पटना: किसी भी आंदोलन (Protest) के वक्त नेता आयोजन में शामिल होते हैं और भाषण देकर चले जाते हैं. पटना (Patna) के डाक बंगला चौराहे पर किसान संगठनों के भारत बंद में शामिल होने पहुंचे बिहार के विभिन्न जिलों से आए लोगों ने प्रदर्शन में शामिल होने की अपनी-अपनी वजह बताई, लेकिन जो आम लोग इस प्रदर्शन का हिस्सा बनने आए उनसे ईटीवी भारत ने बात की.
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किसान संगठनों के बंद के समर्थन में पटना में जुटे नेताओं के भाषण के बीच ईटीवी भारत ने प्रदर्शन में आए लोगों से बात की, जो अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए थे. ना सिर्फ तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग की जा रही है, बल्कि नये श्रम कानून को लेकर भी लोगों में जबरदस्त गुस्सा है. जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे किए जाने की बात की गई है.
वहीं, बिहार में बालूबंदी (Sand Ban) और शराब बंदी (Liquor Ban) को लेकर भी जबरदस्त नाराजगी लोगों ने जताई है. ईटीवी भारत ने ऐसे कई लोगों से बात की जो बेगूसराय, नालंदा, पटना, जहानाबाद और अन्य जिलों से पटना के डाकबंगला चौराहे पर अपनी आवाज उठाने आए थे. मुख्य रूप से लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिलने की परेशानी लोगों ने बयां की है. अगर काम मिल भी रहा है तो मजदूरी पूरी नहीं मिल रही है. इसके अलावा मजदूरों ने काम के घंटे बढ़ाए जाने का विरोध किया है, जो नए श्रम कानून के मुताबिक 12 घंटे किया गया है.
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कुछ लोगों ने यह भी कहा कि शराबबंदी के तमाम दावे फेल हैं, क्योंकि शराब हर जगह आसानी से उपलब्ध है. वहीं, बालूबंदी की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार छिन गया है, इस बात को विभिन्न जिलों से आए मजदूरों ने प्रमुखता से उठाया है. एक सवाल जो लगातार उठता रहा है कि कोई किसान इस प्रदर्शन में शामिल नहीं था, जबकि मुख्य रूप से किसानों के संगठन तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर ही भारत बंद का आह्वान किया गया था. हालांकि, इस बारे में राजद नेताओं ने सफाई दी है कि किसान अपने-अपने गांव में प्रदर्शन कर रहे हैं.
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