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माफियाओं ने बिहार में एनजीटी प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाई, रेत का खनन जारी

एनजीटी ने 1 जुलाई से 30 सितंबर तक रेत खनन पर रोक लगाई थी. इससे पहले खनन विभाग ने 19 जिलों में 195 स्थानों के लिए लाइसेंस जारी किया था. भोजपुर, औरंगाबाद, पटना, कैमूर कुछ ऐसे जिले हैं, जहां बालू माफिया काफी सक्रिय हैं.

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Published : Sep 18, 2021, 9:07 PM IST

पटना: एनजीटी (National Green Tribunal) द्वारा 30 सितंबर तक बालू खनन पर रोक (Bihar Sand Mining) लगाने के बावजूद बिहार के कई जिलों में रेत माफियाओं का अवैध धंधा (Illegal Sand Mining) पुलिस और जिला प्रशासन की नाक के नीचे जारी है.

ये भी पढ़ें: पुलिस की कार्रवाई के बाद भी नहीं रुक रहा अवैध बालू खनन, देर शाम एक्टिव हो जाते हैं माफिया

बिहार में आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले देखे गए हैं, जहां माफियाओं ने अपने क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों पर हमला किया और उन्हें घायल कर दिया. ऐसा लगता है कि उनके पास पुलिस और अधिकारियों के लिए केवल दो विकल्प रह गए हैं - या तो अपनी अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद लें या परिणाम भुगतें. नतीजतन, कई पुलिस कर्मियों और अधिकारियों ने कथित तौर पर रेत माफियाओं के साथ हाथ मिलाया है और अवैध कारोबार से होने वाली आय को साझा करते हैं.

भोजपुर जिले के राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद जिले के सुधीर कुमार पोरिका नामक दो एसपी रैंक के अधिकारियों सहित 41 अधिकारियों को उनके जिलों में रेत माफियाओं के साथ कथित संबंधों के लिए निलंबित किए जाने से यह साबित हो गया है. उन्हें जुलाई में निलंबित कर दिया गया था और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और जांच जारी है.

ये भी पढ़ें: बिहार में फल-फूल रहा बालू का काला खेल, सरकार नहीं लगा पा रही रोक

ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को भोजपुर के पूर्व एसपी राकेश कुमार दुबे के चार ठिकानों पर छापेमारी कर 2.65 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया. इन दो अधिकारियों के अलावा, आरा और पालीगंज के एसडीपीओ रैंक के दो अधिकारी, रोहतास जिले के डेहरी के एक एसडीओ और पटना के एक निरीक्षक रैंक के अधिकारी को भी रेत माफियाओं के साथ कथित संबंधों के लिए निलंबित कर दिया गया था.

छह सितंबर को बालू माफियाओं के सदस्यों ने गया के रामपुर थाने की एक टीम पर हमला किया था. टीम सीक्रेट हाउस में इकट्ठी हुई थी और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की योजना को अंतिम रूप दे रही थी, जब उन पर आग्नेयास्त्रों से हमला किया गया. उस घटना में एक होमगार्ड कांस्टेबल नौरंगी मिस्त्री को गोली मार दी गई थी. गया फाल्गु नदी के तट पर स्थित है जिसे 'पिंड दान' के लिए जाना जाता है. माफिया इस नदी से रेत निकालते थे.

"एक कांस्टेबल के पैर में गोली लगी थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हमने आमने-सामने के दौरान 14 रेत माफिया सदस्यों को गिरफ्तार किया था. हम हर संदिग्ध जगह पर लगातार छापेमारी कर रहे हैं जहां माफिया नदी की रेत निकालते हैं." - आदित्य कुमार, एसएसपी, गया

ये भी पढ़ें: गया में बालू तस्करों ने पुलिस टीम पर किया पथराव, आत्मरक्षा में पुलिस ने की फायरिंग

एक अन्य घटना सारण जिले में 7 सितंबर को हुई थी जब 100 से अधिक बदमाशों ने जिला पुलिस की एक टीम पर हमला किया था, जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. घटना अवतार नगर थाना क्षेत्र की है. पुलिस को अवैध खनन की जानकारी मिलते ही अवतार नगर, गरखा और डोरीगंज पुलिस के अधिकारियों व कर्मियों की टीम ने मौके पर छापेमारी की. चूंकि माफियाओं को जाहिर तौर पर पुलिस की गतिविधि के बारे में पहले से ही जानकारी थी, वे बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए और पुलिस पर पथराव किया.

