पटना: बिहार में अप्रैल महीने से तमाम तरह की आपात स्थिति के लिए समेकित हेल्पलाइन नंबर 112 की शुरुआत ( Dial 112 Emergency Number From December In Bihar ) होने जा रही है. किसी आपात स्थिति में पुलिस, अग्निशमन, एंबुलेंस और ट्रैफिक से जुड़ी सेवा सिर्फ इस एक नंबर को डायल करके प्राप्त की जा सकती है. डायल हंड्रेड की जगह पर पूर्ण रूप से डायल 112 काम करेगा. जिसके तहत किसी भी तरह की इमरजेंसी पर पुलिस दौरा क्विक रेस्पॉन्स दिया जाएगा.
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इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम (Emergency Response Support System) के तहत डायल 112 पूरे देश में काम करेगा. कई राज्यों में यह काम करने लगा है. बिहार में भी 31 मार्च तक पहले चरण का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पहले चरण के लिए 176 करोड़ रुपया आवंटित किया गया है. बिहार पुलिस के द्वारा 35 फॉर वीलर की खरीदारी की गई है. वेबसाइट बन चुका है, जिसका जल्द ट्रायल किया जाएगा. डायल 100 के जगह पर यह काम करेगा. जब डायल 112 पूर्ण रूप से कम करने लगेगा तब 100, 102 समेत सभी को बंद कर सिर्फ देश भर में एक नंबर 112 चलेगा.
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar On Dial 112) के मुताबिक बिहार पुलिस में महिला पुलिस कर्मी की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में काफी अच्छी है, जिस वजह से कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी महिला पुलिस कर्मी के कंधों पर रहेगी. कई जिलों के महिला पुलिस कर्मी को पुलिस मुख्यालय में इससे संबंधित वेबसाइट और कार्य को लेकर ट्रेनिंग भी दी गई है. वहीं उमीद है कि, 31 मार्च तक बिहार के कुछ जिलों में इसकी शुरुआत हो जाएगी.
"राज्य में अभी अलग-अलग इमरजेंसी सेवाओं के लिए अलग-अलग नंबर हैं. पुलिस के लिए 100, फायर ब्रिगेड के लिए 101 और एंबुलेंस के लिए 102 इमरजेंसी नंबर डायल करना होता है. नया सिस्टम लांच होने के बाद इमरजेंसी सेवा के लिए एक ही नंबर 112 डायल करना होगा. ईआरएसएस योजना को यूं तो राज्य भर में लागू करना है, मगर पहले चरण में पटना समेत 10 जिलों से इसकी शुरुआत करने का लक्ष्य है. इसके बाद धीरे-धीरे सभी 38 जिलों में इसका विस्तार होगा."- जितेंद सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
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डायल 112 के लिए 35 गाड़ियां खरीदी गई हैं, जिसे डिजाइन और कस्टमाइज किया जा रहा है. पुलिस से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आग लगना या किसी भी तरह की अनहोनी पर क्विक रिस्पॉन्स दिया जाएगा. डायल 112 के तहत सभी गाडियों में जीपीएस लगा रहेगा जिसके माध्यम से यह मॉनिटरिंग भी किया जाएगा कि, सही समय पर पुलिस द्वारा रिस्पॉन्स दिया जा रहा है या नहीं.
शुरुआती दौर में बिहार के 500 जगहों पर इसे शुरू किया जा रहा है. जिलों में पुलिस कर्मियो को ट्रेंड किया जा रहा है. डायल 112 जब पूरी तरह से काम करने लगेगा तब डायल 100 को बंद कर दिया जाएगा. राजधानी के राजवंशीनगर स्थित बिहार पुलिस रेडियो मुख्यालय में इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम का कंट्रोल रूम तैयार किया जा रहा है. सिस्टम लांच होने के बाद साल के 365 दिन, 24 घंटे यह एक्टिव रहेगा. राज्य में कहीं से भी कॉल किए जाने पर कंट्रोल रूम के कर्मी इसे जरूरत के हिसाब से पुलिस, अस्पताल या फायर ब्रिगेड को ट्रांसफर कर देंगे.
बता दें कि, केंद्र सरकार ने दिल्ली में दिसंबर, 2012 में हुई निर्भया कांड के बाद नेशनल इमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम (एनईआरएस) के गठन की अनुशंसा की थी. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को भी इससे संबंधित प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था. बिहार में इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए पिछले चार-पांच वर्षों से कवायद चल रही है, लेकिन कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए जमीन की समस्या समेत अन्य कई कारणों से इसे शुरू करने में दिक्कतें आ रही थीं.
इस बार पुलिस मुख्यालय ने इसे अप्रैल से शुरू करने की बात कही है. अब इसका राज्य स्तरीय सेंट्रल कमांड सेंटर और कंट्रोल सेंटर अस्थायी रूप से पटना के राजवंशी नगर में मौजूद बिहार पुलिस रेडियो परिसर में बनेगा. सभी जिलों में एक को-ऑर्डिनेशन सेंटर स्थापित किया जायेगा, जो जिला स्तर पर समन्वय स्थापित करेगा.
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