इलाज करता हैं. दोनों में ही हाड़-मांस, चमड़ा होता है. फर्क ये है कि मेरा मरीज मरे जानवरों के चपड़े होते हैं. मेरे द्वारा बनाए गए जूतों सभी को पसंद हैं. लालू यादव ने भी मेरे जूते पहने हैं. मंत्री श्रवण कुमार, आरसीपी सिंह भी यहीं से जूते ले जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहींं के बने जूते पहनते हैं. मेरे क्लीनिक में बना जूता देश विदेश में जाता है'- डॉक्टर डोमन दास, 'जूतों के डॉक्टर'

'नेताओं को भी पसंद हैं मेरे हैंड मेड जूते' : डॉक्टर डोमन दास जेपी आंदोलन में जेल भी जा चुके हैं. जिस जेल में नीतीश कुमार बंद थे उसी जेल में डॉक्टर डोमन दास भी जेपी आंदोलन के वक्त बंद थे. इनके बनाए जूते न सिर्फ मंत्री-नेता और अफसर इस्तेमाल करते हैं, बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री को भी खूब भाता है. बिहार के डीजीपी और कई अधिकारी मंत्री को पसंद आता हैं. यहां तक कि लालू यादव भी इनके बनाए जूते चपल पहन चुके हैं. ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री श्रवण कुमार तो अभी तक ऑर्डर देकर जूते बनवाते हैं.

62 साल से कर रहे जूतों का इलाज :बूट बनवाने के लिए तो लोग काफी दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. यहां तक कि विदेश में रहने वाले भी उनके यहां से बना हुआ जूता मंगवाते हैं. उनके बनाए जूते दुबई, अमेरिका, इंग्लैंड तक जा चुका है. डोमन दास बचपन में पटना के हनुमान मंदिर में बूट पॉलिश किया करते थे. वे बताते हैं कि 1965 में किसी तरह लोगों के जूते पॉलिश कर अपना जीवन यापन करते थे. फिर उन्होंने पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर के नज़दीक फुटपाथ पर सोल रिपेयरिंग का काम करना शुरू किया. जूता बनाने में रुचि होने के कारण धीरे-धीरे वे इसमें महारथ हासिल करने लगे. सिर्फ 8वीं पास डॉ. डोमन दास ने 1989 में लैदर टेक्नोलॉजी में बकायदा ट्रेनिंग कर प्रमाणपत्र प्राप्त किया. फिर पटना के करबिगहिया में डॉ. डोमन दास के नाम से अपना क्लीनिक खोला.

चमड़े के जूतों से कोई साइड इफेक्ट नहीं: डोमन दास का कहना है कि आजकल जो मार्केट में रेक्सीन के जूते धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. जो कि सही चमड़े का इस्तेमाल नहीं करते हैं. उन्होंने कहा उनके यहां बनाए गए जूते असली चमड़े के होते हैं. जिन्हें पैरों में पहनने से किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होती. साथ ही उनके यहां के जूते का रेट भी अन्य ब्रांडेड कंपनियों के मुकाबले कम होता है.

ब्रांडडे जूतों से सस्ते हैं डॉक्टर डोमन के जूते : डॉक्टर डोमन दास बताते हैं कि जो जूते ब्राडेंड कंपनियां 5000 से 6000 हजार में बेचती हैं वे उनके यहां 1200 से 1500 तक में मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ वादा करती है. कुछ होता नही है. लेदर को लेकर या लेदर कारखानों को लेकर सरकार का रवैया ठीक नहीं है. हालांकि अब डॉ डोमन दास के कारखाने में 8 से 10 लोग काम करते हैं, जिनसे काम करने वालों को रोजगार मिला है और रोजी रोटी भी चल रही है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर थोड़ा मदद करे तो चमड़ा का काम करके कईं लोगों को रोजगार दिया जा सकता है.

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