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अगस्त क्रांति पर विशेष: गोली लगने के बावजूद बिहार के इन सपूतों ने सचिवालय पर फहराया था तिरंगा

बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों ने भारतीयों को यह कह कर साथ देने को कहा था कि उन्हें वो आजाद कर देंगे लेकिन युद्ध के बाद उन्हें धोखा दिया गया. तब महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति का आह्वान किया. जिसमें बिहार के सात युवा शामिल हुए थे.

गोली लगने के बावजूद फहराया तिरंगा
गोली लगने के बावजूद फहराया तिरंगा
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Published : Aug 11, 2022, 1:39 PM IST

पटना: साल 1942 में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए बिहार के सात लाल पुलिस की गोलियों से छलनी कर दिए गए थे. बापू के आह्वान पर ये सात शहीद अगस्त क्रांति (August Revolution Day ) में शामिल हो गए और पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने की कोशिश करते हुए शहीद हो गए. ईटीवी भारत उन 7 सपूतों को नमन करता है और सच्ची श्रद्धांजलि देता है.

ये भी पढ़ें: Har Ghar Tiranga: आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न, छात्रों ने निकाली तिरंगा यात्रा

सचिवालय पर झंडा फहराने निकले थे: यह कहानी उन 7 शहीदों की है जो 11 अगस्त 1942 की दोपहर 2:00 बजे पटना सचिवालय पर झंडा फहराने निकले थे. इन 7 युवा पर जिलाधिकारी डब्लू जी ऑर्थर के आदेश पर पुलिस ने गोलियां बरसाई थी. जिसमें सबसे पहले जमालपुर गांव के 14 वर्षीय देवीपद को पुलिस ने गोली मार दी. देवीपद के गिरते ही पुनपुन के दशरथा गांव के राम गोविंद सिंह ने तिरंगे को थामा और आगे बढ़ने लगे. उन्हें भी गोली का शिकार होना पड़ा. साथी को गोली लगते देख रामानंद जिनकी कुछ ही दिन पूर्व शादी हुई थी, आगे बढ़े. उन्हें भी गोली मार दी गई.

गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहराया: इसके बाद गर्दनीबाग उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र राजेंद्र सिंह तिरंगा फहराने के लिए आगे बढ़े. लेकिन वह सफल नहीं हुए, उन्हें भी गोलियां से ढेर कर दिया गया. तभी राजेंद्र सिंह के हाथ से झंडे लेकर बीएन कॉलेज के छात्र जगपति कुमार आगे बढ़े. जगपति को एक गोली हाथ में लगी और दूसरी गोली सीने में, तीसरी गोलियां जांघ में. इसके बावजूद उन्होंने तिरंगे को झुकने नहीं दिया. तब उमाकांत तिरंगे को फहराने आगे बढ़े. उमाकांत को भी पुलिस ने गोली का निशाना बनाया. उन्होंने गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहरा दिया. सपूतों के मकसद पूरे हो चुके थे और अंग्रेजी हुकूमत शर्मसार हो चुकी थी.

महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति का किया था आह्वान: बताया जाता है की द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों ने भारतीयों को यह कह कर साथ देने को कहा था कि उन्हें वो आजाद कर देंगे. लेकिन युद्ध के बाद उन्हें धोखा दिया गया. तब महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति का आह्वान किया. जिसमें बिहार के सात युवा शामिल हुए थे और पटना सचिवालय में तिरंगा लहराने की ठान ली थी.

बिहार के सात महान शहीद:

  • उमाकांत प्रसाद सिंह- उमाकांत प्रसाद सिंह सेमिनरी स्कूल के 12वीं कक्षा के छात्र थे. इनके पिता राजकुमार सिंह थे. वह सारण जिले के नरेंद्रपुर ग्राम के निवासी थे.
  • रामानंद सिंह: रामानंद सिंह सेमिनरी स्कूल पटना के 11वीं कक्षा के छात्र थे. इनका जन्म पटना जिले के ग्राम शहादत नगर में हुआ था. इनके पिता लक्ष्मण सिंह थे.
  • सतीश प्रसाद झा: सतीश प्रसाद का जन्म भागलपुर जिले के खड़ाहरा में हुआ था. इनके पिता जगदीश प्रसाद झा थे. वह पटना कॉलेजिएट स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र थे.
  • जगपति कुमार: इस महान सपूत का जन्म गया जिले के खराटे गांव में हुआ था.
  • देवीपद चौधरी: इस महान सपूत का जन्म शिवहर जिले के अंतर्गत जमालपुर गांव में हुआ था. वह मिलर हाई स्कूल पटना के नौवीं कक्षा के छात्र थे.
  • राजेंद्र सिंह: इस महान सपूत का जन्म सारण जिले के बनवारी चकरा में हुआ था. वह पटना हाई स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र थे.

