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सत्तुआनी के मौके पर लोगों ने गंगा सहित कई घाटों पर लगाई डुबकी

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Published : Apr 14, 2021, 10:39 AM IST

सत्तुआनी के अवसर पर दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगायी और इस अवसर पर उन्होंने सत्तू ,आम और मिट्टी के बर्तन समेत कई सामानों को ब्राह्मणों को दान किया. ऐसी मान्यता है कि सत्तुआनी के दिन गंगा में स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.

patna
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पटना: एक तरफ जहां बिहार में बढ़ते कोरोना मामले को लेकर राज्य सरकार ने सभी पूजा-पाठ पर रोक लगा रखी है यहां तक कि आम लोगों के लिए मंदिरों को भी बंद कर दिया गया है. वहीं, दूसरी तरफ सत्तुआनी के अवसर पर राजधानी पटना से सटे मनेर स्थित हल्दी छपरा संगम घाट पर सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई गई.

गंगा स्नान करते श्रद्धालु
गंगा स्नान करते श्रद्धालु

सत्तुआनी के अवसर पर दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाया और इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने सत्तू ,आम और मिट्टी के बर्तन समेत कई सामानों को ब्राह्मणों को दान किया. ऐसी मान्यता है कि सत्तुआनी के दिन गंगा में स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.

ये भी पढ़ें: बिहार पंचायत चुनाव 2021: आज दिल्ली में भारत और राज्य निर्वाचन आयोग की अहम बैठक, हो सकता है फैसला

हालांकि, हल्दी छपरा संगम घाट पर प्रशासन के तरफ से उचित व्यवस्था ना होने के कारण श्रद्धालुओं में भी काफी मायूसी है. ना ही गंगा नदी में गोताखोर की व्यवस्था की गई है और ना ही सुरक्षा को लेकर प्रशासन की तैनाती गई. भीड़ भी हद से ज्यादा घाटों पर देखी गई. ना ही किसी के चेहरे पर मास्क और ना ही कोई कोरोना गाइडलाइन नियम का पालन. ऐसा लग रहा है कि कोरोना अब गंगा घाटों से खत्म हो चुका है. लोग भी बेफिक्र होकर पूजा-पाठ करने में लगे हुए हैं.

जानें क्या है सत्तुआनी का महापर्व
वैशाख शुरू होने के साथ ही सत्तुआनी का महापर्व मनाया जाता है. उत्तर भारत में कई जगहों पर इसे मनाने की परंपरा काफी पहले से चली आ रही है. इस दिन लोग अपने पूजा घर में मिट्टी या पीतल के घड़े में आम का पल्लव स्थापित करते हैं. इस दिन दाल से बने सत्तू खाने की परंपरा होती. सत्तुआनी का महापर्व 13 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है.

वीडियो...

सत्तुआनी के पर्व पर सत्तू, गुड़ और चीनी से पूजा की होती है. इस त्योहर पर दान में सोना और चांदी देने की भी बड़ा महत्व है. पूजा के बाद लोग सत्तू, आम प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है. इसके एक दिन बाद 15 अप्रैल को जूड़ शीतल का त्योहार मनाया जाएगा.

पटना: एक तरफ जहां बिहार में बढ़ते कोरोना मामले को लेकर राज्य सरकार ने सभी पूजा-पाठ पर रोक लगा रखी है यहां तक कि आम लोगों के लिए मंदिरों को भी बंद कर दिया गया है. वहीं, दूसरी तरफ सत्तुआनी के अवसर पर राजधानी पटना से सटे मनेर स्थित हल्दी छपरा संगम घाट पर सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई गई.

गंगा स्नान करते श्रद्धालु
गंगा स्नान करते श्रद्धालु

सत्तुआनी के अवसर पर दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाया और इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने सत्तू ,आम और मिट्टी के बर्तन समेत कई सामानों को ब्राह्मणों को दान किया. ऐसी मान्यता है कि सत्तुआनी के दिन गंगा में स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.

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हालांकि, हल्दी छपरा संगम घाट पर प्रशासन के तरफ से उचित व्यवस्था ना होने के कारण श्रद्धालुओं में भी काफी मायूसी है. ना ही गंगा नदी में गोताखोर की व्यवस्था की गई है और ना ही सुरक्षा को लेकर प्रशासन की तैनाती गई. भीड़ भी हद से ज्यादा घाटों पर देखी गई. ना ही किसी के चेहरे पर मास्क और ना ही कोई कोरोना गाइडलाइन नियम का पालन. ऐसा लग रहा है कि कोरोना अब गंगा घाटों से खत्म हो चुका है. लोग भी बेफिक्र होकर पूजा-पाठ करने में लगे हुए हैं.

जानें क्या है सत्तुआनी का महापर्व
वैशाख शुरू होने के साथ ही सत्तुआनी का महापर्व मनाया जाता है. उत्तर भारत में कई जगहों पर इसे मनाने की परंपरा काफी पहले से चली आ रही है. इस दिन लोग अपने पूजा घर में मिट्टी या पीतल के घड़े में आम का पल्लव स्थापित करते हैं. इस दिन दाल से बने सत्तू खाने की परंपरा होती. सत्तुआनी का महापर्व 13 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है.

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सत्तुआनी के पर्व पर सत्तू, गुड़ और चीनी से पूजा की होती है. इस त्योहर पर दान में सोना और चांदी देने की भी बड़ा महत्व है. पूजा के बाद लोग सत्तू, आम प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है. इसके एक दिन बाद 15 अप्रैल को जूड़ शीतल का त्योहार मनाया जाएगा.

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