ये भी पढ़ें: सारण में पुलिस टीम पर हमला मामले में बड़ी कार्रवाई, 500 लोगों पर FIR दर्ज, कई गिरफ्तार

"यह एक पुलिस दल पर अचानक हमला था. उस पथराव में मेरे सहित आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे. अब, हम ठीक हो गए हैं और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं." - अमितेश सिंह, एसएचओ, गरखा पुलिस स्टेशन

बिहार पुलिस और खनन विभाग की संयुक्त टीम पर एक सितंबर को बांका जिले में बालू माफिया सदस्यों ने हमला किया था. संयुक्त टीम बाराहाट थाना अंतर्गत मिजार्पुर गांव में छापेमारी करने गई थी. जब वे मिर्जापुर गांव के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि रेत से लदे दो ट्रैक्टर विपरीत दिशा से आ रहे हैं. चालक व हेल्पर वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गए.

"जब हम खनन स्थल के पास पहुंचे, तो बड़ी संख्या में बदमाशों ने हम पर डंडों और लोहे की रॉड से हमला किया. उन्होंने खनन और पुलिस विभागों के दो वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस हमले में एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया." - शंकर दयाल प्रभाकर, एसएचओ

दरअसल, एनजीटी ने 1 जुलाई से 30 सितंबर तक रेत खनन पर रोक लगाई थी. इससे पहले खनन विभाग ने 19 जिलों में 195 स्थानों के लिए लाइसेंस जारी किया था. भोजपुर, औरंगाबाद, पटना, कैमूर कुछ ऐसे जिले हैं, जहां बालू माफिया काफी सक्रिय हैं. वे आमतौर पर रेत के परिवहन के लिए ट्रैक्टर, ट्रक का उपयोग करते हैं. जब पुलिस कार्रवाई करती है, तो वे परिवहन के लिए नावों का उपयोग करते हैं. आमतौर पर सोन, गंगा, गंडक, फाल्गु, कमला बालन, कोसी, परमान नदियों की रेत का खनन किया जाता है.

"बिहार सरकार ने इस साल 1 अक्टूबर से फिर से शुरू होने वाली खनन गतिविधियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. हमने ड्रोन के माध्यम से खनन क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों की निगरानी करने की योजना बनाई है जहां खनन संभव है लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी है. अवैध खनन पर नजर रखने का विचार है." - जनक राम, खनन मंत्री, बिहार

पटना: एनजीटी (National Green Tribunal) द्वारा 30 सितंबर तक बालू खनन पर रोक (Bihar Sand Mining) लगाने के बावजूद बिहार के कई जिलों में रेत माफियाओं का अवैध धंधा (Illegal Sand Mining) पुलिस और जिला प्रशासन की नाक के नीचे जारी है.

ये भी पढ़ें: पुलिस की कार्रवाई के बाद भी नहीं रुक रहा अवैध बालू खनन, देर शाम एक्टिव हो जाते हैं माफिया

बिहार में आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले देखे गए हैं, जहां माफियाओं ने अपने क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों पर हमला किया और उन्हें घायल कर दिया. ऐसा लगता है कि उनके पास पुलिस और अधिकारियों के लिए केवल दो विकल्प रह गए हैं - या तो अपनी अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद लें या परिणाम भुगतें. नतीजतन, कई पुलिस कर्मियों और अधिकारियों ने कथित तौर पर रेत माफियाओं के साथ हाथ मिलाया है और अवैध कारोबार से होने वाली आय को साझा करते हैं.

भोजपुर जिले के राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद जिले के सुधीर कुमार पोरिका नामक दो एसपी रैंक के अधिकारियों सहित 41 अधिकारियों को उनके जिलों में रेत माफियाओं के साथ कथित संबंधों के लिए निलंबित किए जाने से यह साबित हो गया है. उन्हें जुलाई में निलंबित कर दिया गया था और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और जांच जारी है.

ये भी पढ़ें: बिहार में फल-फूल रहा बालू का काला खेल, सरकार नहीं लगा पा रही रोक

ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को भोजपुर के पूर्व एसपी राकेश कुमार दुबे के चार ठिकानों पर छापेमारी कर 2.65 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया. इन दो अधिकारियों के अलावा, आरा और पालीगंज के एसडीपीओ रैंक के दो अधिकारी, रोहतास जिले के डेहरी के एक एसडीओ और पटना के एक निरीक्षक रैंक के अधिकारी को भी रेत माफियाओं के साथ कथित संबंधों के लिए निलंबित कर दिया गया था.

