पटना: बिहार की राजधानी पटना में त्योहारों की धूम मची है. हर तरफ लोग पटाखों और मिठाईयों की खरीदारी में लगे हुए हैं लेकिन त्योहारों के मौसम में स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याएं होती है. खासकर छोटे बच्चे पटाखा छोड़ते वक्त कई बार जख्मी हो जाते हैं. ऐसे में चिकित्सकों की सलाह है कि त्योहारों के सीजन में ध्यान से पटाखे जलाएं. साथ ही अभिभावकों को भी बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा.
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अभिभावक करें बच्चों की मॉनिटरिंग: दिवाली में अक्सर बच्चें पटाखे जलाने के कारण गलतियां कर देते हैं. ऐसे में अभिभावको को बच्चों की मॉनिटरिंग (parents to monitor children while lighting firecrackers) करनी चाहिए. ताकि बच्चे सही तरीके से पटाखे जलाएं और अपने हाथ पैर को जलाने से बचाएं. चिकित्सकों की सलाह इसलिए है क्योंकि अक्सर दीपावली के अगले दिन से बर्न केयर सेंटर (burn care center) में पटाखा जलाने के क्रम में हाथ पैर जलाने वाले बच्चों और लोगों की भीड़ बढ़ जाती है. इसके अलावा नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास भी काफी संख्या में ऐसी शिकायत आती है कि बच्चों के आंख में पटाखे का बारूद चला गया है
नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर ने दी सलाह: पटना की प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निमी रानी (Patnas eminent ophthalmologist Dr Nimi Rani) ने बताया कि दीपावली में दीये जलाना और पटाखे उड़ाना पुरानी परंपरा रही है. कई बार दीप जलाने के क्रम में भी हाथ पैर जल जाते हैं. इसके अलावा अक्सर बच्चों में पटाखे के कारण हाथ पैर जलने की समस्याएं दीपावली के समय बढ़ जाती हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे यदि पटाखे जला रहे हैं तो पटाखा खरीदते समय अभिभावक इस बात का ध्यान दें कि पटाखा किस प्रकार का है. पटाखा खरीदते समय इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पटाखा कम आवाज वाला हो. यदि हाई साउंड और एक्सप्लोसिव पटाखा है तो उससे खरीदने से परहेज करें. पटाखों में आग लगाते समय दूर से आग लगाए.
छोटे पटाखे जलाते समय ध्यान रखे बच्चें: डॉक्टर निम्मी रानी ने बताया कि आजकल छोटे पटाखे भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल करने से भी परहेज करना चाहिए क्योंकि कई बार पटाखे छोटे होने से किसी के शरीर पर आसानी से फेंका जा सकता है. बच्चे छोटे पटाखे किसी के चेहरे पर मार कर पॉपअप फोड़ने की कोशिश करते हैं. इससे आंखों पर चोट लगने और क्षति पहुंचने की संभावना अधिक बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि कई बार पटाखों की चिंगारी और बारूद आंखों में लग जाती है. इससे आंखों में जलन होने लगता है और रोशनी प्रभावित होती है.
"बच्चों के साथ होता है यह है कि उनकी हाइट छोटी होती है और जब वह पटाखा में आग लगाते हैं तो पटाखा के काफी करीब होते हैं और कई बार आग लगाने के क्रम में ही पटाखा फट जाता है. जो उन्हें जख्मी कर देता है. इसलिए जरूरी है कि जब बच्चे पटाखे फोड़ रहे हो तो उस समय अभिभावक उसकी मॉनिटरिंग करें" - निम्मी रानी, नेत्र रोग विशेषज्ञ
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