पटनाः पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस (Petrol-Diesel and LPG) की कीमतें आसमान छू रही है. पटना में पेट्रोल की कीमत जहां प्रति लीटर सौ रुपये पार कर चुका है, वहीं डीजल भी अपने शतक के करीब है. बढ़ती महंगाई (Rising Inflation) के कारण जहां देश की अर्थव्यवस्था (Economy Of India) चरमराई हुई है, वहीं आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ रहा है.
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पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों पर भी असर पड़ा है. मजबूरन यातायात शुल्क बढ़ा दिया गया है. वहीं चरम पर पहुंची महंगाई को लेकर बिहार की सियासत भी गरमाने लगी है. विपक्षी दलों ने इसे लेकर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है. इनका कहना है कि महंगाई को काबू में लाने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की भी मांग उठने लगी है.
"प्रधानमंत्री मोदी के कथनी और करनी में फर्क है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत निचले स्तर पर है, बावजूद इसके पेट्रोल 100 प्रति लीटर को पार कर चुका है. आम जनता महंगाई से त्रस्त है."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
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"महंगाई को लेकर हमारी पार्टी भी चिंतित है. हम केन्द्र की सरकार से मांग करते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को जल्द नियंत्रित किया जाए. साथ ही हम इसे जीएसटी के दायरे में भी लाने की मांग करते हैं"- विजय यादव, प्रदेश प्रवक्ता, हम पार्टी
"बिहार सरकार भी पेट्रोलियम पदार्थ की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित है. हमारी पार्टी भी चाहती है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द कमी हो, जिससे आम लोगों को राहत मिले."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
"बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार चिंतित है. कोरोना महामारी के कारण कल्याणकारी योजनाओं में पैसे खर्च हो रहे हैं. लेकिन जल्द ही हालात को काबू में कर लिया जाएगा." -अखिलेश सिंह, भाजपा प्रवक्ता
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"सरकार की गलत नीतियों को कारण आम लोग कराह रहे हैं. नोटबंदी, जीएसटी और किसान कानून के कारण इसपर असर पड़ा है. पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद महंगाई से राहत की उम्मीद है."-अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास
एक तरफ जहां जनता की महंगाई के कारण कमर टूट चुकी है. लोग इससे निजात की मांग कर रहे हैं. राजनीतिक दल एक सुर में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं. अब देखना होगा कि सरकार इस ओर कब कदम उठाती है.