पटना: पटना नगर निगम क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर 31 जनवरी से डीजल से चलने वाले ऑटो का परिचालन बंद हो जाएगा. एक साल पहले बिहार कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी लेकिन कोरोना काल और सब्सिडी मिलने में हो रही परेशानियों को लेकर ऑटो संघ समय सीमा बढ़ाने की मांग कर रहा है.
क्या है स्वच्छ इंधन योजना
करीब एक साल पहले बिहार में स्वच्छ इंधन योजना लागू की गई. वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए सरकार ने पुराने डीजल ऑटो को प्रतिबंधित कर इसकी जगह सीएनजी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की थी. प्रदूषण नियंत्रण परिषद की एडवाइजरी के मुताबिक डीजल से चलने वाले तिपहिया वाहन और पुराने पेट्रोल तिपहिया वाहनों के परिचालन से पटना शहर की वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था. यही वजह है कि बिहार सरकार ने 31 जनवरी 2021 से पटना नगर निगम और 31 मार्च 2021 से दानापुर, खगौल और फुलवारी शरीफ नगर परिषद में डीजल से चलने वाले ऑटो का परिचालन प्रतिबंधित कर दिया.
क्या कहते हैं अधिकारी
'डीजल से चलने वाले वाहनों को प्रतिबंधित करते हुए सीएनजी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो को सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए वाहन चालकों को राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है. इसके साथ-साथ पटना और इसके आसपास इलेक्ट्रिक और बैटरी से चलने वाले दुपहिया वाहन के परिचालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है.'- संजय कुमार अग्रवाल, परिवहन सचिव
डीजल ऑटो चालक खासे परेशान
'सरकार की सब्सिडी योजना में कई तरह के पेंच हैं, जिसके कारण इस योजना का सही तरीके से लाभ ऑटो चालक नहीं उठा पा रहे. कोरोना ने वैसे ही हमें काफी पीछे धकेल दिया है और सरकार हमें ऑटो हटाने के लिए जितने पैसे दे रही है. उसमें नया ऑटो लेना संभव नहीं है. सरकार को सब्सिडी की राशि बढ़ानी चाहिए और बैंक से लोन गारंटी भी उपलब्ध करानी चाहिए.'- नवीन मिश्रा उपाध्यक्ष, बिहार राज्य ऑटो चालक संघ
आंदोलन की चेतावनी
वहीं, ऑटो चालकों का यह भी आरोप है कि पटना में काफी सीमित संख्या में सीएनजी पंप हैं. जहां सीएनजी लेने के लिए 3 से 4 घंटे का समय ऑटो चालकों को लगता है. यह काफी परेशानी भरा है और जब तक सीएनजी स्टेशन की संख्या नहीं बढ़ती तब तक यह परेशानी बरकरार रहेगी. ऑटो चालक संघ ने सरकार से 31 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है. इसके लिए ऑटो चालक संघ आंदोलन की चेतावनी भी दे रहा है. अब देखना है कि सरकार इस पर क्या फैसला करती है और डीजल ऑटो चालकों को कितना रिलीफ मिल पाता है.