पटना: देश के दिव्यांगजन आज भी कहीं न कहीं अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. आज भी ये लोग सम्मान और अधिकार से वंचित हैं. सरकार इनके विकास और उत्थान कार्यों में ध्यान नहीं दे रही है. समाज में इनकी अनदेखी हो रही है. बिहार में ना तो आज विशेष विद्यालय हैं, ना ही लाइब्रेरी, ना ही इनके लिए रोजगार. ऐसे में ये लोग चाहकर भी आमजनों की बराबरी नहीं कर पा रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पटना में मतदान होना है. नेता प्रचार-प्रसार में लगे हैं. दिव्यांग मतदाताओं का कहना है कि जन प्रतिनिधियों को केवल चुनाव के समय ही उनकी याद आती है. वह तमाम वायदे करके वोट लेते हैं और फिर देखने तक नहीं आते. चुनावी माहौल के बीच ईटीवी भारत संवाददाता दिव्यांग मतदाताओं के बीच पहुंचे और उनके मुद्दों को जानना चाहा.
सरकार की अनदेखी से दुखी
चुनावी चर्चा के दौरान कुछ दिव्यांगजनों ने कहा कि पिछले चुनावों में भी बूथ पर दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था की बात होती थी. लेकिन, चुनाव के दिन उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता था. वह मतदान करने जाते थे तो उन्हें इंतजार करने को कहा जाता था. जबकि सरकार ऐसे लोगों को विशेष सुविधा देने की बात करती है.
शहर में है अव्यवस्था
दिव्यांगों ने नौकरी, शिक्षा और विशेष लाइब्रेरी ना होने की भी बात बताई. दिव्यांगों ने कहा कि बिहार सरकार उनके लिए कार्य नहीं कर रही है. उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखते हुए कहा कि पटना साहिब के शहरी क्षेत्रों में रोड जाम, नाला और पार्किंग की भारी कमी है. वहीं ग्रामीण इलाकों में नहर की व्यवस्था भी बेहद लचर है.
नए नोट आने से बढ़ी परेशानी
चुनावी चर्चा में एक दिव्यांग ने बहुत ही अहम सवाल उठाया कि नोटबंदी कर सरकार ने दिव्यांगजनों की ओर ध्यान नहीं दिया. पहले नोट को छूकर पहचानते थे. लेकिन, अब नई करेंसी और सिक्कों के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि पटना साहिब लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुधन सिन्हा और एनडीए प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के बीच टक्कर है.