पटना: नगर निगम के वार्ड पार्षदों की राजनीति में इन दिनों पटना के विकास का काम प्रभावित दिख रहा है. पार्षदों ने अपने वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर सशक्त स्थाई समिति के आगे सवाल उठाए हैं. ऐसे में जनहित के कार्यों को लेकर कोई सरोकार नहीं है. सभी पार्षद अपने हित को साधने में ज्यादा मशगूल दिख रहे हैं.
सशक्त स्थाई समिति के सभी सदस्यों के लिए गाड़ी का प्रावधान है. सभी सदस्यों को लग्जरी गाड़ी दी गई है, जिसमें हर महीने वह 1000 किलोमीटर तक सफर कर सकते हैं. सशक्त स्थाई समिति के सदस्य अपने विकास को लेकर ज्यादा चिंतिंत दिखाई दे रहे है. जनता के हित को साधने की ललक इनमें कम दिख रही है. निगम पार्षदों को दूसरे शहरों में अनुभव लेने के लिए भी भेजा गया था, जिसका खर्च निगम ने उठाया. तमाम योजनाओं के निष्पादन को लेकर निजी एजेंसियों को भी रखा गया है, जिसका विरोध कई पार्षद भी कर चुके हैं.
पार्षदों की राजनीति से प्रभावित हो रहा विकास कार्य
कभी निगम की राजनीति तो कभी संसाधनों के अभाव के कारण जनहित की योजना अधर में लटकी हुई है. हाल के दिनों में मेयर पुत्र और पार्षदों के बीच विवाद होने से भी निगम प्रभावित रहा है. पार्षदों का गुट दो खेमे में बंट गया है. मेयर सभी पार्षदों को एक साथ लेकर चलने में असफल साबित हो रही हैं. मेयर के पुत्र भी सवाल के घेरे में हैं. कई पार्षदों ने उनके खिलाफ आवाज भी उठाई थी. इन सबके बीच विकास का कार्य प्रभावित हो रहा है.
नगर निगम की अनदेखी
पटना शहरी क्षेत्र में रोशनी के लिए नगर निगम ने एलईडी लाइट तो लगा दिए, लेकिन मेंटेनेंस पर निगम का कोई ध्यान नहीं है. राजधानी में एलईडी लाइट लगाने को लेकर भी कई बार निविदाओं पर बहस भी हुई. एजेंसी के चयन पर भी सवाल खड़े किए गए. हर वार्ड को मिला दें तो लगभग 75,000 के आसपास एलईडी लाइट राजधानी में लग चुका है. मगर मेंटेनेंस को लेकर निगम कोई पहल नहीं कर रहा है.
मेंटेनेंस पर निगम का नहीं है ध्यान
राजधानी को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए प्रत्येक वार्ड में मॉड्यूलर टॉयलेट बनवाया गया था. इसे ज्यादातर राजधानी के मुख्य सड़कों पर लगाया गया. मगर कई जगहों पर इसमें ताला अभी भी लटका हुआ है. जिसका कोई उपयोग नहीं कर सकता है. मेंटेनेंस के अभाव में यह शो पीस बनकर रह गया है. इसके अलावा सड़कों को धोने के लिए नगर निगम ने स्विफ्ट मशीन भी खरीदा है. लेकिन वह खास जगहों पर सड़क की सफाई करता है. बाकी समय मशीन निगम में पड़ा रहता है क्योंकि उसे चलाने के लिए निगम ने अभी तक कोई ड्राइवर की व्यवस्था नहीं की है.
जेसीबी गाड़ियों के लिए ड्राइवर की व्यवस्था नहीं
अनूप कुमार सुमन को पटना नगर निगम का नगर आयुक्त बनते ही लगभग 99 करोड़ के ऊपर के उपकरणों की खरीद हो चुकी है. इंप्रैस कंपनी के नाम से निजी एजेंसियों के माध्यम से इन उपकरणों की खरीदारी की गई है. लेकिन कई जेसीबी गाड़ियों के लिए नगर निगम अभी भी ड्राइवर की व्यवस्था नहीं की है. अब देखना है कि नए नगर आयुक्त अमित कुमार पांडे के आने के बाद राजधानीवासियों को कितना लाभ मिलता है.
अमित कुमार पांडेय ने नगर आयुक्त का संभाला पदभार
बता दें कि भारतीय प्रशासनिक सेवा 2014 के अधिकारी अमित कुमार पांडेय गुरुवार को नगर आयुक्त सह पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक का पदभार संभाला. इससे पहले अमित कुमार पांडेय कटिहार में उप विकास आयुक्त-सह- मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर कार्यरत थे. बता दें कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के अनुच्छेद 11.1 एवं कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत नगर आयुक्त अमित कुमार पांडेय की नियुक्ति प्रबंध निदेशक, पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पद पर की गई है.