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बिहार: विधायकों को चुनाव आते ही याद आए 'मुखिया जी' - भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी

विधान परिषद में सोमवार को पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की गई. आरजेडी ने इनके वेतन और भत्ता बढाने की मांग को सदन में रखा तो बाकी दलों ने भी इस मांग का समर्थन कर दिया. साथ ही, सरकार की ओर से पहल करने का आश्वासन मिला है.

बिहार विधान परिषद
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Published : Mar 3, 2020, 9:37 AM IST

पटना: बिहार में विधानसभा का चुनाव अक्टूबर-नवंबर तक होने की संभावना है, लेकिन चुनावी माहौल की तपिश अभी से ही महसूस की जा सकती है. सियासी दल सत्ता पर काबिज होने के लिए अलग-अलग तरीके से लगे हुए है. ऐसे में नेताओं को चुनाव आते ही 'मुखिया जी' याद आ गए हैं.
सोमवार को बिहार विधान परिषद में कई सदस्यों ने पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की. आरजेडी ने इनका वेतन और भत्ता बढाने की मांग बिहार विधान परिषद में रखा तो बाकी दलों ने भी इस मांग का समर्थन कर दिया.

पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग
सदन की कार्यवाही के दौरान विधान पार्षदों का कहना था कि पंचायत स्तर पर सरकार की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन उनका मानदेय बहुत कम है. आरजेडी के विधान पार्षद सुबोध राय ने कहा, सरकार को ना सिर्फ उनका मानदेय बढ़ाना चाहिए बल्कि उनके लिए पेंशन भी लागू करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मंत्री और विधायकों का वेतन वृद्धि होता है, यात्रा भत्ता मिलता है, तो पंचायत प्रतिनिधियों का क्यों नहीं?

मानदेय महीनों से बकाया
एमएलसी का तर्क था कि एक तरफ जहां विधायकों और विधान पार्षदों को हजारों-लाखों रुपए प्रति महीने मिलते हैं और पेंशन भी दिया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ पंचायत प्रतिनिधियों को महज 2,000 से 5,000 तक प्रति महीने मिलते हैं. उसपर भी कई पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय महीनों से बकाया है.

पंचायत प्रतिनिधियों को वेतन मात्र 500 रुपये
औरंगाबाद से विधान पार्षद राजन कुमार सिंह ने कहा कि ज्यादातर विकास कार्य पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों के ही माध्यम से ही होता है. ऐसे में यदि उसका मानदेय बढ़ाया जाएगा तो विकास कार्यों पर भी इसका सकारात्मक असर दिखेगा. राजन सिंह ने कहा पंचायत प्रतिनिधियों को मात्र 500 वेतन के रूप में मिलता है. उन्होंने राज्य सरकार से इस पर विचार करने लिए कहा.

PATNA
औरंगाबाद से विधान पार्षद राजन कुमार सिंह

बीजेपी का समर्थन
इसका बीजेपी एमएलसी सचिदानंद सिंह ने भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के साथ अन्याय हो रहा है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इस बात पर विचार करने की मांग की. साथ ही इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए.

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बीजेपी एमएलसी सचिदानंद सिंह

सरकार ने कहा- पॉलिसी मैटर
वहीं, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर है. सरकार इस पर पहले विचार करेगी.

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भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी

किसको कितना मिलता है वेतन
आपको बता दें कि मंत्री, सांसद, विधायक जैसे जनप्रतिनिधियों को भारी भरकम वेतन भत्ता मिलता है, ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन आपको जानना चाहिए कि बिहार में पंचायत प्रतिनिधियों को भी सरकार वेतन देती है, ताकी ये अपने कार्य सुचारु ढंग से कर सकें:

  • जिला परिषद अध्यक्ष: 12 हजार रुपए प्रतिमाह
  • जिला परिषद उपाध्यक्ष: 10 हजार रुपए प्रतिमाह
  • पंचायत समिति प्रमुख: 10 हजार रुपए प्रतिमाह
  • पंचायत समिति उप-प्रमुख: 5 हजार रुपए प्रतिमाह
  • मुखिया: 2500 रुपए प्रतिमाह
  • उप मुखिया: 1200 रुपए प्रतिमाह
  • सरपंच: 2500 रुपए प्रतिमाह
  • उप सरपंच: 1200 रुपए प्रतिमाह
  • पंच: 500 रुपए प्रतिमाह
  • जिला परिषद सदस्य: 2500 रुपए प्रतिमाह
  • ग्राम पंचायत सचिव: 6000 रुपए प्रतिमाह
  • पंचायत समिति सदस्य: 1000 प्रतिमाह
  • वार्ड सदस्य: 500 रुपए प्रतिमाह
  • न्यायमित्र: 7000 रुपए प्रतिमाह

सरकार ने इन सभी पंचायत प्रतिनिधियों के पद पर रहते हुए मौत होने पर परिवारवालों को पांच लाख रुपये देने का प्रावधान है.

