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पितृपक्ष मेले में भिखारियों को न दें भीख, सरकार चला रही है मुहिम - government campaign against beggars

गया में लगने वाले पितृपक्ष मेले Pitripaksha fair में लोग भिखारियों को भीख न दें. इसके लिए बिहार सरकार का समाज कल्याण विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है.पिंडदान के लिए लाखों लोगों की भीड़ देखकर भीख मांगने वालों का गया में जमावड़ा हो जाता है.

पितृपक्ष मेले में भिखारियों को न दें भीख, सरकार चला रही है मुहिम
पितृपक्ष मेले में भिखारियों को न दें भीख, सरकार चला रही है मुहिम
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Published : Sep 7, 2022, 2:45 PM IST

पटना : इस साल गया में 9 सितंबर से 25 सितंबर तक पितृपक्ष मेला का आयोजन होगा. पितृ पक्ष के मौके पर देश ही नहीं बल्कि दूसरे देशों से भी लोग पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं. पिंडदान के लिए लोगों की भीड़ को देखते हुए गया में भिखारियों की संख्या भी बढ़ जाती है. ऐसे में इस बार समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) ने पहले से ही भिखारियों के खिलाफ जागरूकता अभियान (government campaign against beggars) चलाने का निर्णय लिया है.

ये भी पढ़ें :-पितृपक्ष मेला 2022: 5 लाख एडवांस बुकिंग, 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना

कोई भी भिखारियों को भीख न दे : यह जागरूकता अभियान लोगों को जागरूक करने के लिए है. कोई भी व्यक्ति भी भिखारियों को भिक्षा ना दे. अगर भिखारियों को भिक्षा नहीं मिलेगी तो इससे भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगेगा. क्योंकि समाज कल्याण विभाग लगातार मुहिम चला रहा है. वैसे लोग जो पूरी तरह से लाचार हैं, जो दिव्यांग हैं, उनके लिए रहने से लेकर खाने- पीने तक की व्यवस्था विभाग की ओर से की जाती है, लेकिन पैसे की लालच में भिक्षा मांगने को मजबूर भिक्षुकों से बिहार की बदनामी होती है.

मेले में टीम करेगी लोगों को जागरूक : समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के अंतर्गत पितृपक्ष मेले में एक टीम लोगों को जागरूक करेगी ताकि लोग भिक्षुकों को भिक्षा ना दें. साथ ही व्यवस्था की गई है कि जो लोग भिक्षा देना चाहते हैं तो एक सम्मानजनक भिक्षा समाज कल्याण विभाग की ओर से बनाया गए भिक्षुकों के लिए क्यूआर कोड से उसमें दान कर सकते हैं. जो लोग अकाउंट में भिक्षु के नाम पर भिक्षा देते हैं उस पैसे को भिक्षुकों पर खर्च किया जाता है. समाज कल्याण विभाग का मानना है कि जब तक लोग देना बंद नहीं करेंगे तब तक भिक्षा लेना बंद नहीं होगा. लेने वाले पर काम करके विभाग भिक्षुकों पर अंकुश नहीं लगा सकता है, इसलिए इस बार पितृपक्ष मेले में लोगों को जागरूक करने के लिए टीम के पंपलेट, पोस्टर और स्टॉल के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. जिससे राज्य में भिखारियों की संख्या कम हो सके.

13 जिलों में होगी शांति कुटीर की सुविधा : इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना अंतर्गत 13 जिलों में शांति कुटीर की भी सुविधा बहुत जल्द बहाल की जाएगी. अभी फिलहाल 12 जिले में शांति कुटीर की सुविधा भिक्षुकों को दी जा रही है. एक शांति कुटीर में 50 भिक्षुकों को रखा जाता है. अभी तक राज्य में 12 शांति कुटीर में 600 भिक्षुकों को रखा जा रहा है, जिनका खाना-पीना से लेकर देखभाल की पूरी जिम्मेवारी समाज कल्याण विभाग की ओर से उठाई जाती है.

ये भी पढ़ें :-अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेले को लेकर पुनपुन में समीक्षा बैठक, सुरक्षा से लेकर सफाई तक होगी दुरुस्त


पटना : इस साल गया में 9 सितंबर से 25 सितंबर तक पितृपक्ष मेला का आयोजन होगा. पितृ पक्ष के मौके पर देश ही नहीं बल्कि दूसरे देशों से भी लोग पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं. पिंडदान के लिए लोगों की भीड़ को देखते हुए गया में भिखारियों की संख्या भी बढ़ जाती है. ऐसे में इस बार समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) ने पहले से ही भिखारियों के खिलाफ जागरूकता अभियान (government campaign against beggars) चलाने का निर्णय लिया है.

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कोई भी भिखारियों को भीख न दे : यह जागरूकता अभियान लोगों को जागरूक करने के लिए है. कोई भी व्यक्ति भी भिखारियों को भिक्षा ना दे. अगर भिखारियों को भिक्षा नहीं मिलेगी तो इससे भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगेगा. क्योंकि समाज कल्याण विभाग लगातार मुहिम चला रहा है. वैसे लोग जो पूरी तरह से लाचार हैं, जो दिव्यांग हैं, उनके लिए रहने से लेकर खाने- पीने तक की व्यवस्था विभाग की ओर से की जाती है, लेकिन पैसे की लालच में भिक्षा मांगने को मजबूर भिक्षुकों से बिहार की बदनामी होती है.

मेले में टीम करेगी लोगों को जागरूक : समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के अंतर्गत पितृपक्ष मेले में एक टीम लोगों को जागरूक करेगी ताकि लोग भिक्षुकों को भिक्षा ना दें. साथ ही व्यवस्था की गई है कि जो लोग भिक्षा देना चाहते हैं तो एक सम्मानजनक भिक्षा समाज कल्याण विभाग की ओर से बनाया गए भिक्षुकों के लिए क्यूआर कोड से उसमें दान कर सकते हैं. जो लोग अकाउंट में भिक्षु के नाम पर भिक्षा देते हैं उस पैसे को भिक्षुकों पर खर्च किया जाता है. समाज कल्याण विभाग का मानना है कि जब तक लोग देना बंद नहीं करेंगे तब तक भिक्षा लेना बंद नहीं होगा. लेने वाले पर काम करके विभाग भिक्षुकों पर अंकुश नहीं लगा सकता है, इसलिए इस बार पितृपक्ष मेले में लोगों को जागरूक करने के लिए टीम के पंपलेट, पोस्टर और स्टॉल के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. जिससे राज्य में भिखारियों की संख्या कम हो सके.

13 जिलों में होगी शांति कुटीर की सुविधा : इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना अंतर्गत 13 जिलों में शांति कुटीर की भी सुविधा बहुत जल्द बहाल की जाएगी. अभी फिलहाल 12 जिले में शांति कुटीर की सुविधा भिक्षुकों को दी जा रही है. एक शांति कुटीर में 50 भिक्षुकों को रखा जाता है. अभी तक राज्य में 12 शांति कुटीर में 600 भिक्षुकों को रखा जा रहा है, जिनका खाना-पीना से लेकर देखभाल की पूरी जिम्मेवारी समाज कल्याण विभाग की ओर से उठाई जाती है.

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