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चुनावी चर्चा: दिव्यांगों की परेशानी उनकी जुबानी...

दिव्यांगों ने नौकरी, शिक्षा और विशेष लाइब्रेरी ना होने की बात बताई. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार उनके लिए कार्य नहीं कर रही है.

दिव्यांग मतदाता
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Published : May 15, 2019, 9:58 PM IST

पटना: देश के दिव्यांगजन आज भी कहीं न कहीं अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. आज भी ये लोग सम्मान और अधिकार से वंचित हैं. सरकार इनके विकास और उत्थान कार्यों में ध्यान नहीं दे रही है. समाज में इनकी अनदेखी हो रही है. बिहार में ना तो आज विशेष विद्यालय हैं, ना ही लाइब्रेरी, ना ही इनके लिए रोजगार. ऐसे में ये लोग चाहकर भी आमजनों की बराबरी नहीं कर पा रहे हैं.

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पटना में मतदान होना है. नेता प्रचार-प्रसार में लगे हैं. दिव्यांग मतदाताओं का कहना है कि जन प्रतिनिधियों को केवल चुनाव के समय ही उनकी याद आती है. वह तमाम वायदे करके वोट लेते हैं और फिर देखने तक नहीं आते. चुनावी माहौल के बीच ईटीवी भारत संवाददाता दिव्यांग मतदाताओं के बीच पहुंचे और उनके मुद्दों को जानना चाहा.

दिव्यांगों की समस्या जानने पहुंचे ईटीवी संवाददाता

सरकार की अनदेखी से दुखी
चुनावी चर्चा के दौरान कुछ दिव्यांगजनों ने कहा कि पिछले चुनावों में भी बूथ पर दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था की बात होती थी. लेकिन, चुनाव के दिन उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता था. वह मतदान करने जाते थे तो उन्हें इंतजार करने को कहा जाता था. जबकि सरकार ऐसे लोगों को विशेष सुविधा देने की बात करती है.

शहर में है अव्यवस्था
दिव्यांगों ने नौकरी, शिक्षा और विशेष लाइब्रेरी ना होने की भी बात बताई. दिव्यांगों ने कहा कि बिहार सरकार उनके लिए कार्य नहीं कर रही है. उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखते हुए कहा कि पटना साहिब के शहरी क्षेत्रों में रोड जाम, नाला और पार्किंग की भारी कमी है. वहीं ग्रामीण इलाकों में नहर की व्यवस्था भी बेहद लचर है.

नए नोट आने से बढ़ी परेशानी
चुनावी चर्चा में एक दिव्यांग ने बहुत ही अहम सवाल उठाया कि नोटबंदी कर सरकार ने दिव्यांगजनों की ओर ध्यान नहीं दिया. पहले नोट को छूकर पहचानते थे. लेकिन, अब नई करेंसी और सिक्कों के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि पटना साहिब लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुधन सिन्हा और एनडीए प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के बीच टक्कर है.

पटना: देश के दिव्यांगजन आज भी कहीं न कहीं अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. आज भी ये लोग सम्मान और अधिकार से वंचित हैं. सरकार इनके विकास और उत्थान कार्यों में ध्यान नहीं दे रही है. समाज में इनकी अनदेखी हो रही है. बिहार में ना तो आज विशेष विद्यालय हैं, ना ही लाइब्रेरी, ना ही इनके लिए रोजगार. ऐसे में ये लोग चाहकर भी आमजनों की बराबरी नहीं कर पा रहे हैं.

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पटना में मतदान होना है. नेता प्रचार-प्रसार में लगे हैं. दिव्यांग मतदाताओं का कहना है कि जन प्रतिनिधियों को केवल चुनाव के समय ही उनकी याद आती है. वह तमाम वायदे करके वोट लेते हैं और फिर देखने तक नहीं आते. चुनावी माहौल के बीच ईटीवी भारत संवाददाता दिव्यांग मतदाताओं के बीच पहुंचे और उनके मुद्दों को जानना चाहा.

दिव्यांगों की समस्या जानने पहुंचे ईटीवी संवाददाता

सरकार की अनदेखी से दुखी
चुनावी चर्चा के दौरान कुछ दिव्यांगजनों ने कहा कि पिछले चुनावों में भी बूथ पर दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था की बात होती थी. लेकिन, चुनाव के दिन उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता था. वह मतदान करने जाते थे तो उन्हें इंतजार करने को कहा जाता था. जबकि सरकार ऐसे लोगों को विशेष सुविधा देने की बात करती है.

