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Makar Sankranti 2023: श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, ब्राह्मणों को दिया दान - etv news

राजधानी पटना में मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में अस्था की डुबकी लगाकर भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना (Devotees Bathe In Ganga And Worshiped) की. ब्राह्मणों के बीच तिल दान किए. हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. पढे़ं पूरी खबर..

मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Jan 14, 2023, 3:48 PM IST

पटना में श्रद्धालुओं ने गंगा में अस्था की लगाई डुबकी

पटना: बिहार में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) पर गंगा में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. लोग गंगा में नहाने के बाद सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करने के बाद पंडितों को दान दिए. इसी क्रम में राजधानी पटना मेे मकरसंक्रान्ति के मौके पर सभी लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर भगवान सूर्य की आराधना की और दही-चूड़ा ब्राह्मणों को खिलाकर उनको तिल दान किए. पौराणिक मान्यतानुसार आज के दिन सूर्य भगवान पृथ्वी के निकट पहुंचकर मकर राशि मे प्रवेश करते हैं. इसलिए आज के दिन सूर्य भगवान की पूजा करने पर विशेष फल मिलता है.

ये भी पढ़ें- Makar Sankranti: मकर संक्रांति पर हरिद्वार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, गंगा में लगा रहे पुण्य की डुबकी

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का है विशेष महत्व : हिंदू धर्म के अनुसार आज यानी 14 जनवरी को मंकर संक्रांति है और इस दिन का विशेष महत्व है. इसलिए आज से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. आज के दिन श्रद्धालु गंगा में स्नान कर ब्राह्मणों को तिल, चूड़ा दान कर मनोवांछित फल की प्राप्ति करते हैं. गौरतलब है कि नया साल 2023 का पहला पर्व मकर संक्रांति दो दिन 14 और 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा का खास महत्व है. इसके अलावा पूजा करने की विधि भी अलग है. मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा की पूजा की जाती है. उनके लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर श्रद्धा के मुताबिक दान दिया जाता है.

मकर संक्रांति पर पूजा का है विशेष महत्व : इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं. इसलिए इन सब चीजों का महत्व और बढ़ जाता है. मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है, कि ऐसा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की पूजा करने की सालों से परंपरा है. देशभर में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है. लेकिन सभी जगह भगवान सूर्यदेव की पूजा ही की जाती है. इसकी वजह यह है कि इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं और देवताओं का दिन शुरू होता है. इस साल संक्रांति का पुण्यकाल रविवार को पड़ रहा है, रविवार सूर्यदेव का दिन है.

पटना में श्रद्धालुओं ने गंगा में अस्था की लगाई डुबकी

पटना: बिहार में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) पर गंगा में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. लोग गंगा में नहाने के बाद सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करने के बाद पंडितों को दान दिए. इसी क्रम में राजधानी पटना मेे मकरसंक्रान्ति के मौके पर सभी लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर भगवान सूर्य की आराधना की और दही-चूड़ा ब्राह्मणों को खिलाकर उनको तिल दान किए. पौराणिक मान्यतानुसार आज के दिन सूर्य भगवान पृथ्वी के निकट पहुंचकर मकर राशि मे प्रवेश करते हैं. इसलिए आज के दिन सूर्य भगवान की पूजा करने पर विशेष फल मिलता है.

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हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का है विशेष महत्व : हिंदू धर्म के अनुसार आज यानी 14 जनवरी को मंकर संक्रांति है और इस दिन का विशेष महत्व है. इसलिए आज से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. आज के दिन श्रद्धालु गंगा में स्नान कर ब्राह्मणों को तिल, चूड़ा दान कर मनोवांछित फल की प्राप्ति करते हैं. गौरतलब है कि नया साल 2023 का पहला पर्व मकर संक्रांति दो दिन 14 और 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा का खास महत्व है. इसके अलावा पूजा करने की विधि भी अलग है. मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा की पूजा की जाती है. उनके लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर श्रद्धा के मुताबिक दान दिया जाता है.

मकर संक्रांति पर पूजा का है विशेष महत्व : इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं. इसलिए इन सब चीजों का महत्व और बढ़ जाता है. मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है, कि ऐसा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की पूजा करने की सालों से परंपरा है. देशभर में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है. लेकिन सभी जगह भगवान सूर्यदेव की पूजा ही की जाती है. इसकी वजह यह है कि इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं और देवताओं का दिन शुरू होता है. इस साल संक्रांति का पुण्यकाल रविवार को पड़ रहा है, रविवार सूर्यदेव का दिन है.

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