पटना: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राष्ट्रीय शाखा ने देशभर में स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर हो रहे हमले के विरोध में बुधवार के दिन प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था. आईएमए ने विज्ञप्ति जारी कर ये जानकारी दी थी कि बुधवार को देशभर में डॉक्टर काला बिल्ला लगाकर दिन भर काम करेंगे और रात में कैंडल मार्च करेंगे. इस मामले पर बिहार आईएमए ने भी राज्य के सभी डॉक्टरों से काला बिल्ला लगाकर काम करने की अपील की थी, लेकिन बुधवार को आईएमए के इस निर्णय को लेकर राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के बीच कन्फ्यूजन की स्थिति दिखी.
डॉक्टरों ने नहीं लगाया काला बिल्ला
पटना के इनकम टैक्स गोलंबर स्थित गार्डिनर हॉस्पिटल में कोई भी डॉक्टर काला बिल्ला लगाकर काम करते हुए नहीं दिखे. गार्डिनर हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि हमले सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर ही नहीं हो रहे हैं, हमले उन सभी लोगों पर हो रहे हैं जो कोरोना वारियर्स हैं. उन्होंने बताया कि मीडियाकर्मी, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी सभी पर हमले किए जा रहे हैं, ऐसे में कोई विशेष कानून तब तक प्रभावी नहीं बन सकता जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आ जाती है.
विरोध से ज्यादा जरूरी है लोगों की सेवा
वहीं, डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि अंतिम समय में आईएमए की तरफ से कोई ऐसी गाइडलाइन नहीं आई कि काला बिल्ला लगाकर विरोध जताना है. उन्होंने बताया कि अभी के समय में हम डॉक्टरों को विरोध जताने के बजाय अपने प्राइमरी काम पर ही फोकस करना चाहिए, क्योंकि हमले सभी पर हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक करना होगा कि जो स्वास्थ्यकर्मी उनके मोहल्ले में आ रहे हैं वह उन्हीं के लिए काम कर रहे हैं.
कानून का ऑर्डिनेंस लाने की मांग
गौरतलब है कि आईएमए लगातार सरकार से देश भर में स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर हो रहे हमले को लेकर कानून का ऑर्डिनेंस लाने की मांग कर रहा है. इसी मांग को लेकर बुधवार को आईएमए की तरफ से विरोध प्रदर्शन जताने की भी घोषणा की गई थी, लेकिन अंतिम क्षणों में डॉक्टरों में ही इस मामले को लेकर दो मत नजर आ रहे हैं.