शहर में है अव्यवस्था
दिव्यांगों ने नौकरी, शिक्षा और विशेष लाइब्रेरी ना होने की भी बात बताई. दिव्यांगों ने कहा कि बिहार सरकार उनके लिए कार्य नहीं कर रही है. उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखते हुए कहा कि पटना साहिब के शहरी क्षेत्रों में रोड जाम, नाला और पार्किंग की भारी कमी है. वहीं ग्रामीण इलाकों में नहर की व्यवस्था भी बेहद लचर है.

नए नोट आने से बढ़ी परेशानी
चुनावी चर्चा में एक दिव्यांग ने बहुत ही अहम सवाल उठाया कि नोटबंदी कर सरकार ने दिव्यांगजनों की ओर ध्यान नहीं दिया. पहले नोट को छूकर पहचानते थे. लेकिन, अब नई करेंसी और सिक्कों के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि पटना साहिब लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुधन सिन्हा और एनडीए प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के बीच टक्कर है.

Intro:लोकसभा चुनाव को लेकर ईटीवी भारत के चुनावी चर्चा में आज टीम दिब्यांगजनो के पास पहुंची है,जहाँ दिब्यांग मतदाताओं की समस्याओं और चुनावी मुद्दे पर चर्चा हूई

पटना से शशि तुलस्यान कि खास रिपोर्ट:--


Body:चुनावी चर्चा में दिब्यांगजनो ने कहा कि बिहार में दिब्यांगजन आज भी अस्तित्व और सम्मान की लडाई लड रहा है,दिब्यांगजनो के लिए जिस गती से काम होने थे वो सरकारी उदासीनता से कछुए कि गती से चल रहा है,बिहार मे आज भी स्पेशल विध्यालय, और लाईब्रेरी नहीं बने है जबकी रोजगार को लेकर सरकार कि पहल भी उदासीन है,पटना विश्वविद्यालय में पीजी कि पढाई कर रहे दिब्यांग छात्र ने कहा कि पटना साहिब मे जो उम्मीदवार दिब्यांगजनो की हीत कि बात सोचेगा हम सभी उसके पक्ष में होगे,पटना विश्वविद्यालय को आज भी केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा अब तक नहीं मिला है,पटना साहिब के उम्मीदवार रविशंकर भी पटना विश्वविद्यालय के छात्र है,केंद्र मे भी उनकी सरकार है,वही कुछ दिब्यांगजनो ने यह भी सवाल उठाया कि हर चुनाव में बुथ पर दिब्यांगजनो के लिए अलग से ब्यवस्था कि बात होती है,लेकिन चुनाव के दिन सम्मान जनक ब्यवहार नही होता है,
बहरहाल चुनावी चर्चा में बिहार के दिब्यांगजनो के लिए शिक्षा, रोजगार पर प्रमुखता से चर्चा हुई,एवं पटना साहिब के दो उम्मीदवार शत्रुधन सिन्हा और रविशंकर प्रसाद पर लोगो ने अपनी राय बेबाकी से रखी,बताया जाता है कि पटना साहिब लोकसभा मे शहरी क्षेत्रो मे महा जाम,नाला और पार्किंग कि भारी कमी है,वही ग्रामीण क्षेत्र मे नहर की ब्यवस्था लचर है


Conclusion:चुनावी चर्चा में एक दिब्यांग ने बहुत ही अहम सवाल उठाया कि नोटबंदी मे दिब्यांगजनो के लिए सरकार ने कुछ ध्यान नहीं दिया, पहले के करेंसी को छूकर नोट को पहचानते थे,लेकिन अभी नये नये करेंसी और सिक्को मे कई परेशानियों का सामना करना पड रहा है।दिब्यांगजनो के लिए केंद्रीय और राज्यस्तरीय वेकेंसी मे भारी कमी आ गई है,चुनाव में यह मुद्दा अहम होगा,पुरे बिहार में तकरीबन ढाई लाख से अधिक दिब्यांगजनो का वोटर संख्या है


वन टू वन,दिब्यांगजन मतदाता
शशि तुलस्यान, ईटीवी
पटना
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