पटना: साल 1942 में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए बिहार के सात लाल पुलिस की गोलियों से छलनी कर दिए गए थे. बापू के आह्वान पर ये सात शहीद अगस्त क्रांति (August Revolution Day ) में शामिल हो गए और पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने की कोशिश करते हुए शहीद हो गए. ईटीवी भारत उन 7 सपूतों को नमन करता है और सच्ची श्रद्धांजलि देता है.

ये भी पढ़ें: Har Ghar Tiranga: आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न, छात्रों ने निकाली तिरंगा यात्रा

सचिवालय पर झंडा फहराने निकले थे: यह कहानी उन 7 शहीदों की है जो 11 अगस्त 1942 की दोपहर 2:00 बजे पटना सचिवालय पर झंडा फहराने निकले थे. इन 7 युवा पर जिलाधिकारी डब्लू जी ऑर्थर के आदेश पर पुलिस ने गोलियां बरसाई थी. जिसमें सबसे पहले जमालपुर गांव के 14 वर्षीय देवीपद को पुलिस ने गोली मार दी. देवीपद के गिरते ही पुनपुन के दशरथा गांव के राम गोविंद सिंह ने तिरंगे को थामा और आगे बढ़ने लगे. उन्हें भी गोली का शिकार होना पड़ा. साथी को गोली लगते देख रामानंद जिनकी कुछ ही दिन पूर्व शादी हुई थी, आगे बढ़े. उन्हें भी गोली मार दी गई.

गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहराया: इसके बाद गर्दनीबाग उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र राजेंद्र सिंह तिरंगा फहराने के लिए आगे बढ़े. लेकिन वह सफल नहीं हुए, उन्हें भी गोलियां से ढेर कर दिया गया. तभी राजेंद्र सिंह के हाथ से झंडे लेकर बीएन कॉलेज के छात्र जगपति कुमार आगे बढ़े. जगपति को एक गोली हाथ में लगी और दूसरी गोली सीने में, तीसरी गोलियां जांघ में. इसके बावजूद उन्होंने तिरंगे को झुकने नहीं दिया. तब उमाकांत तिरंगे को फहराने आगे बढ़े. उमाकांत को भी पुलिस ने गोली का निशाना बनाया. उन्होंने गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहरा दिया. सपूतों के मकसद पूरे हो चुके थे और अंग्रेजी हुकूमत शर्मसार हो चुकी थी.

महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति का किया था आह्वान: बताया जाता है की द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों ने भारतीयों को यह कह कर साथ देने को कहा था कि उन्हें वो आजाद कर देंगे. लेकिन युद्ध के बाद उन्हें धोखा दिया गया. तब महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति का आह्वान किया. जिसमें बिहार के सात युवा शामिल हुए थे और पटना सचिवालय में तिरंगा लहराने की ठान ली थी.

बिहार के सात महान शहीद:

  • उमाकांत प्रसाद सिंह- उमाकांत प्रसाद सिंह सेमिनरी स्कूल के 12वीं कक्षा के छात्र थे. इनके पिता राजकुमार सिंह थे. वह सारण जिले के नरेंद्रपुर ग्राम के निवासी थे.
  • रामानंद सिंह: रामानंद सिंह सेमिनरी स्कूल पटना के 11वीं कक्षा के छात्र थे. इनका जन्म पटना जिले के ग्राम शहादत नगर में हुआ था. इनके पिता लक्ष्मण सिंह थे.
  • सतीश प्रसाद झा: सतीश प्रसाद का जन्म भागलपुर जिले के खड़ाहरा में हुआ था. इनके पिता जगदीश प्रसाद झा थे. वह पटना कॉलेजिएट स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र थे.
  • जगपति कुमार: इस महान सपूत का जन्म गया जिले के खराटे गांव में हुआ था.
  • देवीपद चौधरी: इस महान सपूत का जन्म शिवहर जिले के अंतर्गत जमालपुर गांव में हुआ था. वह मिलर हाई स्कूल पटना के नौवीं कक्षा के छात्र थे.
  • राजेंद्र सिंह: इस महान सपूत का जन्म सारण जिले के बनवारी चकरा में हुआ था. वह पटना हाई स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र थे.
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