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इस मंत्र के साथ करें नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, बाधाएं होंगी दूर

नवरात्र के पांचवें दिन स्कंद माता के दर्शन पूजन का विधान है. मां का यह स्वरूप मातृत्व को भी बताता है. मां के दर्शन मात्र से ही जिंदगी में बड़े से बड़ा संग्राम जीतने की शक्ति मिल जाती है.

स्कंदमाता
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Published : Oct 3, 2019, 8:42 AM IST

पटना : नवरात्र के चार दिन बीत चुके हैं. आज पांचवां दिन है. नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंद माता के दर्शन पूजन का विधान है. माता स्कंद को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि उनकी गोद में उनके पुत्र कार्तिकेय हैं. उनको स्कंद के नाम से भी जाना जाता है. वह मां की गोद में बैठे हैं. मां का यह स्वरूप मातृत्व को भी बताता है. साथ ही हर संग्राम में जीतने का आशीर्वाद प्रदान करता है.


मातृत्व का स्वरूप हैं मां स्कंद
नवरात्र के पांचवें दिन माता स्कंद की पूजा अर्चना कैसे करें, इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता स्कंद का यह रूप मातृत्व को बताता है. क्योंकि उनके गोद में स्वयं भगवान कार्तिकेय यानी उनके पुत्र विराजमान हैं. इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. देवासुर संग्राम के सेनापति के रूप में कार्तिकेय ने ही इसका नेतृत्व कर जीत हासिल की थी. इसके लिए माता ने उन्हें अपनी गोद में बैठा कर प्यार दुलार दिखाया, जिसकी वजह से उनका नाम स्कंदमाता पड़ा. मां का रूप बहुत ही सौम्य और मातृत्व से भरा हुआ है.

मां स्कंदमाता की पूजा से दूर होती हैं बाधाएं.


ऐसे करें मां की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता स्कंद की चार भुजाएं हैं. माता की दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय गोद में विराजमान हैं. जबकि उनकी नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प और दूसरी भुजा में भी कमल पुष्प है. मां वर मुद्रा की भूमिका में हैं. माता का वाहन सिंह है. मां का स्वरूप हर किसी को आकर्षित करने वाला है, क्योंकि मां को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद भोग स्वरूप चढ़ाए जाने वाली सामग्री बहुत ही पसंद है. इसलिए माता के आगे नारियल के साथ इससे बनी मिठाइयां, खीर, दूध अर्पण कर उन्हें बेला या टेंगरी के फूल चढ़ाए जाने चाहिए.

मां की पूजा से यह होता है लाभ
शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन माता की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति-समृद्धि के साथ ही एकाग्रता आती है. इतना ही नहीं मां के दर्शन मात्र से ही जिंदगी में बड़े से बड़ा संग्राम जीतने की शक्ति मिल जाती है. मां का आशीर्वाद मिलने से हर मुश्किल आसान होती है और जीवन में जीत होती है. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का यह स्वरूप मातृत्व से भरा हुआ है. स्कंद माता के दर्शन से संतान प्राप्ति में आसानी होती है. मां का यह स्वरूप संतान की रक्षा के साथ उन लोगों को लाभ देता है जो संतान प्राप्ति के लिए परेशान हैं.


इस मंत्र से करें मां का पूजन
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी |।

पटना : नवरात्र के चार दिन बीत चुके हैं. आज पांचवां दिन है. नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंद माता के दर्शन पूजन का विधान है. माता स्कंद को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि उनकी गोद में उनके पुत्र कार्तिकेय हैं. उनको स्कंद के नाम से भी जाना जाता है. वह मां की गोद में बैठे हैं. मां का यह स्वरूप मातृत्व को भी बताता है. साथ ही हर संग्राम में जीतने का आशीर्वाद प्रदान करता है.


मातृत्व का स्वरूप हैं मां स्कंद
नवरात्र के पांचवें दिन माता स्कंद की पूजा अर्चना कैसे करें, इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता स्कंद का यह रूप मातृत्व को बताता है. क्योंकि उनके गोद में स्वयं भगवान कार्तिकेय यानी उनके पुत्र विराजमान हैं. इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. देवासुर संग्राम के सेनापति के रूप में कार्तिकेय ने ही इसका नेतृत्व कर जीत हासिल की थी. इसके लिए माता ने उन्हें अपनी गोद में बैठा कर प्यार दुलार दिखाया, जिसकी वजह से उनका नाम स्कंदमाता पड़ा. मां का रूप बहुत ही सौम्य और मातृत्व से भरा हुआ है.

मां स्कंदमाता की पूजा से दूर होती हैं बाधाएं.