पटना: बिहार में विधानसभा का चुनाव अक्टूबर-नवंबर तक होने की संभावना है, लेकिन चुनावी माहौल की तपिश अभी से ही महसूस की जा सकती है. सियासी दल सत्ता पर काबिज होने के लिए अलग-अलग तरीके से लगे हुए है. ऐसे में नेताओं को चुनाव आते ही 'मुखिया जी' याद आ गए हैं.
सोमवार को बिहार विधान परिषद में कई सदस्यों ने पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की. आरजेडी ने इनका वेतन और भत्ता बढाने की मांग बिहार विधान परिषद में रखा तो बाकी दलों ने भी इस मांग का समर्थन कर दिया.

पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग
सदन की कार्यवाही के दौरान विधान पार्षदों का कहना था कि पंचायत स्तर पर सरकार की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन उनका मानदेय बहुत कम है. आरजेडी के विधान पार्षद सुबोध राय ने कहा, सरकार को ना सिर्फ उनका मानदेय बढ़ाना चाहिए बल्कि उनके लिए पेंशन भी लागू करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मंत्री और विधायकों का वेतन वृद्धि होता है, यात्रा भत्ता मिलता है, तो पंचायत प्रतिनिधियों का क्यों नहीं?

मानदेय महीनों से बकाया
एमएलसी का तर्क था कि एक तरफ जहां विधायकों और विधान पार्षदों को हजारों-लाखों रुपए प्रति महीने मिलते हैं और पेंशन भी दिया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ पंचायत प्रतिनिधियों को महज 2,000 से 5,000 तक प्रति महीने मिलते हैं. उसपर भी कई पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय महीनों से बकाया है.

पंचायत प्रतिनिधियों को वेतन मात्र 500 रुपये
औरंगाबाद से विधान पार्षद राजन कुमार सिंह ने कहा कि ज्यादातर विकास कार्य पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों के ही माध्यम से ही होता है. ऐसे में यदि उसका मानदेय बढ़ाया जाएगा तो विकास कार्यों पर भी इसका सकारात्मक असर दिखेगा. राजन सिंह ने कहा पंचायत प्रतिनिधियों को मात्र 500 वेतन के रूप में मिलता है. उन्होंने राज्य सरकार से इस पर विचार करने लिए कहा.

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औरंगाबाद से विधान पार्षद राजन कुमार सिंह

बीजेपी का समर्थन
इसका बीजेपी एमएलसी सचिदानंद सिंह ने भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के साथ अन्याय हो रहा है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इस बात पर विचार करने की मांग की. साथ ही इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए.

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बीजेपी एमएलसी सचिदानंद सिंह

सरकार ने कहा- पॉलिसी मैटर
वहीं, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर है. सरकार इस पर पहले विचार करेगी.

PATNA
भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी

किसको कितना मिलता है वेतन
आपको बता दें कि मंत्री, सांसद, विधायक जैसे जनप्रतिनिधियों को भारी भरकम वेतन भत्ता मिलता है, ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन आपको जानना चाहिए कि बिहार में पंचायत प्रतिनिधियों को भी सरकार वेतन देती है, ताकी ये अपने कार्य सुचारु ढंग से कर सकें:

  • जिला परिषद अध्यक्ष: 12 हजार रुपए प्रतिमाह
  • जिला परिषद उपाध्यक्ष: 10 हजार रुपए प्रतिमाह
  • पंचायत समिति प्रमुख: 10 हजार रुपए प्रतिमाह
  • पंचायत समिति उप-प्रमुख: 5 हजार रुपए प्रतिमाह
  • मुखिया: 2500 रुपए प्रतिमाह
  • उप मुखिया: 1200 रुपए प्रतिमाह
  • सरपंच: 2500 रुपए प्रतिमाह
  • उप सरपंच: 1200 रुपए प्रतिमाह
  • पंच: 500 रुपए प्रतिमाह
  • जिला परिषद सदस्य: 2500 रुपए प्रतिमाह
  • ग्राम पंचायत सचिव: 6000 रुपए प्रतिमाह
  • पंचायत समिति सदस्य: 1000 प्रतिमाह
  • वार्ड सदस्य: 500 रुपए प्रतिमाह
  • न्यायमित्र: 7000 रुपए प्रतिमाह

सरकार ने इन सभी पंचायत प्रतिनिधियों के पद पर रहते हुए मौत होने पर परिवारवालों को पांच लाख रुपये देने का प्रावधान है.

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