पटना: कल्पवास मेले के तीसरे दिन भी बाढ़ के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. अलखनाथ घाट और उमानाथ घाट के साथ-साथ अन्य घाटों पर गंगा स्नान के लिए महिलाओं का हुजूम दिखा. कई श्रद्धालु कार्तिक महीने के सभी दिन गंगा स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं. घाट के पास फल, फूल और प्रसाद सहित अन्य पूजा सामग्री और श्रृंगार की दुकानें लगाई गईं हैं.
कल्पवास मेले की शुरुआत
शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेले की शुरुआत हो जाती है, जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक महीने में सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरते हैं. इसलिए इसे सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने को त्यौहारों का महीना भी कहा जाता है.
उत्तरायण गंगा घाट पर स्नान का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने की अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा तक चलता है. इसमें उत्तरायण गंगा के तट पर स्नान का खासा महत्व है. स्थानीय पुजारी ने बताया कि बाढ़ के अलखनाथ घाट और उमानाथ घाट पर स्नान के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं. इसके मद्देनजर मंदिर प्रशासन ने घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.