छह सितंबर को बालू माफियाओं के सदस्यों ने गया के रामपुर थाने की एक टीम पर हमला किया था. टीम सीक्रेट हाउस में इकट्ठी हुई थी और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की योजना को अंतिम रूप दे रही थी, जब उन पर आग्नेयास्त्रों से हमला किया गया. उस घटना में एक होमगार्ड कांस्टेबल नौरंगी मिस्त्री को गोली मार दी गई थी. गया फाल्गु नदी के तट पर स्थित है जिसे 'पिंड दान' के लिए जाना जाता है. माफिया इस नदी से रेत निकालते थे.

"एक कांस्टेबल के पैर में गोली लगी थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हमने आमने-सामने के दौरान 14 रेत माफिया सदस्यों को गिरफ्तार किया था. हम हर संदिग्ध जगह पर लगातार छापेमारी कर रहे हैं जहां माफिया नदी की रेत निकालते हैं." - आदित्य कुमार, एसएसपी, गया

ये भी पढ़ें: गया में बालू तस्करों ने पुलिस टीम पर किया पथराव, आत्मरक्षा में पुलिस ने की फायरिंग

एक अन्य घटना सारण जिले में 7 सितंबर को हुई थी जब 100 से अधिक बदमाशों ने जिला पुलिस की एक टीम पर हमला किया था, जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. घटना अवतार नगर थाना क्षेत्र की है. पुलिस को अवैध खनन की जानकारी मिलते ही अवतार नगर, गरखा और डोरीगंज पुलिस के अधिकारियों व कर्मियों की टीम ने मौके पर छापेमारी की. चूंकि माफियाओं को जाहिर तौर पर पुलिस की गतिविधि के बारे में पहले से ही जानकारी थी, वे बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए और पुलिस पर पथराव किया.

ये भी पढ़ें: सारण में पुलिस टीम पर हमला मामले में बड़ी कार्रवाई, 500 लोगों पर FIR दर्ज, कई गिरफ्तार

"यह एक पुलिस दल पर अचानक हमला था. उस पथराव में मेरे सहित आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे. अब, हम ठीक हो गए हैं और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं." - अमितेश सिंह, एसएचओ, गरखा पुलिस स्टेशन

बिहार पुलिस और खनन विभाग की संयुक्त टीम पर एक सितंबर को बांका जिले में बालू माफिया सदस्यों ने हमला किया था. संयुक्त टीम बाराहाट थाना अंतर्गत मिजार्पुर गांव में छापेमारी करने गई थी. जब वे मिर्जापुर गांव के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि रेत से लदे दो ट्रैक्टर विपरीत दिशा से आ रहे हैं. चालक व हेल्पर वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गए.

"जब हम खनन स्थल के पास पहुंचे, तो बड़ी संख्या में बदमाशों ने हम पर डंडों और लोहे की रॉड से हमला किया. उन्होंने खनन और पुलिस विभागों के दो वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस हमले में एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया." - शंकर दयाल प्रभाकर, एसएचओ

दरअसल, एनजीटी ने 1 जुलाई से 30 सितंबर तक रेत खनन पर रोक लगाई थी. इससे पहले खनन विभाग ने 19 जिलों में 195 स्थानों के लिए लाइसेंस जारी किया था. भोजपुर, औरंगाबाद, पटना, कैमूर कुछ ऐसे जिले हैं, जहां बालू माफिया काफी सक्रिय हैं. वे आमतौर पर रेत के परिवहन के लिए ट्रैक्टर, ट्रक का उपयोग करते हैं. जब पुलिस कार्रवाई करती है, तो वे परिवहन के लिए नावों का उपयोग करते हैं. आमतौर पर सोन, गंगा, गंडक, फाल्गु, कमला बालन, कोसी, परमान नदियों की रेत का खनन किया जाता है.

"बिहार सरकार ने इस साल 1 अक्टूबर से फिर से शुरू होने वाली खनन गतिविधियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. हमने ड्रोन के माध्यम से खनन क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों की निगरानी करने की योजना बनाई है जहां खनन संभव है लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी है. अवैध खनन पर नजर रखने का विचार है." - जनक राम, खनन मंत्री, बिहार

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