ऐसे करें मां की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता स्कंद की चार भुजाएं हैं. माता की दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय गोद में विराजमान हैं. जबकि उनकी नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प और दूसरी भुजा में भी कमल पुष्प है. मां वर मुद्रा की भूमिका में हैं. माता का वाहन सिंह है. मां का स्वरूप हर किसी को आकर्षित करने वाला है, क्योंकि मां को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद भोग स्वरूप चढ़ाए जाने वाली सामग्री बहुत ही पसंद है. इसलिए माता के आगे नारियल के साथ इससे बनी मिठाइयां, खीर, दूध अर्पण कर उन्हें बेला या टेंगरी के फूल चढ़ाए जाने चाहिए.

मां की पूजा से यह होता है लाभ
शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन माता की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति-समृद्धि के साथ ही एकाग्रता आती है. इतना ही नहीं मां के दर्शन मात्र से ही जिंदगी में बड़े से बड़ा संग्राम जीतने की शक्ति मिल जाती है. मां का आशीर्वाद मिलने से हर मुश्किल आसान होती है और जीवन में जीत होती है. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का यह स्वरूप मातृत्व से भरा हुआ है. स्कंद माता के दर्शन से संतान प्राप्ति में आसानी होती है. मां का यह स्वरूप संतान की रक्षा के साथ उन लोगों को लाभ देता है जो संतान प्राप्ति के लिए परेशान हैं.


इस मंत्र से करें मां का पूजन
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी |।

Intro:स्पेशल:

वाराणसी: देवी आराधना का पर्व नवरात्र माता रानी की आराधना के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है नवरात्र के 4 दिन बीत चुके हैं और आज पांचवा दिन है पांचवे दिन नवरात्र के मौके पर देवी स्कंद माता के दर्शन पूजन का विधान है. माता स्कंद को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि उनकी गोद में उनके पुत्र कार्तिकेय हैं जिनको स्कंद के नाम से भी जाना जाता है, वह मा की गोद मे बैठे हैं, मां का यह स्वरूप मातृत्व को तो बताता ही है साथ ही साथ हर संग्राम में जीतने का आशीर्वाद प्रदान करता है. कैसे करें माता स्कंद की पूजा और क्या करें मां को अर्पित ज्ञानी है आप भी.


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नवरात्रि के 5 दिन माता स्कंद की पूजा अर्चना कैसे करें इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता स्कंद का यह रूप मातृत्व को बताता है, क्योंकि उनके गोद में विराजमान हैं स्वयं भगवान कार्तिकेय यानी उनके पुत्र जिनको इस कांड के नाम से जाना जाता है और माता का अर्थ मां यानी मातृत्व से है इसलिए इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है, क्योंकि देवासुर संग्राम के सेनापति के रूप में कार्तिकेय नहीं इसका नेतृत्व कर जीत हासिल की थी. इसके लिए माता ने उन्हें अपनी गोद में बैठा कर प्यार दुलार दिखाया जिसकी वजह से उनका नाम स्कंदमाता पड़ा मां का रूप बहुत ही सौम्य और मातृत्व से भरा हुआ है.

ऐसे करें मां की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि माता स्कंद की चार भुजाएं हैं माता की दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय गोद में विराजमान है. जबकि उनकी नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प और दूसरी भुजा में भी कमल पुष्प है और अन्य हादसे मां वर मुद्रा की भूमिका में हैं. माता का वाहन सिंह है और मां का स्वरूप हर किसी को आकर्षित करने वाला है, क्योंकि मां को सफेद वस्त्र सफेद पुष्प व सफेद भोग स्वरूप चढ़ाए जाने वाली सामग्री बहुत ही पसंद है. इसलिए माता के आगे नारियल के साथ इससे बनी मिठाईयां खीर, दूध अर्पण कर उन्हें बेला या टेंगरी के फूल चढ़ाए जाने चाहिए.



Conclusion:वीओ-02

मां की पूजा से यह होता है लाभ
शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन माता की पूजा करने से जीवन में सुख शांति समृद्धि के साथ ही एकाग्रता आती है इतना ही नहीं मां के दर्शन मात्र से ही जिंदगी में बड़े से बड़ा संग्रा. जीतने की शक्ति में मिल जाती है. मां का आशीर्वाद मिलने से हर मुश्किल रहा आसान होती है और जीवन में जीत आपकी ही होती है, चाहे वह कोई भी परीक्षा है. पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का यह स्वरूप मातृत्व से भरा हुआ है. स्कंद माता के दर्शन से संतान प्राप्ति में आसानी होती है मां का यह स्वरूप संतान की रक्षा के साथ उन लोगों को लाभ देता है जो संतान प्राप्ति के लिए परेशान हैं.

इस मंत्र से करें मां का पूजन

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।

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