पटना: विपक्षी एकता को लेकर तीन बैठक हो चुकी है. पटना, मुंबई और बेंगलुरु में बैठक का आयोजन किया जा चुका है और अब 19 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक को लेकर नेताओं का जमावड़ा लग रहा है. पिछले तीन बैठकों में शामिल होने वाले शख्स भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से ईटीवी भारत की खास बातचीत की है. वन सीट वन कैंडिडेट ( OSOC) के मसले पर भी उन्होंने अपनी बात रखी.
दीपांकर भट्टाचार्य से ईटीवी भारत की खास बातचीत: विपक्षी एकता के मुहिम पटना से शुरू हुई थी और पहली बैठक भी राजधानी पटना में हुई थी. इसके बाद बेंगलुरु और फिर मुंबई में बैठक का आयोजन हुआ. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने तीनों बैठकों में हिस्सा लिया और वह चौथी बैठक में भी हिस्सा लेंगे. दीपांकर भट्टाचार्य से ईटीवी भारत संवाददाता ने भविष्य की रणनीतियों को लेकर खास बातचीत की.
सवाल: आप लड़ाई को कैसे आगे बढ़ाएंगे और आपका एक्शन प्लान क्या होगा?
जवाब: देखिए मेरे सामने कामरेड विनोद मिश्र के सपनों को सच करना लक्ष्य है. दूसरा यह कि बिहार से जो विपक्षी एकता की मुहिम शुरू हुई थी उसे मूर्त रूप देना है. लोग यह उम्मीद करते हैं कि इंडिया गठबंधन नाम से एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो. हमें उस आंदोलन की ओर बढ़ना है.
सवाल: इंडिया गठबंधन के लिए राज्यों के चुनाव में लिटमस टेस्ट था, आप लोगों के लिए साबित करने का मौका था?
जवाब: तेलंगाना में कांग्रेस की जीत हुई है. तीन राज्यों में जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसे लेकर भी काफी संदेह है. चुनाव और चुनाव आयोग के निष्पक्षता को लेकर संदेह है. विधानसभा चुनाव को इंडिया गठबंधन के दायरे से बाहर रखा गया था. अगर हम गठबंधन का उपयोग ठीक तरीके से प्रयोग करते तो नतीजा कुछ और हो सकता था.
सवाल: चौथी बैठक से पहले आप लोगों ने सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने का फैसला लिया था, कहां तक पहुंच पाए हैं?
जवाब: बातचीत चल रही है अभी फैसला नहीं हुआ है. कल दिल्ली में बैठक हो रही है और सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा.
सवाल: सुशील मोदी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच विवाद है, मंच साझा नहीं कर रहे हैं?
जवाब: सुशील मोदी चाहते हैं कि विवाद हो और लोगों के अधिकार छीन लिए जाएं. हम लोगों के विवाद की बात नहीं करते हैं. हम लोग हार्मोनी की बात करते हैं.
सवाल: लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी के खिलाफ इंडिया गठबंधन का चेहरा कौन होगा?
जवाब: लोकसभा चुनाव के दौरान चेहरे की बात होती है, लेकिन भाजपा ने राज्यों के चुनाव में एक भी चेहरा नहीं दिया. चेहरे के नाम पर वह कमल की बात करते थे. इतना बड़ा देश है अगर बहुमत मिले तो चेहरे सामने आ जाएंगे. ऐसा कभी नहीं हुआ कि देश को प्रधानमंत्री नहीं मिला. व्यापक विपक्षी एकता अगर है और कई चेहरे हैं तो एक किसी चेहरे को चुन लिया जा सकता है.
सवाल: नीतीश कुमार को संयोजक बना दिया जाए तो लड़ाई आसान हो जाएगी?
जवाब: यह तो नीतीश कुमार को तय करना है कि वह मुख्यमंत्री भी हैं और संयोजक बनाए जाएंगे तो प्राथमिकता कैसे तय करेंगे. यह उन्हें सोचना है.
सवाल: कांग्रेस रीजनल पार्टियों को आगे करेगी आपको यह उम्मीद है?
जवाब: कांग्रेस के बगैर भी विपक्षी एकता नहीं बन पाएगी. रीजनल पार्टियों को भी साथ लेकर चले बिना एकता नहीं हो सकती है. इसलिए सामंजस्य के साथ ही आगे बढ़ाने की जरूरत है.
सवाल: भाजपा के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष का एक उम्मीदवार हो इसकी वकालत आप करेंगे?
जवाब: हम लोग कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर भाजपा के खिलाफ एक उम्मीदवार हो सभी सीटों पर तो ऐसा संभव नहीं है. इसके साथ-साथ बड़े आंदोलन की भी जरूरत है. वोटिंग प्रक्रिया पर भी नजर रखने की जरूरत है.
सवाल: नीतीश कुमार को बनारस में सभा करने की इजाजत नहीं मिली?
जवाब: देखिए बड़ी लड़ाई के लिए हम लोग तैयार हैं. सभा करने की इजाजत नहीं दी जा रही है. जुलूस निकालने की इजाजत नहीं मिल रही है. संविधान ही नहीं रहेगा तो किसी भी चीज की इजाजत नहीं रहेगी.
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