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बिहार में हिजाब के बहाने कॉमन सिविल कोड की मांग तेज, BJP ने बताया जरूरी तो JDU-RJD ने जताया ऐतराज

लंबे समय से बीजेपी कॉमन सिविल कोड की पक्षधर (BJP In Favor Of Common Civil Code) रही है लेकिन अभी तक इस पर देश में एक राय नहीं बन पाई है. अब एक बार फिर से हिजाब के बहाने कॉमन सिविल कोड की मांग (Demand of Common Civil Code After Hijab Controversy) जोर पकड़ने लगी है. हालांकि जेडीयू इसके खिलाफ है. वहीं, आरजेडी भी बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

हिजाब के बहाने कॉमन सिविल कोड की मांग
हिजाब के बहाने कॉमन सिविल कोड की मांग
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Published : Feb 15, 2022, 7:37 PM IST

पटना: कर्नाटक में हिजाब पर उठे विवाद (Karnataka Hijab Controversy) के बाद बिहार में समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) को लेकर सियासत शुरू हो गई है. पिछले दिनों बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने इसे देश के लिए जरूरी बताया था. उनके बयान के बाद बिहार बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर सहित कई विधायकों ने भी प्रदेश में इसे लागू करने की मांग की. हालांकि सहयोगी जेडीयू और मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी इसका विरोध करती है.

ये भी पढ़ें: हिजाब विवाद पर गिरिराज सिंह का बड़ा बयान, बोले- 'जिन्ना के DNA के लोग बच्चियों को भ्रमित कर खराब करना चाहते हैं देश का माहौल'

बिहार बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि कॉमन सिविल कोड देश की जरूरत है. सभी दलों को इस पर विचार करना चाहिए. इसके लागू होने से किसी के साथ पक्षपात नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अभी तो मंदिरों पर टैक्स लग रहा है लेकिन मस्जिद पर कोई टैक्स नहीं लिया जाता है. इसलिए देश की एकता और प्रगति के लिए कॉमन सिविल कोड जरूरी है. हालांकि बिहार में सरकार में बीजेपी के प्रमुख सहयोगी जेडीयू शुरू से ही कॉमन सिविल कोड के खिलाफ में है. जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि पार्टी और सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं है. कुछ लोग बेकार की बातें करते रहते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्षों पहले अपनी राय कॉमन सिविल कोड पर दे चुके हैं.

वहीं, आरजेडी का भी कहना है कि कॉमन सिविल कोड की जरूरत नहीं है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि देश में सभी धर्म को स्वतंत्रता है और संविधान में इसकी व्यवस्था है. ऐसे में बीजेपी की मंशा कुछ और है लेकिन देश उस तरफ जाना नहीं चाहता है. उन्होंने कहा कि अभी देश में नौजवानों को रोजगार चाहिए, महंगाई पर नियंत्रण होना चाहिए लेकिन बीजेपी कभी हिजाब विवाद तो कभी कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दे को उठाकर प्रमुख मुद्दे से जनता का ध्यान हटाना चाहती है.

समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड बीजेपी का पुराना एजेंडा रहा है. वैसे तो जेडीयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहा है और उसमें से कॉमन सिविल कोड भी एक है. प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी और कांग्रेस भी इसके खिलाफ है. ऐसे में कर्नाटक में जिस प्रकार से हिजाब विवाद ने तूल पकड़ा और बिहार में बीजेपी के नेता कॉमन सिविल कोड की मांग कर रहे हैं, वैसे में आने वाले दिनों में इस पर सियासत तेज होनी तय है.

समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है कि देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून. फिर भले ही वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो. फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा. समान नागरिक संहिता का मतलब हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना है. इसके तहत हर धर्म के कानूनों में सुधार और एकरूपता लाने पर काम होगा. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.

जानकार कहते हैं कि धर्म के आधार पर पर्सनल लॉ होने के चलते कई मामले अदालतों में लंबित होते हैं. इससे अदालतों पर बोझ बढ़ता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी धर्मों के मामलों में एक कानून लागू होगा. देश में हिजाब विवाद के बीच इस कोड की मांग बढ़ गई है. बता दें कि कई मुस्लिम देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड पहले से लागू है.

ये भी पढ़ें: Karnataka hijab controversy : कर्नाटक हिजाब विवाद पर बोले लालू- गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है देश

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पटना: कर्नाटक में हिजाब पर उठे विवाद (Karnataka Hijab Controversy) के बाद बिहार में समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) को लेकर सियासत शुरू हो गई है. पिछले दिनों बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने इसे देश के लिए जरूरी बताया था. उनके बयान के बाद बिहार बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर सहित कई विधायकों ने भी प्रदेश में इसे लागू करने की मांग की. हालांकि सहयोगी जेडीयू और मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी इसका विरोध करती है.

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बिहार बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि कॉमन सिविल कोड देश की जरूरत है. सभी दलों को इस पर विचार करना चाहिए. इसके लागू होने से किसी के साथ पक्षपात नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अभी तो मंदिरों पर टैक्स लग रहा है लेकिन मस्जिद पर कोई टैक्स नहीं लिया जाता है. इसलिए देश की एकता और प्रगति के लिए कॉमन सिविल कोड जरूरी है. हालांकि बिहार में सरकार में बीजेपी के प्रमुख सहयोगी जेडीयू शुरू से ही कॉमन सिविल कोड के खिलाफ में है. जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि पार्टी और सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं है. कुछ लोग बेकार की बातें करते रहते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्षों पहले अपनी राय कॉमन सिविल कोड पर दे चुके हैं.

वहीं, आरजेडी का भी कहना है कि कॉमन सिविल कोड की जरूरत नहीं है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि देश में सभी धर्म को स्वतंत्रता है और संविधान में इसकी व्यवस्था है. ऐसे में बीजेपी की मंशा कुछ और है लेकिन देश उस तरफ जाना नहीं चाहता है. उन्होंने कहा कि अभी देश में नौजवानों को रोजगार चाहिए, महंगाई पर नियंत्रण होना चाहिए लेकिन बीजेपी कभी हिजाब विवाद तो कभी कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दे को उठाकर प्रमुख मुद्दे से जनता का ध्यान हटाना चाहती है.

समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड बीजेपी का पुराना एजेंडा रहा है. वैसे तो जेडीयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहा है और उसमें से कॉमन सिविल कोड भी एक है. प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी और कांग्रेस भी इसके खिलाफ है. ऐसे में कर्नाटक में जिस प्रकार से हिजाब विवाद ने तूल पकड़ा और बिहार में बीजेपी के नेता कॉमन सिविल कोड की मांग कर रहे हैं, वैसे में आने वाले दिनों में इस पर सियासत तेज होनी तय है.

समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है कि देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून. फिर भले ही वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो. फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा. समान नागरिक संहिता का मतलब हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना है. इसके तहत हर धर्म के कानूनों में सुधार और एकरूपता लाने पर काम होगा. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.

जानकार कहते हैं कि धर्म के आधार पर पर्सनल लॉ होने के चलते कई मामले अदालतों में लंबित होते हैं. इससे अदालतों पर बोझ बढ़ता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी धर्मों के मामलों में एक कानून लागू होगा. देश में हिजाब विवाद के बीच इस कोड की मांग बढ़ गई है. बता दें कि कई मुस्लिम देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड पहले से लागू है.

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