पटना: पटना में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे है. लेकिन बावजूद इसके पीएमसीएच में मरीजों और उनके परिजनों को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं है. पीएमसीएच के हथुआ वार्ड में एडमिट मरीज और उनके परिजन गंदी नाली के ऊपर से गुजर रहे वाटर पाइप लाइन के टूटे हुए पाइप (Dirty water in PMCH of Patna) से गिर रहे पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. यह स्थिति तब है, जब बीते दिनों स्वास्थ्य मंत्री ने पीएमसीएच का औचक निरीक्षण किया था और निरीक्षण के क्रम में पीएमसीएच की कुव्यवस्था की कलई खुल गई थी.
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स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल: पीएमसीएच के अधीक्षक कार्यालय से सटे हथुआ वार्ड में लगभग 400 मरीज एडमिट हो सकते हैं. हालत ऐसी हो जाती है कि मरीजों का बेड हमेशा भरा हुआ रहता है. वहीं अस्पताल के बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो वार्ड के शौचालय में गेट नहीं है, वहीं गंदगी अलग फैली रहती है. जिससे मरीज के साथ साथ परिजन भी परेशान रहते हैं.
लगातार बढ़ रहे हैं डेंगू के मामले: जिले में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इसके बावजूद शौचालय की गंदगी और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीज और उनके परिजनों में अन्य प्रकार के संक्रामक इंफेक्शन होने का खतरा भी मंडरा रहा है. कई परिजन यह भी शिकायत कर रहे हैं कि अस्पताल में आने से उनकी तबीयत बिगड़ रही है.
नाली के ऊपर वाले पाइप से पानी पीने को मजबूर: हथुआ वार्ड में एडमिट मरीज के परिजनों को अपने और अपने मरीज के लिए जब पानी की आवश्यकता होती है. तब अधीक्षक कार्यालय के पास गंदी नाली के ऊपर से गुजर रहे वाटर पाइप लाइन के टूटे हुए पाइप से टपकते पानी को बोतल में भरते हैं और वही पानी पीते हैं. जिसकी तस्वीरें ईटीवी भारत के माध्यम से आप साफ देख सकते हैं.
"अस्पताल में पीने के शुद्ध पानी का कोई व्यवस्था नहीं है. बार-बार पीने के लिए पानी का बोतल खरीदना सामर्थ्य के बाहर है. यही पानी खुद भी पीता हूं और अपने मरीज को भी पिलाता हूं. वार्ड में किसी भी शौचालय में गेट नहीं है और इससे शौच करने में काफी परेशानी होती है. क्योंकि बार-बार उनकी गरिमा भंग होती है'.- रामस्वरूप, मरीज के परिजन
"अगर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीज और उनके परिजनों के लिए साफ शौचालय और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और अस्पताल प्रबंधन को प्राथमिकता के स्तर पर इसके लिए काम करना होगा और स्थिति को सुधारनी होगी".- डॉ दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ फिजिशियन
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