पटना: बिहार में भाजपा और जदयू के बीच सियासी उठापटक चरम पर है. एनडीए के सहयोगी जीतन राम मांझी गाहे-बगाहे अपने बयानों से भाजपा और जदयू के लिए असहज स्थिति बनाए रखते हैं. इधर, लॉकडाउन के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पटना लौटने की उम्मीद है. राजद का दावा है कि लालू के लौटते ही बिहार में बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिल सकता है.
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लालू यादव जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद से दिल्ली में मीसा भारती के आवास पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. बिहार में लॉकडाउन खत्म होने के बाद लालू के पटना लौटने की उम्मीद जताई जा रही है. इन सबके बीच राष्ट्रीय जनता दल का दावा है कि भाजपा और जदयू की आपसी लड़ाई बिहार में संभावित सत्ता परिवर्तन की कहानी खुद बयां कर रही है.
पहले भी कमाल कर चुके हैं लालू
बिहार की सियासत में लालू क्या कर सकते हैं यह 2015 में वे दिखा चुके हैं. उन्होंने नीतीश से हाथ मिलाकर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई. 2020 में तेजस्वी को आगे कर विधानसभा चुनाव में लालू ने सबसे बड़ी पार्टी के रूप में राजद को फिर से स्थापित कर दिया. वह महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए चुनाव बाद से ही दांवपेच में लगे हैं. यही वजह है कि लालू यादव का पटना पहुंचना बिहार में बड़े सियासी बदलाव की वजह बन सकता है.
राजद का दावा- ज्यादा दिन नहीं चलेगी सरकार
"बिहार में बीजेपी और जदयू की आपसी लड़ाई चरम पर है. मांझी भी बार-बार कभी नरेंद्र मोदी तो कभी नीतीश कुमार पर हमला बोलते रहते हैं. यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली. बस लालू यादव के पटना पहुंचने की देर है. बीजेपी एमएलसी टुन्ना पांडेय तो सिर्फ एक उदाहरण हैं. ऐसे कई बीजेपी और जदयू नेता हैं जो अपनी अनदेखी से नाराज हैं."- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
किंग मेकर रहे हैं लालू
बिहार की सियासत को नजदीक से देखने और समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि लालू किंग मेकर रहे हैं. बिहार की सियासत में लालू की भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता. वर्तमान राजनीतिक हालात में एनडीए और महागठबंधन की विधायक संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं है.
"पटना लौटने के बाद लालू कोई धार्मिक कार्य में लगने वाले नहीं हैं. वह सियासी जोड़-तोड़ में लगेंगे. जिस तरह की रस्साकशी जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी, बीजेपी और जदयू के बीच चल रही है, वह कहीं ना कहीं इस बात का संकेत है कि एनडीए सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है. इसका फायदा लालू आने वाले वक्त में उठा सकते हैं."- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
बिहार में ऐसे बन सकती है महागठबंधन सरकार, समझिए गणित
माना जा रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के पटना पहुंचने के बाद सियासी समीकरण बदल जाएगा. अगर ऐसा होता है तो महागठबंधन को 122 मतों की जरूरत होगी, जो अभी 110 है. यानी महागठबंधन को और 13 मतों की जरूरत है. इसके लिए जीतन राम मांझी की HAM, मुकेश सहनी की VIP और AIMIM का सपोर्ट चाहिए. इन तीनों पार्टियों के पास 4+4+5=13. इसके अलावे महागठबंधन के 110. इस तरह महागठबंधन का आंकड़ा 123 हो जाएगा. जो जादुई आंकड़ा से एक अधिक है.
बिहार में NDA की मौजूदा स्थिति पर नजर
एनडीए सरकार 4 घटक दलों और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से चल रही है. बीजेपी, जेडीयू, हम, वीआईपी और एक निर्दलीय विधायक समेत 127 सीट एनडीए सरकार के पास है, जो कि बहुमत से 5 सीट ज्यादा है. अगर कोई खटपट नहीं हुई तो सरकार 5 साल आराम से चल जाएगी. लेकिन जिस तरह से जेडीयू और बीजेपी में खटर-पटर हो रही है. उससे संकेत अच्छे नहीं दिख रहे. यही कारण है कि विपक्ष लगातार एनडीए सरकार के गिरने का दावा करता रहा है.
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